खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) सितंबर में नौ महीने के उच्चतम स्तर 5.49% पर पहुँच गई, जो अगस्त में 3.65% थी।
मुद्रास्फीति की मुख्य विशेषताएँ
खाद्य मुद्रास्फीति: उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) बढ़कर 9.24% हो गया, जिसमें ग्रामीण खाद्य मुद्रास्फीति 9.08% एवं शहरी खाद्य मुद्रास्फीति 9.56% थी।
आवास एवं विद्युत मुद्रास्फीति: आवास मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 2.78% हो गई, जबकि अखिल भारतीय विद्युत सूचकांक में 5.45% की मुद्रास्फीति दर देखी गई।
मुद्रास्फीति वृद्धि के कारक: उच्च आधार प्रभाव एवं प्रतिकूल मौसम की स्थिति ने सितंबर में मुद्रास्फीति वृद्धि में योगदान दिया।
विशिष्ट श्रेणियों में गिरावट: सितंबर में दालों, मसालों, मांस एवं मछली, तथा चीनी एवं कन्फेक्शनरी की मुद्रास्फीति में गिरावट आई है।
मुद्रास्फीति के बारे में
मुद्रास्फीति का तात्पर्य दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं एवं सेवाओं, जैसे भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन, उपभोक्ता सामग्री आदि की कीमतों में वृद्धि से है।
यह समय के साथ वस्तुओं एवं सेवाओं के औसत मूल्य में परिवर्तन को मापता है।
मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की एक इकाई की क्रय शक्ति में कमी का सूचक है। इसे प्रतिशत में मापा जाता है।
महत्त्व: यह सुनिश्चित करने के लिए कि व्यय को बढ़ावा दिया जाए एवं बचत के माध्यम से धन संचय को हतोत्साहित किया जाए, अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के एक निश्चित स्तर की आवश्यकता होती है।
मुद्रास्फीति के प्रकार
स्टैगफ्लेशन (Stagflation): स्टैगफ्लेशन उच्च मुद्रास्फीति एवं स्थिर आर्थिक विकास के साथ-साथ उच्च बेरोजगारी का संयोजन है।
हेडलाइन मुद्रास्फीति: हेडलाइन मुद्रास्फीति एक अर्थव्यवस्था के भीतर कुल मुद्रास्फीति का एक माप है, जिसमें खाद्य एवं ऊर्जा (जैसे, तेल तथा गैस) जैसी वस्तुएँ शामिल हैं, जो बहुत अधिक अस्थिर होती हैं एवं मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना होती है।
भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को हेडलाइन मुद्रास्फीति के रूप में जाना जाता है।
कोर मुद्रास्फीति: कोर मुद्रास्फीति वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत में बदलाव है, लेकिन इसमें खाद्य तथा ऊर्जा क्षेत्रों की लागत शामिल नहीं है।
मुद्रास्फीति के इस माप में इन वस्तुओं को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि उनकी कीमतें बहुत अधिक अस्थिर हैं।
अवस्फीति (Disinflation): अवस्फीति का तात्पर्य मुद्रास्फीति की दर में कमी से है, जिसका अर्थ है कि कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं, लेकिन धीमी गति से।
मुद्रास्फीति का मापन कैसे किया जाता है?
भारत में, मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों WPI (थोक मूल्य सूचकांक) एवं CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तन को मापते हैं।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के बारे में
CPI आधार वर्ष के संदर्भ में वस्तुओं एवं सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को मापता है।
संकलित: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI), (भारत सरकार)।
CPI के प्रकार
औद्योगिक श्रमिकों के लिए CPI (CPI-IW)
श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित।
आधार वर्ष: 2016
ग्रामीण मजदूरों एवं कृषि मजदूरों के लिए CPI
श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित।
आधार वर्ष: 1986-87
नवीन CPI (ग्रामीण, शहरी एवंसंयुक्त)
आधार वर्ष: 2012
अखिल भारतीय स्तर के लिए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा संकलित एवं प्रकाशित।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI)
CFPI: यह CPI का एक उप-घटक है, जो जनसंख्या द्वारा उपभोग की जाने वाली खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतों में बदलाव का मापन करता है।
फोकस: अनाज, सब्जियाँ, फल, डेयरी, मांस आदि जैसे खाद्य पदार्थों के मूल्य परिवर्तन को ट्रैक करता है।
संकलन: केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO), परंतु वर्तमान में NSO के तहत संकलन (2019 में गठित)।
आधार वर्ष: 2012
पद्धति: CPI के समान पद्धति का उपयोग करके मासिक गणना की जाती है।
थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI)
WPI: यह खुदरा स्तर से पहले थोक कीमतों में औसत परिवर्तन का मापन करता है।
कवरेज: इसमें सेवाओं को छोड़कर केवल वस्तुएँ शामिल हैं।
संकलन: आर्थिक सलाहकार कार्यालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (मासिक आधार पर) संकलन।
आधार वर्ष: वर्ष 2011-12
भार: वस्तुओं को दिया गया भार शुद्ध आयात के लिए समायोजित उत्पादन मूल्य पर आधारित होता है।
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