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COP16 में राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियों में आर्द्रभूमि की भूमिका

Lokesh Pal October 24, 2024 01:10 50 0

संदर्भ

कोलंबिया के कैली में आयोजित COP16 में प्रस्तुत ‘वेटलैंड इंटरनेशनल’ की हालिया रिपोर्ट में राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीतियों और कार्य योजनाओं (National Biodiversity Strategies and Action Plans- NBSAP) में आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।

जैविक विविधता अभिसमय (CBD)

जैविक विविधता अभिसमय (CBD) एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है, जो जैव विविधता के संरक्षण, इसके घटकों के सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने तथा आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों के उचित बँटवारे को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1993 से लागू है।

  • भारत इस संधि का एक पक्षकार है।
  • शासी निकाय: ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ (COP) में वे सरकारें शामिल होती हैं, जिन्होंने संधि की पुष्टि की है।
  • सचिवालय: मॉन्ट्रियल, कनाडा में अवस्थित है।
  • मुख्य समझौते
    • कार्टाजेना प्रोटोकॉल (Cartagena Protocol): वर्ष 2000 में अपनाया गया तथा वर्ष 2003 से लागू है, यह जीवित संशोधित जीवों (Living Modified Organisms- LMO) की सीमा पार आवाजाही को नियंत्रित करता है।
    • नागोया प्रोटोकॉल (Nagoya Protocol): वर्ष 2010 में अपनाया गया, यह आनुवंशिक संसाधनों तक पहुँच और उनके उपयोग से होने वाले लाभों के उचित बँटवारे के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी ढाँचा स्थापित करता है।
  • आईची लक्ष्य: COP-10 में, CBD ने ‘जैव विविधता के लिए रणनीतिक योजना, 2011-2020’ नामक कार्रवाई के लिए 10 वर्षीय रूपरेखा को अपनाया, जिसमें जैव विविधता संरक्षण के लिए 20 महत्त्वाकांक्षी लेकिन प्राप्त करने योग्य लक्ष्य निर्धारित किए गए।
  • COP16: जैविक विविधता अभिसमय (CBD) के लिए 16वाँ पार्टियों का सम्मेलन (COP16) कैली, कोलंबिया में शुरू होगा।
    • यह वर्ष 2022 में कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क  (Kunming-Montreal Global Biodiversity Framework- KMGBF) को अपनाने के बाद से पक्षकारों की यह पहली बैठक है।

संबंधित तथ्य 

  • यह समीक्षा COP15 के बाद आयोजित की गई, जहाँ देशों को कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) के अनुरूप अपने NBSAP को संशोधित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।
  • राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियाँ और कार्य योजनाएँ (NBSAP): ये राष्ट्रीय स्तर पर जैविक विविधता अभिसमय (CBD) को लागू करने के लिए देशों के लिए राष्ट्रीय रणनीतियाँ और कार्य योजनाएँ हैं।

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (KMGBF)

  • अंगीकरण: संयुक्त राष्ट्र जैविक विविधता अभिसमय (CBD) के 15वें पार्टियों के सम्मेलन (COP15) ने कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (GBF) 2022 को अपनाया।
  • उद्देश्य: पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण को रोकने के लिए वर्ष 2030 तक पृथ्वी के 30% भाग को संरक्षित करना।
  • लक्ष्य: इस ढाँचे में 4 लक्ष्य और 23 उपलक्ष्य हैं, जिन्हें विश्व को वर्ष 2030 तक हासिल करना है।
    • यह आईची जैव विविधता लक्ष्यों का स्थान लेगा।

‘NBSAP मे आर्द्रभूमियों के समावेशन का आकलन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • मूल्यांकन में दुनिया भर के 24 NBSAP शामिल हैं, जो जैविक विविधता अभिसमय के पक्षकार 196 देशों में से 12 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • अधिकांश प्रस्तुतियाँ यूरोप (10) से आईं, उसके बाद एशिया (7), अफ्रीका (2), उत्तरी अमेरिका (2), लैटिन अमेरिका और कैरिबियन (2) और ओशिनिया (1) से आईं। प्रस्तुत NBSAP में से 83 प्रतिशत ने अपने लक्ष्यों में स्पष्ट रूप से आर्द्रभूमि, अंतर्देशीय जल या मीठे जल का उल्लेख किया है।
    • अफ्रीका तथा ओशिनिया: 100% समावेशन दर।
    • यूरोप: 90% से अधिक समावेशन दर।
  • प्रमुख क्षेत्र बड़े पैमाने पर अनुपस्थित: अमेज़न नदी बेसिन और हडसन बे लोलैंड (Hudson Bay Lowland) जैसे प्रमुख आर्द्रभूमि क्षेत्रों को, उनके पर्यावरणीय महत्त्व के बावजूद, राष्ट्रीय रणनीतियों में शायद ही कभी शामिल किया गया।
  • कार्रवाई का आह्वान
    • स्पष्ट लक्ष्यों की आवश्यकता: रिपोर्ट NBSAP मे आर्द्रभूमि संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए स्पष्ट, मापनीय लक्ष्य स्थापित करने के महत्त्व पर जोर देती है। 
    • व्यापक प्रभाव: राष्ट्रीय रणनीतियों में आर्द्रभूमि एकीकरण को बढ़ाने से वैश्विक जैव विविधता तथा इन पारिस्थितिकी प्रणालियों पर निर्भर समुदायों दोनों को लाभ होगा।

आर्द्रभूमि के प्रकार

  • प्राकृतिक आर्द्रभूमि: इनमें उच्च ऊँचाई वाली हिमालयी झीलें, प्रमुख नदियों के बाढ़ के मैदानों में आर्द्रभूमि, शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में खारी और अस्थायी आर्द्रभूमि, साथ ही तटीय आर्द्रभूमि जैसे लैगून, बैकवाटर, मुहाना, मैंग्रोव दलदल और प्रवाल भित्तियाँ शामिल हैं।
  • मानव निर्मित आर्द्रभूमि: इन आर्द्रभूमियों का निर्माण विशिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे सिंचाई एवं पेयजल भंडारण, मछली उत्पादन या मनोरंजक उपयोग।
    • उदाहरण: जलाशय, जलकृषि तालाब, साल्ट पैन, बाँध, बैराज, अंतर्देशीय झीलें और पारंपरिक गाँव के तालाब।

आर्द्रभूमि के बारे में

  • आर्द्रभूमि वे क्षेत्र हैं, जिसमें जलीय क्षेत्र शामिल होते हैं या वर्ष के कुछ समय या पूरे समय जल की मौजूदगी होती है।
    • उदाहरण के लिए: दलदल, दलदली भूमि, पंक और बाढ़ के मैदान।
  • वे भूमि और जल के बीच संक्रमणकालीन क्षेत्र हैं और आमतौर पर नदी के किनारों, तटों और निचले इलाकों में पाए जाते है।

आर्द्रभूमि का महत्त्व

  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ: वे जल की गुणवत्ता, वन्यजीवों के आवास, बाढ़ के जल के भंडारण और शुष्क अवधि के दौरान जल प्रवाह को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • जैव विविधता योगदान: वे दुनिया की 40% जैव विविधता का समर्थन करते हैं, लेकिन सबसे तेजी से लुप्त होने वाला पारिस्थितिकी तंत्र हैं।
  • कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन: आर्द्रभूमि, विशेष रूप से पीटलैंड्स, महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक हैं, जो अपनी वनस्पति एवं मृदा में बड़ी मात्रा में कार्बन संगृहीत करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करता है।
  • भूजल पुनर्भरण: वे जल को भूमि में रिसने देकर भूजल आपूर्ति के पुनर्भरण में योगदान करते है।
  • आजीविका और आर्थिक संसाधन: आर्द्रभूमि मछली पकड़ने, कृषि और पर्यटन के माध्यम से लाखों लोगों की आजीविका का समर्थन करती हैं। वे विभिन्न उद्योगों के लिए भोजन, फाइबर और कच्चे माल जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करती हैं।

आर्द्रभूमि के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

  • आवास विनाश और भूमि उपयोग परिवर्तन: शहरीकरण, कृषि और औद्योगिक विकास के कारण अक्सर आर्द्रभूमियाँ सूख जाती हैं या वहाँ जलभराव हो जाता है या बुनियादी ढाँचे या कृषि के लिए उनको परिवर्तित कर दिया जाता है।
    • अत्यधिक मछली पकड़ना, शिकार करना तथा संसाधनों का असंतुलित उपयोग जैव विविधता को नष्ट कर देता है तथा आर्द्रभूमियों के पारिस्थितिकी संतुलन को परिवर्तित कर देता है।
  • प्रदूषण: कृषि और उद्योग से निकलने वाला अपवाह पोषक तत्त्वों की अधिकता, रासायनिक संदूषण और सुपोषण का कारण बनता है।
  • जल निष्कर्षण: कृषि और उद्योग के लिए अत्यधिक उपयोग से जल स्तर कम हो जाता है, जिससे आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होता है।
  • आक्रामक प्रजातियाँ: विदेशी पौधे और जानवर देशी प्रजातियों से प्रतिस्पर्द्धा करते हैं और आवासों को बदल देते हैं। 
    • उदाहरण: असम के दीपोर बील में जलकुंभी के कारण भारी मात्रा में गाद जमा हो गई है।
  • जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान, वर्षा में परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से आर्द्रभूमि की स्थिरता को खतरा है।
    • उदाहरण: अन्य तटीय क्षेत्रों की तुलना में सुंदरबन को समुद्र स्तर में लगभग दोगुनी वृद्धि का सामना करना पड़ता है।

आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर पहल

  • रामसर अभिसमय 
    • यह एक अंतर-सरकारी संधि है, जिसे 2 फरवरी, 1971 को कैस्पियन सागर के दक्षिणी तट पर ईरानी शहर रामसर में अपनाया गया था।
    • भारत में यह 1 फरवरी, 1982 को लागू हुई, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि को रामसर स्थल घोषित किया गया।
  • विश्व आर्द्रभूमि दिवस: यह प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को मनाया जाता है।
    • यह दिन 2 फरवरी, 1971 को ईरान के रामसर में आर्द्रभूमि पर कन्वेंशन (रामसर कन्वेंशन) को अपनाए जाने की तिथि को चिह्नित करता है।
  • मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड
    • यह अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित आर्द्रभूमि स्थलों का एक सूची है, जहाँ तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण पारिस्थितिकी परिवर्तन हुए हैं या हो रहे हैं या होने की संभावना है।
    • यह रिकॉर्ड रामसर सूची के हिस्से के रूप में बनाए रखा जाता है।
    • मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड के तहत भारत में रामसर स्थल: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और लोकटक झील।
  • ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक (Global Wetland Outlook): यह वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन द्वारा जारी एक व्यापक रिपोर्ट है, जो विश्व में वेटलैंड्स की स्थिति और प्रवृत्तियों का आकलन प्रदान करती है।
  • वेटलैंड सिटी को मान्यता (Wetland City Accreditation- WCA)
    • WCA एक स्वैच्छिक मान्यता प्रणाली है, जिसे रामसर कन्वेंशन द्वारा 12 वें अनुबंध पक्षों के सम्मेलन, 2015 के दौरान स्थापित किया गया था, ताकि उन शहरों को मान्यता दी जा सके, जिन्होंने अपने शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा के लिए असाधारण कदम उठाए हैं।
    • WCA 6 वर्षों के लिए वैध है।

भारत में आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए पहल

  • अमृत ​​धरोहर क्षमता निर्माण योजना (Amrit Dharohar Capacity Building Scheme)
    • यह पर्यटन मंत्रालय तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
    • यह कार्यक्रम जून 2023 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील आर्द्रभूमि पर पर्यटन प्रथाओं को बदलना है, जिसमें रामसर स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना (National Plan for Conservation of Aquatic Ecosystems- NPCA): यह आर्द्रभूमि और झीलों दोनों के संरक्षण के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे केंद्रीय पर्यावरण और वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • भारत की आर्द्रभूमि पोर्टल: यह आर्द्रभूमि के लिए एक गतिशील ज्ञान भंडार है, जो एकल बिंदु पहुँच प्रणाली प्रदान करता है, जो देश के आर्द्रभूमि स्थलों, परियोजनाओं, पहलों और प्रशिक्षण के बारे में सूचना प्रसार को संश्लेषित करता है।
    • यह पोर्टल देश के लोगों को आर्द्रभूमियों के बारे में अधिक जानने तथा उनके संरक्षण और प्रबंधन में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (KMGBF) के अंतर्गत वर्ष 2030 तक जैव विविधता लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए कार्रवाई करने हेतु देशों के लिए एक रोडमैप के रूप में कार्य करती है।

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