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Samsul Ansari January 18, 2024 06:13 181 0
संदर्भ
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल के एक फैसले में निर्दिष्ट किया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-19(1)(e) के तहत भारत में रहने के अधिकार का दावा विदेशियों द्वारा नहीं किया जा सकता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
यह फैसला एक संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट याचिका पर आया, जिसमें दावा किया गया था कि उसकी हिरासत अवैध और बिना अधिकार के है।
न्यायालय द्वारा टिप्पणी
भारतीय संविधान में विदेशियों को मौलिक अधिकार
अनुच्छेद-14 | विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण |
अनुच्छेद-20 | अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण |
अनुच्छेद -21 | प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण |
अनुच्छेद-21(A) | प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार |
अनुच्छेद-22 | कुछ मामलों में हिरासत एवं नजरबंदी से संरक्षण |
अनुच्छेद-23 | बलात् श्रम एवं अवैध मानव व्यापार के विरुद्ध प्रतिषेध |
अनुच्छेद-24 | कारखानों आदि में बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध |
अनुच्छेद-25 | अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म का स्वतंत्र व्यवसाय, अभ्यास और प्रचार |
अनुच्छेद-26 | धार्मिक सम्मलेन एवं अनुष्ठानों को आयोजित करने की स्वतंत्रता |
अनुच्छेद-27 | किसी भी धर्म को बढ़ावा देने के लिए करों के भुगतान से छूट |
अनुच्छेद-28 | कुछ शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता |
विदेशियों के कानूनी अधिकार
रिट याचिकाएँ
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