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भारत में सड़क दुर्घटनाएँ ( Road Accidents in India)

Samsul Ansari January 04, 2024 02:37 216 0

संदर्भ

हिट-एंड-रन मामलों में नए दंड प्रावधान के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों के राष्ट्रव्यापी विरोध के कारण कई राज्यों में ईंधन और आवश्यक वस्तुओं के आवागमन में समस्याएँ उत्पन्न हुईं। इस परिप्रेक्ष्य को देखते हुए केंद्र सरकार ने 02 जनवरी, 2024 को ट्रांसपोर्टरों/ड्राइवरों को आश्वासन दिया कि भारतीय न्याय संहिता के तहत ऐसे मामलों में कड़े प्रावधानों को लागू करने का निर्णय ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (All India Motor Transport Congress- AIMTC) के परामर्श के बाद ही लिया जाएगा।

  • इन प्रावधानों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के संबंध में ड्राइवर को 10 साल तक की सजा हो सकती है।

संबंधित तथ्य

  • राष्ट्रव्यापी हड़ताल: ट्रक, बस और टैक्सी यूनियनों सहित ट्रांसपोर्टरों ने भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita-BNS) की धारा 106 जिसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है, के विरोध में 1 जनवरी से 30 जनवरी तक देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था।
  • उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में कहा है कि उन ड्राइवरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जो लापरवाही से वाहन चलाते हैं और दुर्घटना का कारण बनते हैं, जिससे किसी की मौत हो जाती है और वाहन चालक मौके पर से भाग जाते हैं।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति

  • सड़क दुर्घटनाएँ: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएँ 2022‘ रिपोर्ट के अनुसार, देश में पुलिस विभागों द्वारा कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिनमें 1,68,491 लोगों की जान गई और 4,43,366 लोग घायल हुए।
  • मौतें: वर्ष 2022 में रिपोर्ट की गई कुल 1,68,491 मौतों (Fatalities) में से 61,038 (36.2%) राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 41,012 (24.3%) राज्य राजमार्गों पर और 66,441 (39.4%) अन्य सड़कों पर हुई थीं।
    • वर्ष 2022 में रिपोर्ट की गई कुल 1,55,781 घातक दुर्घटनाओं (Fatal Accidents) में से 55,571 (35.7%) राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 37,861 (24.3%) राज्य राजमार्गों पर और 62,349 (40%) अन्य सड़कों पर घटित हुई थीं।
  • राज्यवार अनुमान: वर्ष 2022 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएँ तमिलनाडु में दर्ज की गईं, जबकि सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक थी।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण

  • मानव त्रुटि: मानवीय भूल के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में यातायात नियमों का उल्लंघन जैसे- तेज गति से गाड़ी चलाना, नशे में गाड़ी चलाना, गलत लेन पर गाड़ी चलाना, लाल बत्ती पार करना, वैध ड्राइविंग लाइसेंस के बिना गाड़ी चलाना, हेलमेट और सीटबेल्ट जैसे सुरक्षा उपकरणों का उपयोग न करना आदि शामिल हैं।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 के दौरान, कुल सड़क दुर्घटनाओं में 72.3 प्रतिशत, कुल मौतों में 71.2 प्रतिशत और कुल चोटों में 72.8 प्रतिशत का कारण तेज गति से वाहन चलाना शामिल था।
      • इसके अलावा, गलत दिशा में गाड़ी चलाना वर्ष 2022 के दौरान कुल सड़क दुर्घटनाओं का दूसरा सबसे बड़ा कारण था, जो 4.9 प्रतिशत था।
  • सड़क पर्यावरण: सड़क पर्यावरण की श्रेणी में किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र (आवासीय, संस्थागत, वाणिज्यिक क्षेत्र आदि) में होने वाली दुर्घटनाएँ भी शामिल हैं, जो सीधी, घुमावदार, खड़ी आदि सड़क विशेषताओं, जंक्शन के प्रकार और यातायात नियंत्रण के प्रकार, मौसम की स्थिति आदि से संबंधित हैं।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 के आँकड़ों से पता चलता है कि 67 प्रतिशत दुर्घटनाएँ सीधी सड़कों पर हुईं, जबकि घुमावदार सड़कों, गड्ढों वाली सड़कों और खड़ी ढलानों पर होने वाली दुर्घटनाएँ कुल सड़क दुर्घटनाओं का 13.8 प्रतिशत थीं।
  • वाहनों की स्थिति: पुराने वाहनों में खराबी और सुरक्षा की कमी होती है। हालाँकि, वर्ष 2022 के दौरान 58.8% से अधिक दुर्घटनाएँ और 57.5 प्रतिशत मृत्यु के लिए 10 वर्ष से कम समय सीमा वाले वाहन जिम्मेदार थे। कुल दुर्घटनाओं में 12.6 प्रतिशत दुर्घटनाएँ 10-15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों के कारण होती हैं, कुल दुर्घटनाओं में 10.8 प्रतिशत दुर्घटनाएँ 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों के कारण होती हैं।
  • ड्राइविंग के दौरान विचलन: संदेश पढ़ना, संदेशों का उत्तर देना, कॉल लेना, पढ़ना आदि गाड़ी चलाते समय घातक हो सकता है।
    • उदाहरण के लिए, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुचित गति के कारण चालक द्वारा नियंत्रण खोने, ध्यान भटकने या मोड़ का गलत आकलन करने के कारण वर्ष 2021 में कुल 19,478 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 9,150 लोगों की जान चली गई, जबकि 19,077 लोग घायल हुए।
  • सड़क बुनियादी ढाँचे का खराब रखरखाव: गड्ढे और टूटे हुए शहतीर, अपर्याप्त रोशनी और अनुचित संकेत, दुर्घटनाओं के अन्य प्रमुख कारण हैं।
  • दोषपूर्ण सड़क इंजीनियरिंग: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सड़कों पर ‘ब्लैक स्पॉट‘ की पहचान की है, जो दुर्घटनाओं के लिए परेशानी का स्थान बन गए हैं या जहाँ दुर्घटनाएँ ऐतिहासिक रूप से केंद्रित रही हैं।
    • NHAI की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में ऐसे 506 खंड हैं, जिनमें से लगभग 15.4 प्रतिशत अकेले तमिलनाडु में हैं, जो किसी भी राज्य में सबसे अधिक है।
    • सड़क नेटवर्क पर ब्लैक स्पॉट विभिन्न कारणों से बनते हैं, जैसे विकास परियोजनाओं में कमीशन और चूक, क्षेत्र में विकासात्मक परिदृश्य में बदलाव, अनियोजित विकास या सड़कों के पास अनधिकृत निर्माण आदि।

सड़क दुर्घटनाओं से जुड़ी चुनौतियाँ

  • सड़क दुर्घटनाओं के शिकार: घातक सड़क दुर्घटनाओं के शिकार बड़े पैमाने पर गरीब एवं उत्पादक आयु वर्ग के युवा होते हैं।
    • उदाहरण के लिए- वर्ष 2022 के दौरान5 प्रतिशत पीड़ित 18 से 45 वर्ष की आयु के युवा वयस्क थे। 18 से 60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोग कुल सड़क दुर्घटना मृत्यु का 83.4 प्रतिशत हिस्सा हैं।
  • सेव लाइफ फाउंडेशन के सहयोग से विश्व बैंक के अध्ययन के अनुसार, उच्च आय वाले परिवारों की तुलना में निम्न आय वाले परिवारों में दुर्घटना के बाद होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी है।
  • रिपोर्टिंग में विलंब: विभिन्न चुनौतियों में से एक यह भी की है कि सड़क दुर्घटनाओं के संबंध में राज्यों से समय पर सूचना न मिलना, जो पुलिस स्टेशनों में क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
    • इसके अलावा, पुलिस द्वारा रिपोर्ट किए गए डेटा में मौतों की कम रिपोर्टिंग की भी संभावना है, क्योंकि यदि पुलिस और अस्पताल के डेटाबेस आपस में लिंक नहीं हैं तो 30 दिनों के बाद अस्पतालों में होने वाली मौतों की रिपोर्ट नहीं दर्ज की जाती है।
  • मोटरीकरण में वृद्धि: सड़कों पर वाहनों की अधिक संख्या से दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। इससे न केवल लोगों तथा संपत्ति को नुकसान होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भी दबाव डालता है एवं महत्त्वपूर्ण वित्तीय नुकसान को बढ़ावा देता है।
    • भारतीय सड़कों पर वाहनों की अधिक भीड़ के कारण प्रति 10,000 वाहनों पर दुर्घटना से होने वाली मौतों में कमी आई है किंतु वास्तव में औसत दुर्घटना दर अब भी बहुत अधिक है और वर्ष 2022 में इस संदर्भ में हुई मौतें अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं।
  • अन्य चुनौतियाँ
    • सुंदर समिति ने बताया कि भारत में तकनीकी रूप से सक्षम जाँच शाखा का अभाव है, जो दुर्घटनाओं का कारण निर्धारित कर सके।
    • लगातार उच्च वार्षिक मृत्यु दर भारत के सतत् विकास लक्ष्य 6 (SDG 3.6) को पूरा करने की क्षमता पर सवाल उठाती है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों एवं चोटों को घटाकर आधा करना है।

सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की पहल

  • ड्राइविंग प्रशिक्षण प्रदान करना: इसके लिए देश भर में राज्य/जिला स्तर पर इंस्टिट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (Institute of Driving Training & Research- IDTRs), क्षेत्रीय ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (Regional Driving Training Centres- RDTCs) और ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (Driving Training Centres- DTCs) स्थापित किए जा रहे हैं।

सड़क सुरक्षा से संबंधित वैश्विक पहल

  • सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (2015): यह स्थायी आवागमन के तरीकों को बढ़ावा देता है और पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों तथा मोटर चालकों को प्राथमिकता देता है।
    • यह मौजूदा कानूनों को मजबूत करने, टिकाऊ परिवहन को अपनाने और दुर्घटना के बाद की प्रतिक्रिया को मजबूत करने की सिफारिश करता है।
  • सड़क सुरक्षा के लिए कार्रवाई का दशक 2021-2030: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2030 तक कम-से-कम 50% सड़क यातायात मौतों और चोटों को रोकने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए एक संकल्प अपनाया है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोगों ने, संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सहयोग में अन्य भागीदारों के सहयोग से, कार्रवाई के दशक के लिए एक वैश्विक योजना विकसित की है।
    • वैश्विक योजना सड़क सुरक्षा के लिए समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर जोर देकर स्टॉकहोम घोषणा (पैदल चलने, साइकिल चलाने और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को बढ़ावा देना) के अनुरूप है।
    • इसमें सड़कों और वाहनों के डिजाइन में निरंतर सुधार, कानूनों एवं कानून प्रवर्तन में वृद्धि और घायलों के लिए समय पर, जीवन रक्षक आपातकालीन देखभाल का प्रावधान करने का आह्वान किया गया है।

  • इंजीनियरिंग उपाय: योजना स्तर पर सड़क सुरक्षा को सड़क डिजाइन का एक अभिन्न अंग बना दिया गया है।
    • सभी राजमार्ग परियोजनाओं का सड़क सुरक्षा ऑडिट (Road Safety Audit-RSA) सभी चरणों यानी डिजाइन, निर्माण, संचालन और रखरखाव आदि में तीसरे पक्ष के ऑडिटर के माध्यम से अनिवार्य कर दिया गया है।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट की पहचान और सुधार: RSA, ब्लैकस्पॉट सुधार और अन्य सड़क सुरक्षा संबंधी कार्यों की देखभाल के लिए सड़क सुरक्षा अधिकारी (RSO) को नामित किया गया है।
    • अधिक संख्या में ब्लैकस्पॉट वाले राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) के हिस्सों को मॉडल सुरक्षित सड़कों के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • कूच कवच (Kooch Kavach): केंद्र ने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिए एक अभिनव तरीके से स्टील बैरियर को बाँस बैरियर से बदलने का प्रस्ताव दिया था।
  • इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (e-DAR) परियोजना: इसे देश भर में सड़क दुर्घटनाओं के आँकड़ों की रिपोर्टिंग, प्रबंधन और विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय भंडार स्थापित करने के लिए शुरू किया गया है।
  • वाहन इंजीनियरिंग: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने अधिसूचित किया है:
    • वाहन की अगली सीट पर बैठे यात्री के लिए एयरबैग का अनिवार्य प्रावधान।
    • चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षा उपाय।
    • सीट बेल्ट रिमाइंडर (SBR), सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम के लिए मैनुअल ओवरराइड, ओवर स्पीड चेतावनी प्रणाली, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) आदि जैसी सुरक्षा प्रौद्योगिकियों की अनिवार्यता।
  • प्रवर्तन उपाय
    • मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 का अनुपालन सुनिश्चित करने और यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए रोकथाम बढ़ाने तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से सख्त प्रवर्तन के लिए कठोर दंड का प्रावधान करता है।
    • इलेक्ट्रॉनिक निगरानी: स्पीड कैमरा, स्पीड गन, स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों के उपयोग के लिए प्रावधान।
    • इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (e-DAR) परियोजना: e-DAR परियोजना में सड़क दुर्घटनाओं को कैप्चर करना और पहले उत्तरदाता यानी पुलिस द्वारा ऐप के माध्यम से उसकी जियोटैगिंग शामिल है। इससे सड़क दुर्घटनाओं के लिए डेटा बेस को रियल टाइम सिंकिंग और अपडेट करने के साथ-साथ एक मोबाइल एप्लिकेशन का विकास करना भी शामिल है।
  • आपातकालीन देखभाल
    • अच्छा मददगार व्यक्ति: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने अच्छे मददगार व्यक्ति की सुरक्षा के लिए नियम प्रकाशित किए हैं, जो अच्छी नियत के साथ दुर्घटना स्थल पर पीड़ितों को आपातकालीन सहायता प्रदान करते हैं।
    • मुआवजा: हिट-एंड-रन मोटर दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए बढ़ा हुआ मुआवजा (गंभीर चोट के लिए 12,500 रुपये से 50,000 रुपये और मृत्यु के लिए 25,000 रुपये से 2,00,000 रुपये)।
    • एम्बुलेंस: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्गों के पूर्ण गलियारे पर टोल प्लाजा पर पैरामेडिकल स्टाफ के साथ एम्बुलेंस के लिए प्रावधान किया है।

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