हाल ही में केंद्र सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार (Rights of Persons with Disabilities- RPwD) नियम, 2024 में नए संशोधन लागू किए हैं।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
अधिनियमन एवं प्रवर्तन: दिव्यांगजन अधिकार (RPwD) अधिनियम वर्ष 2016 में अधिनियमित किया गया था एवं 19 अप्रैल, 2017 से लागू हुआ।
पिछले नियम का प्रतिस्थापन: इसने दिव्यांगजन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 का स्थान लिया।
अधिनियम का उद्देश्य: RPwD अधिनियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी दिव्यांगजन सम्मान के साथ, बिना किसी भेदभाव के एवं समान अवसरों के साथ अपना जीवनयापन कर सकें।
रोग पहचान का विस्तार: अधिनियम 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता देता है जैसे अंधापन, कम दृष्टि, बौनापन, थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल रोग, एसिड अटैक पीड़ित आदि।
बेंचमार्क दिव्यांगता की परिभाषा: बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्ति को निर्दिष्ट दिव्यांगता के कम-से-कम 40% वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जब इस दिव्यांगता को मापने योग्य शब्दों में निर्धारित नहीं किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ संरेखण: इसमें दिव्यांगजन के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCRPD) के तहत शामिल दिव्यांगजन अधिकारों को शामिल किया गया है, जिस पर भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है।
UNCRPD एक मानवाधिकार संधि है, जिसका उद्देश्य दिव्यांगजन के अधिकारों एवं सम्मान को बढ़ावा देना तथा उनकी रक्षा करना है।
इसे वर्ष 2006 में अपनाया गया एवं वर्ष 2008 में लागू हुआ।
संबंधित तथ्य
RPwD नियम, 2024, IAS प्रोबेशनर पूजा खेडकर विवाद के मद्देनजर आए हैं।
संशोधन दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 100 (1) एवं (2) के तहत किए गए थे तथा उनके प्रवर्तन को चिह्नित करने के लिए आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया है।
दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में
दिव्यांगजन अधिकार (RPwD) अधिनियम, 2016 के तहत, “दिव्यांग व्यक्तियों” को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है, जिनमें दीर्घकालिक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी विकलांगता है, जो बाधाओं के साथ मिलकर, दूसरों के साथ समान आधार पर समाज में उनकी पूर्ण और प्रभावी भागीदारी में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
दिव्यांगजन अधिकार (RPwD) संबंधी नए नियम (2024)
सुव्यवस्थित आवेदन प्रक्रिया
संशोधनों का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दिव्यांगता प्रमाण-पत्र एवं विशिष्ट दिव्यांगता पहचान (Unique Disability Identity- UDID) कार्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है।
निर्दिष्ट दिव्यांगता वाले व्यक्ति अब UDID पोर्टल के माध्यम से इन दस्तावेजों के लिए आवेदन कर सकते हैं, अपने आवेदन जिला चिकित्सा अधिकारियों या चिकित्सा सुविधाओं में जमा कर सकते हैं, जहाँ उनका इलाज किया जा रहा है।
रंग कोडित UDID कार्ड: अद्यतन नियम दिव्यांगता के विभिन्न स्तरों को दर्शाने के लिए रंग-कोडित UDID कार्ड प्रस्तुत करते हैं:
सफेद: 40% से कम दिव्यांगता के लिए।
पीला: 40% से 79% के बीच दिव्यांगता के लिए।
नीला: 80% या उससे अधिक की दिव्यांगता के लिए
समय पर दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करना: चिकित्सा अधिकारियों को आवेदकों के लिए सेवा में तेजी लाने के लिए निदान के तीन महीने के भीतर दिव्यांगता प्रमाण-पत्र एवं UDID कार्ड जारी करना आवश्यक है।
विशिष्ट दिव्यांगता पहचान (UDID) का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों (PwDs) के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाना एवं प्रत्येक दिव्यांग व्यक्ति को एक विशिष्ट दिव्यांगता पहचान-पत्र जारी करना है।
UDID पोर्टल दिव्यांगता प्रमाण-पत्र एवं दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है।
स्थायी एवं समय-सीमित प्रमाण-पत्र
अपरिवर्तनीय दिव्यांगता के लिए, स्थायी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी किए जाएँगे।
सुधार की संभावना वाली स्थितियों के लिए समय-सीमित प्रमाण-पत्र प्रदान किए जाएँगे।
निष्क्रिय अनुप्रयोग: जो आवेदन दो वर्ष से अधिक समय तक अनसुलझे रहेंगे, उन्हें निष्क्रिय के रूप में चिह्नित किया जाएगा।
यदि आवेदकों का आवेदन इस अवधि के बाद समाप्त हो जाता है तो उन्हें पुनः आवेदन करना होगा।
दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता के लिए भारत में अन्य पहल
सुगम्य भारत अभियान: इस अभियान का उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों, परिवहन एवं ICT (सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी)को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ बनाना है।
इसे वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
दिव्यांग सारथी ऐप: यह मोबाइल एप्लिकेशन दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपलब्ध नीतियों, योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे जागरूकता में सुधार एवं सरकारी संसाधनों तक पहुँच में मदद मिलती है।
दीन दयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना (DDRS): दीन दयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना (DDRS) भारत सरकार की एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
यह दिव्यांग व्यक्तियों की शिक्षा एवं पुनर्वास के लिए कार्य करने वाले स्वैच्छिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
PM दक्ष पोर्टल: यह पोर्टल दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग (DEPwD) द्वारा शुरू किया गया है।
यह एक व्यापक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे दिव्यांग व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार के अवसरों की तलाश में सशक्त बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
पोर्टल UDID के माध्यम से निर्बाध पंजीकरण, स्थान आधारित कौशल प्रशिक्षण विकल्पों तक पहुँच, पूरे भारत से नौकरी लिस्टिंग की एक विस्तृत शृंखला एवं सुव्यवस्थित प्रशासनिक प्रक्रियाएँ प्रदान करता है।
समर्थ एवं घरौंदा: ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता (बौद्धिक दिव्यांगता), एवं एकाधिक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय है, जो कई योजनाओं को कार्यान्वित करता है:-
समर्थ: परिवारों को अस्थायी राहत प्रदान करने वाली एक राहत देखभाल योजना।
घरौंदा: दिव्यांगता वयस्कों के लिए आजीवन देखभाल एवं सहायता के लिए एक समूह गृह योजना।
समर्थ-सह-घरौंदा: देश में अपने पंजीकृत संगठनों (ROs) के माध्यम से उन दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक आवासीय देखभाल योजना, जो अनाथ हैं, जिनके परिवार संकट में हैं एवं गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के इन दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिए।
दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास
सतत विकास लक्ष्य (SDGs): सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा में कई SDGs के तहत दिव्यांगता व्यक्तियों के लिए विशिष्ट लक्ष्य शामिल हैं, विशेष रूप से शिक्षा (लक्ष्य 4), रोजगार (लक्ष्य 8), असमानताओं को कम करना (लक्ष्य 10), एवं समावेशी समुदाय बनाना ( लक्ष्य 11).
बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क (Biwako Millennium Framework): यह एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक समावेशी, बाधा मुक्त तथा अधिकार आधारित समाज को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई हेतु एक क्षेत्रीय ढाँचा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पुनर्वास 2030 पहल: WHO वैश्विक पुनर्वास सेवाओं को मजबूत करने के लिए पुनर्वास 2030 पहल के माध्यम से दिव्यांगता समावेशी स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देता है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मानक एवंकार्यक्रम: ILO व्यावसायिक पुनर्वास एवं रोजगार पर कन्वेंशन नंबर 159 (वर्ष 1983) के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी रोजगार पर जोर देता है तथा समान रोजगार के अवसरों के लिए पहल को बढ़ावा देता है।
ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी अवेयरनेस डे (Global Accessibility Awareness Day- GAAD): दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करते हुए, डिजिटल एक्सेसिबिलिटी के बारे में जागरूकता एवं समझ बढ़ाने के लिए GAAD प्रति वर्ष मई के तीसरे गुरुवार को मनाया जाता है।
ग्लोबल एक्शन ऑन डिसेबिलिटी (GLAD) नेटवर्क: यह नेटवर्क दुनिया भर में दिव्यांगता से संबंधित पहलों को संरेखित करने, दिव्यांगता-समावेशी विकास एवं मानवीय प्रयासों का समर्थन करने के लिए दानदाताओं तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक साथ लाता है।
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