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पोलियो का फिर से उभरना

Lokesh Pal December 28, 2024 02:40 14 0

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वाइल्ड पोलियोवायरस (Wild Poliovirus-WPV) और वैक्सीन-डेराइव्ड पोलियोवायरस (Vaccine Derived Poliovirus- VDPV) के पर्यावरणीय नमूनों एवं मामलों की रिपोर्ट दी है।

पोलियो पर नवीनतम निष्कर्ष

  • यूरोप में पोलियो का पता चला: नियमित अपशिष्ट जल निगरानी ने सितंबर 2024 से पाँच यूरोपीय देशों, फिनलैंड, जर्मनी, पोलैंड, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम में पोलियोवायरस की उपस्थिति का पता लगाया है।
  • गाजा में पोलियो के मामले की पुष्टि: गाजा में एक 10 महीने के बच्चे में पोलियो की पुष्टि की गई, जो इस बीमारी से जुड़े चल रहे स्थानीय जोखिमों को उजागर करता है।
  • अफ्रीका: कैमरून, कोटे डी आइवर, चाड और नाइजीरिया में परिसंचारी वैक्सीन-डेराइव्ड पोलियोवायरस टाइप 2 (cVDPV2) के मामले सामने आए हैं।
  • एशिया: पाकिस्तान ने वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 1 (WPV1) और परिसंचारी VDPV2 के मामलों की सूचना दी है।
  • सतर्कता एवं टीकाकरण के प्रयास: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सघन रोग निगरानी और व्यापक टीकाकरण अभियानों के महत्त्व को रेखांकित करता है।
    • राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज दर 85-95% होने के बावजूद, प्रतिरक्षा में उप-राष्ट्रीय अंतराल बना हुआ है, जिसके लिए केंद्रित और लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) [Poliomyelitis (Polio)] के बारे में

  • पोलियोमाइलाइटिस एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है।
  • संचरण: यह मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क के माध्यम से या, कम सामान्यतः, दूषित जल अथवा भोजन के माध्यम से फैलता है।
    • हालिया शोध से पता चलता है कि इसके संचरण में श्वसन संचरण एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • गले में पोलियोवायरस का फैलना श्वसन संचरण के सिद्धांत का समर्थन करता है, जो खसरा और काली खांसी जैसी अन्य संक्रामक बीमारियों के समान है।
  • प्रभाव: वायरस आँत में अपना गुणन प्रभाव दिखता है और तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण कर सकता है, जिससे पक्षाघात हो सकता है।
  • दुनिया भर में वाइल्ड पोलियोवायरस स्ट्रेन की स्थिति
    • टाइप 1: वर्ष 2022 तक पाकिस्तान और अफगानिस्तान में स्थानिक बना हुआ है।
    • टाइप 2: वर्ष 1999 में समाप्त घोषित किया गया।
    • टाइप 3: वर्ष 2020 में समाप्त घोषित किया गया।
  • भारत ने वर्ष 2014 में WHO द्वारा पोलियो-मुक्त प्रमाणपत्र हासिल किया, जिसमें वर्ष 2011 में वाइल्ड पोलियोवायरस का आखिरी मामला दर्ज किया गया था।

वैक्सीन-डेराइव्ड पोलियो

  • वैक्सीन संरचना: ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) में पोलियोवायरस का एक कमजोर रूप होता है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है।
  • परिसंचारी वैक्सीन-डेराइव्ड पोलियोवायरस (Circulating Vaccine-Derived Poliovirus-  cVDPV): कम प्रतिरक्षित आबादी में, उत्सर्जित वैक्सीन वायरस प्रसारित हो सकता है, आनुवंशिक परिवर्तन से गुजर सकता है और पक्षाघात उत्पन्न करने में सक्षम रूप में वापस आ सकता है।
  • रोकथाम: cVDPV के संचरण को रोकने के लिए, WHO उच्च गुणवत्ता वाले टीकाकरण अभियानों के कई दौर आयोजित करने की सिफारिश करता है।

पोलियो टीके की विशेषताएँ

विशेषता

ओरल पोलियो वैक्सीन (Oral Polio Vaccine-OPV)

इंजेक्शन योग्य पोलियो वैक्सीन (Injectable Polio Vaccine-IPV)

वायरस का प्रकार लाइव एटेन्यूएटेड वायरस (Live Attenuated Virus) निष्क्रिय वायरस
पर्यावरण प्रसार का खतरा यह वायरस को पर्यावरण में छोड़ सकता है, जिससे अन्य लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। पर्यावरण में फैलने की संभावना समाप्त हो जाती है।
आवश्यक खुराक प्रभावी प्रतिरक्षा के लिए एक या कुछ खुराक दीर्घकालिक प्रतिरक्षा के लिए कम खुराक की आवश्यकता होती है।
म्यूकोसल प्रतिरक्षा बेहतर म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रदान करता है, वायरस संचरण को बाधित करने में मदद करता है। मजबूत श्लैष्मिक प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करता है।
प्रतिरक्षाविहीन व्यक्तियों के लिए सुरक्षा प्रतिरक्षाविहीन व्यक्तियों के लिए अनुशंसित नहीं। प्रतिरक्षाविहीन व्यक्तियों में उपयोग के लिए सुरक्षित।
प्रतिरक्षा अवधि सीमित अवधि के लिए प्रतिरक्षा प्रदान करता है, इसे बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। दीर्घकालिक प्रतिरक्षा
प्रशासन ओरल ड्राॅप द्वारा इंजेक्शन द्वारा

पोलियो उन्मूलन के प्रयास

वैश्विक पहल

  • वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (Global Polio Eradication Initiative-GPEI) का उद्देश्य सभी वाइल्ड वैक्सीन-संबंधी और सबिन पोलियोवायरस (Sabin Polioviruses) को मिटाना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा फिर से लकवाग्रस्त पोलियोमाइलाइटिस से पीड़ित न हो। 
  • GPEI के चार स्तंभों में नियमित टीकाकरण, पूरक टीकाकरण, निगरानी और लक्षित सफाई अभियान शामिल हैं।

भारत का दृष्टिकोण

  • वार्षिक पोलियो अभियान: राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Immunization Days-NID) और उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (Sub National Immunization Days-SNID) प्रतिवर्ष आयोजित किए जाते हैं, ताकि उच्च प्रतिरक्षा स्तर बनाए रखा जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे।
  • निगरानी और सीमा टीकाकरण: स्थानिक क्षेत्रों से पोलियो के पुनः आयात के जोखिम को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर टीकाकरण के प्रयास जारी हैं।
  • निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV): वर्ष 2015 में शुरू किया गया, IPV पोलियो के विरुद्ध अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है, विशेष रूप से टाइप 2 पोलियोवायरस के खिलाफ।
  • मिशन इंद्रधनुष: वर्ष 2014 में शुरू की गई, इस पहल का उद्देश्य 90% टीकाकरण कवरेज हासिल करना है, जो कम टीकाकरण दरों वाले दुर्गम क्षेत्रों पर केंद्रित है।
  • पोलियो वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक: सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme-UIP) के तहत मौखिक और इंजेक्शन द्वारा दी जाने वाली पोलियो खुराक के साथ-साथ अब पोलियो वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक भी दी जा रही है। पोलियो के विरुद्ध बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए शुरू की गई यह तीसरी खुराक, बच्चे के 9 महीने का हो जाने पर दी जाएगी।

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