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सागरमाला 2.0

Lokesh Pal March 24, 2025 02:52 70 0

संदर्भ

चौथी राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (National Sagarmala Apex Committee-NSAC) ने सागरमाला कार्यक्रम (Sagarmala Programme) की समीक्षा की और सागरमाला 2.0 (Sagarmala 2.0) के रोडमैप पर चर्चा की। 

चौथी NSAC बैठक की मुख्य बिंदु

सागरमाला 2.0 का परिचय

  • यह सागरमाला कार्यक्रम का उन्नत संस्करण होगा, जिसमें जहाज निर्माण, मरम्मत, तोड़ने और पुनर्चक्रण पर नया ध्यान दिया जाएगा।
  • निवेश को बढ़ावा देने के लिए 40,000 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन की घोषणा की गई है।
  • समुद्री अमृत काल विजन (MAKV 2047) के साथ संरेखित, भारत को वैश्विक स्तर पर शीर्ष पाँच जहाज निर्माण देशों में स्थान दिलाएगा।

सागरमाला स्टार्टअप इनोवेशन इनिशिएटिव (S2I2) का शुभारंभ

  • इसका उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार, स्टार्टअप और उद्यमिता (RISE) को बढ़ावा देना है।
  • ग्रीन शिपिंग, स्मार्ट बंदरगाह, लॉजिस्टिक्स तकनीक, जहाज निर्माण और तटीय स्थिरता को प्रोत्साहित करता है।
  • समुद्री स्टार्टअप के लिए फंडिंग, मेंटरशिप और उद्योग भागीदारी प्रदान करता है।

सागरमाला कार्यक्रम के बारे में

  • केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया।
  • उद्देश्य: बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देना, रसद लागत को कम करना और तटीय व्यापार में सुधार करना।
  • सागरमाला कार्यक्रम के चार स्तंभ हैं:-
    • बंदरगाह आधुनिकीकरण और नए बंदरगाह विकास: मौजूदा बंदरगाहों की बाधाओं को दूर करना और उनकी क्षमता का विस्तार करना तथा नए ग्रीनफील्ड बंदरगाहों का विकास करना।
    • बंदरगाह संपर्क बढ़ाना: घरेलू जलमार्गों (अंतर्देशीय जल परिवहन और तटीय शिपिंग) सहित बहु-मॉडल लॉजिस्टिक्स समाधानों के माध्यम से बंदरगाहों की संपर्कता को बढ़ाना, कार्गो की आवाजाही की लागत और समय को अनुकूलित करना।
    • बंदरगाह से जुड़ा औद्योगिकीकरण: EXIM और घरेलू कार्गो की लॉजिस्टिक्स लागत और समय को कम करने के लिए बंदरगाह के निकट औद्योगिक क्लस्टर और तटीय आर्थिक क्षेत्र विकसित करना।
    • तटीय सामुदायिक विकास: कौशल विकास और आजीविका सृजन गतिविधियों, मत्स्य पालन विकास, तटीय पर्यटन आदि के माध्यम से तटीय समुदायों के सतत विकास को बढ़ावा देना।
  • सागरमाला के अंतर्गत परियोजनाएँ
    • 5.79 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 839 परियोजनाओं की योजना बनाई गई। 
    • 1.41 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 272 परियोजनाएँ पूरी हुईं। 
    • 2.91 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 234 बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजनाएँ, जिनमें से 103 पूरी हो चुकी हैं। 
    • 279 संपर्क परियोजनाएँ (2.06 लाख करोड़ रुपये), 92 पूरी हो चुकी हैं (1,500 किलोमीटर बंदरगाह संपर्क)। 
    • 14 औद्योगिकीकरण परियोजनाएँ (55,000 करोड़ रुपये), 9 पूरी हो चुकी हैं। 
    • तटीय सामुदायिक विकास के तहत 310 परियोजनाएँ (26,000 करोड़ रुपये) 30,000 से अधिक मछुआरों को लाभान्वित कर रही हैं।

भारत के समुद्री विकास पर सागरमाला का प्रभाव

  • तटीय शिपिंग में एक दशक में 118% की वृद्धि हुई। 
  • अंतर्देशीय जलमार्ग कार्गो में 700% की वृद्धि हुई। 
  • नौ भारतीय बंदरगाह दुनिया के शीर्ष 100 में शामिल हैं, जिनमें विजाग शीर्ष 20 कंटेनर बंदरगाहों में शामिल है।

सागरमाला 2.0 और S2I2 का महत्त्व  

  • बंदरगाहों के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देता है, बंदरगाहों की कार्यकुशलता को बढ़ाता है और समुद्री व्यापार को बढ़ावा देता है।
  • तटीय बुनियादी ढाँचे को मजबूत करता है, जिससे भारत एक वैश्विक समुद्री केंद्र बन जाता है।
  • यह भारत के विकासशील और आत्मनिर्भर भारत 2047 के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है।
  • यह समुद्री स्टार्टअप का समर्थन करता है, नवाचार एवं तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देता है।
  • जहाज निर्माण क्षमता का विस्तार करता है, जिसका लक्ष्य 4 मिलियन GRT जहाज निर्माण वृद्धि है।
  • बंदरगाह हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाकर सालाना 10 बिलियन मीट्रिक टन करता है।

भारतमाला और सागरमाला के बीच अंतर

पहलू

भारतमाला (Bharatmala)

सागरमाला (Sagarmala)

उद्देश्य तीव्र कनेक्टिविटी के लिए पूरे भारत में एक मजबूत सड़क नेटवर्क विकसित करना। बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देना तथा समुद्री व्यापार को बढ़ावा देना।
क्षेत्र राजमार्गों, एक्सप्रेसवे, सीमा सड़कों और आर्थिक गलियारों पर ध्यान केंद्रित करता है। बंदरगाहों, शिपिंग, अंतर्देशीय जलमार्गों और तटीय व्यापार पर ध्यान केंद्रित करता है।
कार्यान्वयन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा प्रबंधित। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा प्रबंधित।
मुख्य लाभ सड़क परिवहन की लागत कम होती है और अंतरराज्यीय व्यापार में सुधार होता है। तटीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है और निर्यात/आयात के लिए रसद लागत को कम करता है।
प्रारंभ वर्ष वर्ष 2017 वर्ष 2015

इन दोनों कार्यक्रमों का उद्देश्य क्रमशः सड़क और समुद्री संपर्क पर ध्यान केंद्रित करते हुए बुनियादी ढाँचे और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

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