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बढ़ते तापमान से भारत के गेहूँ उत्पादन को खतरा

Lokesh Pal June 27, 2024 04:03 121 0

संदर्भ

तापमान में वृद्धि के कारण भारत को लगातार तीसरे वर्ष गेहूँ उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।

  • वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से गेहूँ का उत्पादन 4-5 मिलियन टन कम हो जाता है।

गेहूँ उत्पादन पर ताप वृद्धि का प्रभाव

उत्तर भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों में “हीट स्ट्रेस” का प्रभाव अधिक स्पष्ट था, जहाँ वर्ष 2021-22 के रबी मौसम (नवंबर के मध्य में बुवाई और अप्रैल-मई में कटाई) के दौरान गेहूँ की उत्पादकता में काफी गिरावट आई थी।

  • उदाहरण: पंजाब में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट 13.5% थी। 
  • उपज में गिरावट: पिछले दो वर्षों में इसकी पैदावार में काफी गिरावट आई है। वर्ष 2022 में, मार्च में अत्यधिक तापमान ने गेहूँ के उत्पादन को प्रभावित किया, जिससे सरकार के 110 मिलियन टन के पूर्वानुमान से लगभग 4 मिलियन टन कम उत्पादन हुआ। 
  • सुधारों की विपरीत स्थिति: यह वर्ष 2014-15 और 2020-21 के बीच भारत में गेहूँ उत्पादन में हुए पर्याप्त सुधारों के विपरीत संकेत दे रहा है, जब उत्पादन 86 मिलियन टन से बढ़कर 110 मिलियन टन हो गया था।

भारत में गेहूँ की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले अन्य कारक

गेहूँ की उपलब्धता और उत्पादन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक निम्नलिखित हैं:

  • उत्पादन लक्ष्य से चूक: वर्ष 2023 में 113 मिलियन टन गेहूँ उत्पादन का आधिकारिक लक्ष्य फिर से लगभग 3 मिलियन टन कम हो गया। 
    • इस वर्ष, सरकार को उम्मीद है कि गेहूँ का उत्पादन फिर से 110 मिलियन टन होगा, लेकिन वास्तविक स्तर कई महीनों तक पता नहीं चलेगा।
  • उत्पादन में गिरावट का सरकार के लक्ष्यों पर प्रभाव
    • कीमतों को नियंत्रण में रखना: सार्वजनिक रूप से रखे गए स्टॉक (बफर स्टॉक) को कम करके, गरीबों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न उपलब्ध कराने के साथ-साथ घरेलू गेहूँ की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक ‘मुक्त बाजार संचालन’ महत्त्वपूर्ण है।
    • निर्यात केंद्र के रूप में भारत: कम उत्पादन ने भारत को कृषि निर्यात केंद्र में बदलने की सरकार की आकांक्षाओं को प्रभावित किया है।
  • सरकार द्वारा कम खरीद: सरकार द्वारा लगातार अपेक्षा से कम गेहूँ खरीद का भी असर पड़ रहा है।
    • वर्ष 2022-23 के रबी विपणन सत्र के दौरान सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद 18.7 मिलियन टन थी, जबकि सरकार का लक्ष्य 44.4 मिलियन टन था, जो 60% की कमी थी। 
    • अगले वर्ष, सरकार ने 34.2 मिलियन टन का काफी कम खरीद लक्ष्य निर्धारित किया, लेकिन वास्तविक खरीद 26.1 मिलियन टन थी, जो लगभग एक-चौथाई कम थी। 
    • सरकार ने चालू सीजन के लिए गेहूँ खरीद लक्ष्य को और घटाकर 30-32 मिलियन टन कर दिया। 
      • नवीनतम अनुमान बताते हैं कि गेहूँ की खरीद पिछले वर्ष की तुलना में मामूली रूप से अधिक होगी।
  • निर्यात प्रतिबंध
    • खाद्य सुरक्षा के लिए: वर्ष 2021-22 के दौरान, भारत प्रमुख गेहूँ निर्यातकों में से एक के रूप में उभरा, लेकिन वर्ष 2015-16 और 2020-21 के बीच छह वर्षों तक लगातार बढ़ने के बाद वर्ष 2022 में इसके उत्पादन में गिरावट के साथ, सरकार ने देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। 
    • मौजूदा सौदों पर निर्यात जारी: हालाँकि, निर्यात प्रतिबंध लगाते समय भी, सरकार ने “अन्य सरकारों के साथ सीधे किए जाने वाले सौदों को जारी रखने” का फैसला किया, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2022-23 के दौरान 4.6 मिलियन टन से अधिक का निर्यात हुआ।
    • लेकिन गेहूँ उत्पादन में गिरावट के कारण, गेहूँ के निर्यात के कारण घरेलू खाद्य भंडार पर असर पड़ा है।
      • वर्तमान बफर स्टॉक का स्तर 16 वर्षों के निम्नतम स्तर पर है, जो कि 1 जून , 2008 को 24.1 मिलियन टन के पूर्व के न्यूनतम गेहूँ स्टॉक से थोड़ा ही अधिक है।
  • आयात में वृद्धि: आपूर्ति संबंधी बाधाएँ सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई हैं, क्योंकि भारत द्वारा वर्ष 2017-18 के बाद पहली बार पर्याप्त मात्रा में गेहूँ का आयात करना शुरू किया गया है।
    • आँकड़े: जून 2023 में आयात शुरू हुआ और तब से अब तक निरंतर  वृद्धि बनी हुई है। इस वर्ष अप्रैल तक कुल आयात लगभग 115,000 टन रहा है।
  • अपर्याप्त संसाधन: कृषि अनुसंधान के लिए राजकोषीय सहायता अपर्याप्त रही है, क्योंकि बजटीय आवंटन में वृद्धि सामान्यत: वास्तविक रूप में नहीं की गई है।

गेहूँ के बारे में

भारत में गेहूँ का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह चावल के बाद दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण अनाज फसल है। यह भारत के उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भाग में मुख्य खाद्यान्न फसल है।

  • रबी की फसल: गेहूँ एक रबी की फसल है, जिसे पकने के समय ठंडा मौसम और तेज धूप की आवश्यकता होती है।
  • आवश्यक तापमान: 10-15 डिग्री सेल्सियस (बुवाई के समय) और 21-26 डिग्री सेल्सियस (पकने और कटाई के समय) के बीच।
  • आवश्यक वर्षा: लगभग 75-100 सेमी.
  • मिट्टी का प्रकार: अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट और चिकनी दोमट (इसमें गंगा-सतलुज के मैदान और दक्कन का काली मृदा वाला क्षेत्र शामिल है)।
  • गेहूँ के शीर्ष उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात।
  • निर्यातक देश: भारत के शीर्ष निर्यात बाजार बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका और यूएई हैं।
  • सरकारी पहल
    • राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन
      • इससे भारतीय कृषि को पारिस्थितिकी रूप से सतत् जलवायु अनुकूल उत्पादन प्रणाली में बदलने की उम्मीद है।
    • जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार
      • इसका उद्देश्य अनुकूलन और शमन पर रणनीतिक अनुसंधान, किसानों के खेतों पर प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन और कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए किसानों तथा अन्य हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना है।
    • कृषि का दीर्घकालिक प्रबंधन
      • यह सहकारी समितियों, फसल उत्पादन कार्यक्रमों, वाटरशेड विकास कार्यक्रमों, बागवानी, उर्वरक, मशीनीकरण और बीज से संबंधित 27 केंद्र प्रायोजित योजनाओं को एक मंच पर लाता है।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
      • यह बेहतर उत्पादन क्षमता के लिए लक्षित फसलों की खेती में कृषि मशीनरी या उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देता है।
    • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
      • इसे ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान कृषि क्षेत्र में 4% वार्षिक वृद्धि हासिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

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