100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

रूस द्वारा तालिबान को मान्यता 

Lokesh Pal August 02, 2025 02:33 14 0

संदर्भ

हाल ही में रूस तालिबान शासित इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान को आधिकारिक रूप से मान्यता देने वाला पहला देश बन गया।

संबंधित तथ्य 

  • रूस ने वर्ष 2021 से काबुल में अपने दूतावास को कार्यशील रखते हुए वास्तविक जुड़ाव बनाए रखा है।
  • चीन, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, तुर्की और पाकिस्तान जैसे अन्य देशों के साथ अनौपचारिक संबंध हैं, लेकिन कोई औपचारिक मान्यता नहीं है।

तालिबान: ऐतिहासिक अवलोकन

उत्पत्ति और उदय (वर्ष 1994-2001)

  • वर्ष 1994 में कंधार में मुल्ला मोहम्मद उमर और अन्य धार्मिक छात्रों द्वारा गठित।
  • सोवियत संघ की वापसी (वर्ष 1989) के बाद, गृहयुद्ध और अस्थिरता के बीच, इसका उदय हुआ।
  • वर्ष 1996 तक अफगानिस्तान के लगभग 90% हिस्से पर नियंत्रण कर लिया और शरिया कानून द्वारा शासित एक सख्त इस्लामी अमीरात की स्थापना की।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग, केवल पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा मान्यता प्राप्त।
  • 9/11 के हमलों के बाद वर्ष 2001 में अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद अपदस्थ।

विद्रोह और वापसी (वर्ष 2001-2021)

  • तालिबान ने नाटो और अफगान सरकार के विरुद्ध 20 वर्ष तक विद्रोह किया।
  • अमेरिका-तालिबान दोहा समझौते (2020) के तहत अमेरिका और नाटो सेनाओं की वापसी हुई।
  • तालिबान ने 15 अगस्त, 2021 तक अफगानिस्तान पर फिर से अधिकार कर लिया और इस्लामिक अमीरात की पुनर्स्थापना की

रूस ने तालिबान को मान्यता क्यों दी?

  • सुरक्षा हित: आतंकवाद-रोधी प्राथमिकता: ISKP (इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत) रूस के लिए सबसे बड़ा आतंकवादी खतरा बन गया है।
    • तालिबान, अतीत की शत्रुता के बावजूद, ISKP के विरुद्ध एक कमजोर और प्रभावी ढाल के रूप में देखा जाता है, जो वैचारिक रूप से मॉस्को और तालिबान दोनों के प्रति शत्रुतापूर्ण है।
  • मध्य एशिया में सामरिक प्रभाव: रूस का लक्ष्य मध्य एशियाई गणराज्यों (ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान आदि) में प्रभुत्व बनाए रखना है।
    • अफगानिस्तान की सीमा ताजिकिस्तान से संलग्न है और यह क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • भू-आर्थिक हित: अफगानिस्तान को दक्षिण एशिया और हिंद महासागर के लिए एक पारगमन गलियारे के रूप में देखा जाता है।
    • रूस और उज्बेकिस्तान द्वारा समर्थित ट्रांस-अफगान रेलवे परियोजना, मध्य एशिया को दक्षिण एशिया से जोड़ती है।
  • वास्तविक राजनीति और महाशक्ति प्रतिस्पर्द्धा: रूस चीन के शुरुआती कूटनीतिक कदमों की बराबरी करना चाहता है, जिनमें शामिल हैं:
    • चीन ने फरवरी 2024 में तालिबान के राजदूत को स्वीकार किया।
    • अफगान तेल, ताँबा और लीथियम में चीनी निवेश।
    • मान्यता रूस को अफगानिस्तान और यूरेशिया में रणनीतिक और आर्थिक प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्द्धा करने की अनुमति देती है।
    • अमेरिका की वापसी (फरवरी 2021) ने अफगानिस्तान में शक्ति शून्यता की स्थिति पैदा कर दी है, जिससे क्षेत्रीय शक्तियाँ (भारत, ईरान, चीन, रूस) प्रभाव स्थापित करने के लिए आकर्षित हुईं।
  • पश्चिम को विदेश नीति संदेश: तालिबान को अलग-थलग करने की पश्चिमी सहमति को कमजोर करने के उद्देश्य से।
    • यह रूस के उत्तर-पश्चिमी विश्व व्यवस्था’ की ओर झुकाव का संकेत देता है, जहाँ हित वैचारिक मानदंडों पर प्रभावी होते हैं।
  • घरेलू राजनीतिक और प्रतीकात्मक कारक: दिसंबर 2024 में, रूस ने तालिबान को आतंकवादी संगठनों की अपनी आधिकारिक सूची से हटा दिया।
    • इस प्रकार की मान्यता कानूनी और कूटनीतिक रूप से तैयार प्रतीत होती है।

अफगानिस्तान का भू-राजनीतिक महत्त्व

  • भौगोलिक चौराहा: मध्य, दक्षिण और पश्चिम एशिया को जोड़ता है; ट्रांस-अफगान रेलवे और व्यापार गलियारों के लिए महत्त्वपूर्ण।
  • दक्षिण एशिया का प्रवेश द्वार: रूस और चीन इसे भारत और पाकिस्तान जैसे बाजारों तक पहुँचने के लिए महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
  • पाकिस्तान के लिए रणनीतिक गहराई: प्रायः इसे रणनीतिक पश्चगामी’ के दृश्य से देखा जाता है, जो काबुल-इस्लामाबाद की गतिशीलता को प्रभावित करता है।
  • प्राकृतिक संसाधन: अनुमानित 1 ट्रिलियन डॉलर के अप्रयुक्त खनिज (जैसे- लीथियम, ताँबा); चीनी और रूसी हितों को बढ़ावा देते हैं।
  • आतंकवाद-विरोधी प्रासंगिकता: ISKP का आधार; अफगानिस्तान में सुरक्षा सीधे क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करती है।
  • इस्लामी दुनिया में प्रभाव: तालिबान की वास्तविक शक्ति पश्चिम एशिया से दक्षिण पूर्व एशिया तक वैचारिक उछाल पैदा करती है।
  • जल राजनीति: काबुल नदी और अमु दरिया पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशिया के लिए महत्त्वपूर्ण सीमा पार नदियाँ हैं।

भारत-अफगानिस्तान संबंध: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

प्राचीन काल

  • सिंधु घाटी सभ्यता: ऐतिहासिक संबंध सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े हैं, जहाँ व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रमुख थे।
  • गांधार क्षेत्र: आधुनिक अफगानिस्तान का हिस्सा, गांधार, वैदिक युग में 16 महाजनपदों में से एक था। यह मौर्य साम्राज्य द्वारा शुरू किए गए बौद्ध धर्म का केंद्र था।
    • बामियान बुद्ध: इन भव्य मूर्तियों ने इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रभाव को उजागर किया।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: अफगानिस्तान सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भारत में इस्लाम के प्रसार का प्रवेश द्वार रहा।
  • राजनीतिक एकीकरण: मुगलों सहित भारतीय उपमहाद्वीप के कई शासकों की जड़ें अफगानिस्तान में थीं, जिससे दोनों क्षेत्रों का आपस में गहरा संबंध था।

औपनिवेशिक युग

  • आंग्ल-अफगान संबंध: अफगानिस्तान की रणनीतिक स्थिति के कारण ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच कई संघर्ष हुए, जिनमें आंग्ल-अफगान युद्ध (1839-1842, 1878-1880) भी शामिल हैं।
  • डूरंड रेखा: वर्ष 1893 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित इस सीमा रेखा ने इस क्षेत्र में दीर्घकालिक विवाद और अस्थिरता पैदा की।

स्वतंत्रता के बाद

  • मैत्री संधि (1950): भारत और अफगानिस्तान ने औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए, जिसमें पारस्परिक सम्मान और संप्रभुता पर जोर दिया गया।
  • अफगानिस्तान की तटस्थता: एशियाई संबंध सम्मेलन (1947) में भागीदारी ने भारत के साथ तटस्थता और मैत्रीपूर्ण संबंधों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
  • सोवियत-अफगान संबंध (1979-1989): शीत युद्ध के दौरान भारत ने सोवियत समर्थित अफगान सरकार का समर्थन किया, ऐसा करने वाला वह एकमात्र दक्षिण एशियाई देश था।

आधुनिक युग

वर्ष 2021 से पूर्व की नियुक्ति

  • सुरक्षा चिंताओं, विशेषतः कश्मीर विद्रोह के कारण, तालिबान का ऐतिहासिक रूप से विरोध किया।
  • तालिबान-विरोधी उत्तरी गठबंधन (वर्ष 1996- वर्ष 2001) को आर्थिक और सैन्य रूप से समर्थन दिया।
  • वर्ष 2001 के बाद, अफगानिस्तान के बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण निवेश ($3 बिलियन) किया: सलमा बाँध, अफगान संसद, जरांज-डेलाराम राजमार्ग।
  • तालिबान के बाद (2001): तालिबान के पतन के बाद भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, बुनियादी ढाँचे और क्षमता निर्माण परियोजनाओं के लिए $3 बिलियन से अधिक की प्रतिबद्धता जताई।
    • सलमा बाँध (अफगान-भारत मैत्री बाँध): वर्ष 2016 में पूर्ण हुआ।
    • जरांज-डेलाराम राजमार्ग: चाबहार बंदरगाह के माध्यम से ईरान के साथ व्यापार को सुगम बनाया गया।

तालिबान के अधिकार के बाद (वर्ष 2021 के बाद)

  • अप्रत्यक्ष राजनयिक माध्यमों (दोहा वार्ता) के माध्यम से प्रारंभिक संपर्क।
  • व्यावहारिक, सीमित संपर्क के लिए काबुल में भारतीय दूतावास (जून 2022) पुनः खोला गया।
  • संसाधनों की कमी के कारण नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास (अक्टूबर 2023) बंद हो गया।
  • भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच दुबई में उच्च स्तरीय बैठक (जनवरी 2025)
  • तालिबान युग (वर्ष 1996- वर्ष 2001): तालिबान शासन के दौरान संबंधों में शिथिलता आ गई, जो कंधार अपहरण (1999) जैसी घटनाओं से चिह्नित है।

भारत के लिए निहितार्थ

  • कूटनीतिक अलगाव: भारत ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है; विकासशील अफगान कूटनीति से बाहर रखे जाने का जोखिम है।
  • सुरक्षा खतरे: ISKP और तालिबान लश्कर-ए-तैयबा के बढ़ते संबंधों से कश्मीर में आतंकवाद फैलने की आशंकाएँ बढ़ गई हैं।
  • भू-आर्थिक चुनौतियाँ: अफगान बुनियादी ढाँचे (जैसे- सलमा बाँध, संसद) में भारत का 3 अरब डॉलर का निवेश अब असुरक्षित है।
  • सॉफ्ट पॉवर का ह्रास: चीन-रूस-पाकिस्तान संबंधों के बीच भारत की विकासात्मक साख कम हुई है।
  • चाबहार और INSTC प्रभावित: क्षेत्रीय अस्थिरता ईरान के रास्ते मध्य एशिया तक भारत की व्यापारिक पहुँच को कमजोर कर सकती है।
  • SCO पर रणनीतिक नजर: चीन सितंबर 2025 में तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में तालिबान को मान्यता देने के लिए दबाव डाल सकता है।
  • कूटनीतिक दुविधा: सिद्धांतों से समझौता किए बिना ईरान, मध्य एशिया और तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान के साथ संबंधों को संतुलित करना।

तालिबान के साथ भारत की हालिया वार्ता

  • रणनीतिक कूटनीति: भारत ने वर्ष 2021 से दोहा में अलग विकल्प के माध्यम से तालिबान के साथ अनौपचारिक संपर्क बनाए रखा है।
    • अमेरिका की वापसी के बाद भारतीय हितों की रक्षा और अफगानिस्तान में भारतीय संपत्तियों/परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • काबुल में भारतीय दूतावास का पुनः उद्घाटन: जून 2022 में, भारत ने सीमित संचालन फिर से शुरू करने के लिए अपने काबुल दूतावास में एक ‘तकनीकी टीम’ तैनात की।
    • मानवीय सहायता समन्वय और खुफिया संपर्क, औपचारिक मान्यता नहीं।
  • मानवीय सहायता: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में 47,000 मीट्रिक टन से अधिक गेहूँ, 5,00,000 कोविड टीके और आवश्यक दवाएँ वितरित की हैं।
    • तालिबान शासन को सीधे तौर पर वैध ठहराने से बचने के लिए संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से सहायता प्रदान की गई।
  • ISKP के खतरों के बाद सुरक्षा समन्वय: क्षेत्र में ISKP के खतरों और सिख अल्पसंख्यकों पर हमलों के बाद, भारत ने SCO और मॉस्को फॉर्मेट जैसे क्षेत्रीय तंत्रों के माध्यम से सुरक्षा साझाकरण का समन्वय किया।
  • तालिबान ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की: अफगान विदेश मंत्री ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की।
    • इसे तालिबान द्वारा स्वयं को एक जिम्मेदार संस्था के रूप में पेश करने की कोशिश के रूप में देखा गया; भारत ने इसे सतर्कतापूर्वक व्याख्यायित किया।
  • बहुपक्षीय मंचों पर सीमित सहभागिता: भारत ने मॉस्को फॉर्मेट और हार्ट ऑफ एशिया प्रक्रियाओं में तालिबान प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की, लेकिन औपचारिक द्विपक्षीय कूटनीति से दूरी बनाए रखी।
    • क्षेत्रीय शांति, आतंकवाद-निरोध और मानवीय प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित रहा।
  • औपचारिक मान्यता नीति का अभाव: विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सहभागिता का अर्थ मान्यता नहीं है।
    • भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के अनुरूप ‘समावेशी अफगान राजनीति’ और महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों का समर्थन करता है।

भारत के लिए चुनौतियाँ और अवसर

चुनौतियाँ

  • आतंकवादी जोखिम में वृद्धि: ISKP की गतिविधियों में वृद्धि और भारत विरोधी समूहों के लिए संभावित सुरक्षित पनाहगाह।
  • प्रभाव में कमी: अमेरिका की वापसी तथा भारत के सतर्क दृष्टिकोण से उत्पन्न सामरिक शून्य को रूस और चीन सक्रिय रूप से भर रहे हैं।
  • मानवाधिकारों की चिंता: भारत तालिबान द्वारा महिलाओं, अल्पसंख्यकों और लोकतांत्रिक मानदंडों के साथ किए जा रहे व्यवहार को लेकर चिंतित है।
  • संपर्क में बाधा: पाकिस्तान के माध्यम से भूमि संपर्क के अभाव के कारण भारत की अफगानिस्तान तक प्रत्यक्ष पहुँच संभव नहीं है।

अवसर

  • क्षेत्रीय मंचों पर लाभ: SCO, BRICS और मध्य एशिया के साथ द्विपक्षीय वार्ता का उपयोग कूटनीति के लिए किया जा सकता है।
  • अफगान लोगों की सद्भावना: अफगान नागरिक समाज में भारत की मानवीय सहायता और छात्रवृत्तियों का आज भी सम्मान किया जाता है।
  • शांत सहभागिता: दिल्ली ने कथित तौर पर दोहा के माध्यम से तालिबान के साथ अनौपचारिक संपर्क बनाए रखा है।
  • रणनीतिक संतुलन: रणनीतिक संतुलन हेतु चुनिंदा मुद्दों पर ईरान, मध्य एशियाई गणराज्यों (Central Asian Republics–CAR) तथा यहाँ तक कि रूस के साथ समन्वय की संभावना विद्यमान है।

भारत के लिए आगे की राह

  • सुनियोजित सहभागिता: पूर्ण मान्यता के बिना सीमित राजनयिक उपस्थिति (जैसे- मानवीय वाणिज्य दूतावास) फिर से शुरू करना।
  • गुप्त वार्ता: तालिबान की सही जानकारी और खतरों का आकलन करने के लिए गोपनीय स्तर की वार्ता जारी रखना।
  • जन-केंद्रित दृष्टिकोण: अफगान सद्भावना बनाए रखने के लिए छात्रवृत्ति, खाद्य सहायता और चिकित्सा सहायता का विस्तार करना।
  • क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करना: अफगान मामलों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने के लिए ईरान, उज्बेकिस्तान और रूस के साथ संबंधों को गहरा करना।
  • SCO की निगरानी करना: तालिबान की मान्यता पर वैश्विक मनोदशा का आकलन करने के लिए तियानजिन शिखर सम्मेलन (सितंबर 2025) का उपयोग करना।
  • सीमा सुरक्षा को मजबूत करना: विशेषतः कश्मीर एवं पंजाब क्षेत्रों में खुफिया समन्वय को सुदृढ़ करना आवश्यक है।
  • कथात्मक नेतृत्व: बहुपक्षीय मंचों पर लोकतांत्रिक मूल्यों, महिला अधिकारों और मानव सुरक्षा का समर्थन करना।

निष्कर्ष 

रूस द्वारा तालिबान को मान्यता देना उसकी रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, लेकिन भारत को अपनी सुरक्षा, आर्थिक हितों और क्षेत्रीय प्रभाव की रक्षा के लिए एक सतर्क, बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा। अफगानिस्तान के परिवर्तित भू-राजनीतिक परिदृश्य में आगे बढ़ने हेतु व्यावहारिक जुड़ाव और सैद्धांतिक कूटनीति के मध्य संतुलन स्थापित करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.