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EEZ में मत्स्यपालन के सतत् दोहन के नियम

Lokesh Pal November 11, 2025 03:42 36 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मत्स्य पालन के सतत् उपयोग हेतु नियमों को अधिसूचित किया है।

बजट घोषणा (वर्ष 2025–26)

  • भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2025–26 में घोषणा की थी कि भारत मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
  • समुद्री खाद्य निर्यात का मूल्य ₹60,000 करोड़ है।
  • समुद्री क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता को उपयोग में लाने हेतु सरकार भारतीय EEZ और हाई सीज में सतत् मत्स्य संसाधन दोहन के लिए एक सक्षम ढाँचा तैयार करेगी,
    • जिसमें विशेष ध्यान अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह पर रहेगा।

EEZ में सतत् मत्स्य पालन हेतु नियमों के बारे में 

  • इन नियमों का उद्देश्य भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में सतत् मत्स्य संसाधन दोहन के लिए एक समग्र ढाँचा तैयार करना है।
  • विजन: यह पहल समावेशी, समृद्ध और सतत् ब्लू इकोनॉमी के विजन के अनुरूप है और बजट 2025–26 की घोषणा को मूर्त रूप देती है।
  • विशेष क्षेत्रीय ध्यान: अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह तथा लक्षद्वीप द्वीपसमूह, जो मिलकर भारत के EEZ के लगभग 49% हिस्से का निर्माण करते हैं।

मुख्य चुनौती 

भारत के EEZ की पूरी क्षमता, विशेषकर उच्च-मूल्य संसाधनों (जैसे- टूना मछली) का दोहन अब तक सीमित रहा है।

  • वर्तमान में श्रीलंका, मालदीव, इंडोनेशिया, ईरान और यूरोपीय देश हिंद महासागर में टूना मत्स्य संसाधनों का बड़ी मात्रा में दोहन कर रहे हैं।
  • भारतीय नौकाएँ केवल तटीय क्षेत्रों तक सीमित रही हैं। इन नई EEZ नियमों से गहरे समुद्री मत्स्य क्षेत्र में भारत की भागीदारी बढ़ेगी।

टूना मछली के बारे में 

  • यह एक लवणीय जल की मछली है, इसे इसकी तेज तैरने की क्षमता और पतले, सुव्यवस्थित शरीर के लिए जानी जाती है।
  • यह उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण महासागरों में पाई जाती है।
  • टूना का मांस प्रोटीन से भरपूर, कम संतृप्त वसा और ओमेगा-3 फैटी एसिड से समृद्ध होता है।
    • यह हृदय स्वास्थ्य, मस्तिष्क क्रियाओं और संक्रमण में कमी के लिए लाभकारी है।

रियलक्राफ्ट (ReALCRaft) पोर्टल के बारे में

  • यह मत्स्यपालन आधारित जहाजों के पंजीकरण और लाइसेंसिंग, स्वामित्व हस्तांतरण और संबंधित प्रक्रियाओं के लिए समुद्री मछुआरों और तटीय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वेब-आधारित, नागरिक-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करता है।
  • मत्स्यपालन विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया गया है।
  • इस पोर्टल पर पंजीकृत मत्स्यन संबंधित जहाजों को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मत्स्यन के लिए ‘एंट्री पास’ प्राप्त करने से छूट दी जाएगी।

मुख्य विशेषताएँ

  • सहकारी संस्थाओं और FFPOs को सशक्तीकरण: गहन समुद्र मत्स्यपालन के लिए मछुआरा सहकारी समितियों और ‘फिश फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन्स’ (FFPOs) को प्राथमिकता दी जा रही है।
    • RBI की निगरानी में ‘मदर-एंड-चाइल्ड वेसल मॉडल’ के अंतर्गत मध्य-समुद्रीय ट्रांसशिपमेंट की अनुमति दी गई है।
    • समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ाने के लिए मूल्य संवर्द्धन, निगरानी क्षमता और प्रमाणीकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
    • समुदाय-नेतृत्व, प्रौद्योगिकी-सक्षम मत्स्य प्रबंधन पर बल।
  • व्यापक समर्थन और क्षमता निर्माण: प्रसंस्करण से लेकर निर्यात तक संपूर्ण मत्स्यपालन मूल्य शृंखला में प्रशिक्षण, अनुभव और क्षमता निर्माण।
    • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और मत्स्यपालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF) के अंतर्गत वहनीय ऋण तक पहुँच।
    • तटीय समुदायों की तकनीकी और उद्यमशीलता क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
  • सततता और संसाधन संरक्षण 
    • हानिकारक मत्स्यपालन प्रथाओं पर प्रतिबंध: LED लाइट फिशिंग, पेयर ट्रॉलिंग, और बुल ट्रॉलिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
    • मछलियों के न्यूनतम वैध आकार के मानकों और मत्स्य प्रबंधन योजनाओं की शुरुआत राज्यों के परामर्श से की जाएगी।
    • समुद्र के निकटवर्ती पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव कम करने के लिए समुद्री कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा (जैसे—C केज फार्मिंग और समुद्री शैवाल की खेती)।
    • छोटे पैमाने के मछुआरों को गहरे समुद्र के संसाधनों तक पहुँच और टूना जैसी उच्च मूल्य वाली प्रजातियों के निर्यात के लिए लक्षित समर्थन।
  • डिजिटल एक्सेस पास प्रणाली (ReALCRaft एकीकरण): मशीनीकृत नौकाओं को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मत्स्यन के लिए रियलक्राफ्ट पोर्टल के माध्यम से निःशुल्क एक्सेस पास प्राप्त करना आवश्यक होगा, जिससे पारदर्शी और पेपरलेस संचालन सुनिश्चित होगा।
    •  गैर-मशीनीकृत या छोटे मशीनीकृत नौकाओं का उपयोग करने वाले पारंपरिक और छोटे पैमाने के मछुआरों को छूट दी जाएगी।
  • नियामक और कानूनी सुधार: भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से की गई मत्स्यन गतिविधियों को सीमा शुल्क और निर्यात उद्देश्यों के लिए “भारतीय मूल” के रूप में मान्यता दी जाएगी (उन्हें आयात नहीं माना जाएगा)।
    • अवैध, अप्रतिबंधित, और अनियंत्रित (IUU) मत्स्यपालन से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना का गठन किया जाएगा।
    • समुद्री शासन के अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप नीतियों का संरेखण किया जाएगा।
  • सुरक्षा, संरक्षा और निगरानी: सभी मछुआरों और नौकाओं के लिए अनिवार्य ट्रांसपोंडर और क्यूआर-कोडेड आधार/फिशर आईडी कार्ड जारी किए जाएँगे।
    • रियलक्राफ्ट (ReALCRaft) का ‘नभमित्र एप्लिकेशन के साथ एकीकरण किया जाएगा ताकि वास्तविक समय में ट्रैकिंग, संचार और नेविगेशन सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
    • भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के साथ तटीय सुरक्षा समन्वय को सुदृढ़ किया जाएगा।
  • अपेक्षित प्रभाव
    • छोटे पैमाने के मछुआरों और सहकारी समितियों का सशक्तीकरण। 
    • गहरे समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग। 
    • समुद्री खाद्य निर्यात और विदेशी मुद्रा आय में विस्तार।
    • समुद्री सुरक्षा, ट्रेसबिलिटी और तटीय सुरक्षा को सुदृढ़ किया जाएगा।
    • आधुनिक, पारदर्शी और समावेशी मत्स्य शासन मॉडल को प्रोत्साहन मिलेगा।

अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के बारे में

  • वर्ष 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के अनुसार, विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) किसी देश की तटरेखा से 200 नॉटिकल मील (370 किलोमीटर) तक विस्तारित होता है।
    • यह किसी देश को समुद्री संसाधनों की खोज और उपयोग के विशेष अधिकार प्रदान करता है।
  • उपयोग: इसमें पवन और जल से ऊर्जा उत्पन्न करना, तेल तथा प्राकृतिक गैस का दोहन शामिल है।
  • अपवाद: यह 200 नॉटिकल मील से आगे के महाद्वीपीय शेल्फ या क्षेत्रीय सागर को शामिल नहीं करता, लेकिन इसमें सन्निकट क्षेत्र शामिल होता है।
  • तटीय राज्य के अधिकार
    • संसाधन प्रबंधन: देश जीवित और निर्जीव दोनों संसाधनों की खोज, उपयोग और प्रबंधन कर सकता है।
    • ऊर्जा उत्पादन: यह पवन, जल और समुद्री धाराओं से ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
    • संरचनाएँ: कृत्रिम द्वीपों और अन्य संरचनाओं का निर्माण और उपयोग कर सकता है।
    •  अनुसंधान: इस क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान कर सकता है।
    • पर्यावरण संरक्षण: समुद्री पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए जिम्मेदार होता है।

भारत का अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)

  • 18वाँ सबसे बड़ा EEZ: भारत का अनन्य आर्थिक क्षेत्र 23,05,143 वर्ग किलोमीटर (890,021 वर्ग मील) क्षेत्र में विस्तृत है।
  • शामिल क्षेत्र: लक्षद्वीप द्वीप (लक्षद्वीप सागर में) और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में)।
  • सीमाएँ: पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण में मालदीव और श्रीलंका, तथा पूर्व में बांग्लादेश, म्याँमार, थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया से संलग्न हैं।
  • EEZ का महत्त्व
    • संसाधन पहुँच: तेल, गैस, खनिज और वाणिज्यिक मत्स्य संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करता है।
    • रणनीतिक लाभ: नौवहन की स्वतंत्रता, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाता है।
    • वर्तमान उपयोग: भारत वर्तमान में 3.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष समुद्री मत्स्य संसाधनों का उपयोग करता है, जबकि इसकी संभावित क्षमता 3.92 मिलियन टन है।
  • कानूनी ढाँचा
    • वर्ष 1976 का अधिनियम: भारत ने “क्षेत्रीय जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976” के तहत EEZ को परिभाषित किया।
    • UNCLOS की पुष्टि: भारत ने जून 1997 में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) की पुष्टि की।
    •  मत्स्यपालन के नियम: “भारत के समुद्री क्षेत्र (विदेशी नौकाओं द्वारा मछली पकड़ने के नियमन) अधिनियम, 1981” विदेशी नौकाओं द्वारा बिना लाइसेंस मत्स्यन पर प्रतिबंध लगाता है और भारतीय गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
  • संरक्षण और प्रबंधन
    • भारतीय तटरक्षक बल: तट की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • अंडमान और निकोबार कमांड: भारतीय सेना का अपतटीय कमांड है, जो अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की रक्षा के लिए जिम्मेदार है।

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