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SAMBHAV: भारतीय सेना के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड मोबाइल प्रणाली (SAMBHAV: End-to-end encrypted mobile system for Indian Army)

Samsul Ansari January 15, 2024 03:41 299 0

संदर्भ 

भारतीय सेना ने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड मोबाइल प्रणाली ‘SAMBHAV’ विकसित की है।

संबंधित तथ्य 

  • SAMBHAV मोबाइल प्रणाली का उद्देश्य किसी भी परिस्थिति में तेज और सुरक्षित संचार उपलब्ध कराना है, जो भारत की रक्षा क्षमताओं में एक “महत्त्वपूर्ण प्रगति” है। ज्ञात हो कि यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप भी है।
  • योजना के दो चरणों में 35,000 SAMBHAV सेट के निर्माण की योजना है।
    • पहला चरण: 2,500 SAMBHAV सेट के निर्माण कार्य को 15 जनवरी, 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
    • दूसरा चरण: शेष SAMBHAV सेटों के निर्माण कार्य को 31 मई, 2024 तक समाप्त करना है।

SAMBHAV

  • ‘SAMBHAV’ एक स्वदेशी, सुरक्षित एवं एंड-टू-एंड मोबाइल प्रणाली है।
  • यह 5G आधारित एक सुरक्षित मोबाइल प्रणाली है, जिसका विकास भारतीय सेना के लिए शिक्षा और उद्योग के राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा किया गया है।
  • भारत की आवश्यकता के अनुरूप इसका उपयोग बुनियादी समस्याओं तथा नागरिक-सैन्य संबंधित मुद्दों के लिए किया जा सकता है।
  • ‘SAMBHAV’ निजी नेटवर्क के बजाय ‘वाणिज्यिक सेलुलर नेटवर्क’ का उपयोग करता है।

‘SAMBHAV’ की भूमिका

  • सूचना की सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का समाधान: ‘SAMBHAV’ भारतीय सेना के समक्ष आने वाली सूचना की सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के  समाधान हेतु एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
  • सुरक्षित संचार व्यवस्था: ‘SAMBHAV’ गतिमान स्थितियों में सुरक्षित एंड-टू-एंड संचार-व्यवस्था के लिए अत्याधुनिक 5G तकनीक का उपयोग करता है।
    • यह प्रणाली उन परिस्थितियों में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, जब आपके प्रचलित संचार माध्यमों पर नजर रखी जा रही हो।
  • एन्क्रिप्टेड प्रणाली: यह प्रणाली पूरी संचार प्रक्रिया में बहुस्तरीय एन्क्रिप्शन लागू करके  डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
    • इस एन्क्रिप्शन प्रणाली के माध्यम से संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रखा जाता है तथा साथ ही अनधिकृत प्रवेश को रोका जाता है।
  • स्वदेशी ‘सार्वजनिक सेलुलर नेटवर्क’ का लाभ: SAMBHAV की विशेष संरचना के कारण विभिन्न नेटवर्कों पर निर्बाध रूप से कार्यों का संचालन किया जा सकता है।
    • ‘SAMBHAV’ की इस विशेष क्षमता के कारण विशिष्ट सेलुलर नेटवर्क की परवाह किए बिना संपर्क बनाया जा सकता है तथा साथ ही सूचना की गोपनीयता बरकरार रखी जा सकती है।
  • स्वदेशी समाधान: स्वदेशी समाधान के रूप में ‘SAMBHAV’ का विकास ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्यों के अनुरूप है।
    • इसके निर्माण से महत्त्वपूर्ण तकनीकों के लिए विदेशी विक्रेताओं पर निर्भरता कम होती है, जिससे सूचना की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • उपयोगिता: इस प्रणाली की उपयोगिता को ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया गया है। वर्ष 2023 के मध्य तक 35,000 ‘SAMBHAV’ सेट के निर्माण का लक्ष्य है। खासकर इसकी उपयोगिता गतिशीलता और परिचालन गतिविधियों के दौरान सिद्ध होती है।

‘SAMBHAV’ प्रणाली की सीमाएँ 

  • कार्य-प्रणाली संबंधी चुनौतियाँ: ‘SAMBHAV’ को मौजूदा संचार प्रणालियों तथा सेना के अन्य बलों के साथ सामंजस्य बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसके लिए अतिरिक्त प्रयास एवं संसाधनों की आवश्यकता होगी।
  • साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: अपनी सुरक्षा सुविधाओं के बावजूद ‘SAMBHAV’ पूरी तरह से अचूक नहीं है। साइबर सुरक्षा के बढ़ते खतरों तथा संभावित साइबर हमलों के मद्देनजर इस प्रणाली में निरंतर सुधार की आवश्यकता है।
  • वित्तीय प्रतिबद्धता: ‘SAMBHAV’ जैसे सुरक्षित मोबाइल संचार प्रणाली को अद्यतन और सुरक्षित बनाए रखने के लिए पर्याप्त और निरंतर वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी।

भारतीय सेना की साइबर क्षमता में सुधार   

  • “संयोजित युद्ध के प्रमुख क्षेत्रों” में से साइबरस्पेस एक है, जहाँ युद्ध के दौरान ‘अवसर’ और ‘खतरा’ दोनों है।
    • इसके परिणामस्वरूप भारतीय सेना में संचार तथा तकनीक संबंधी बुनियादी ढाँचा में कई गुना सुधार हुआ है। 
    • साइबर शक्ति को मजबूत करने के लक्ष्यों में साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढाँचे की स्थापना, साइबर खतरों से निपटने के लिए क्षमता-विस्तार, साइबर क्षमताओं को एकीकृत करना तथा बहु-आयामी रणनीति को अपनाना आदि शामिल है।

साइबर क्षमता संबंधी भारतीय सेना का लक्ष्य 

  • त्रि-स्तरीय साइबर सुरक्षा: सेना ने एक मजबूत साइबर रक्षा तंत्र स्थापित किया है जिसमें कुशल कार्यबल, त्वरित संस्थागत प्रक्रिया और अत्याधुनिक तकनीक शामिल है।
  • साइबर खतरों को संबोधित करना: चौतरफा युद्ध से निपटने के लिए साइबरस्पेस एक प्रमुख साधन है तथा उन्नत तकनीक के माध्यम से साइबर खतरों एवं सुरक्षा जोखिमों का मुकाबला किया जा सकता है।
  • साइबर क्षमता को बढ़ाना: सेना की साइबर युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सेना की सभी कमानों में ‘कमांड साइबर ऑपरेशंस सपोर्ट विंग (CCOSWs)’ नामक विशेष इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं।
  • बहुस्तरीय दृष्टिकोण: राष्ट्रीय साइबर संस्थाएँ, CCOSWs और विशेष प्रशिक्षण के सहयोग से साइबर क्षमताओं को एकीकृत किया जा रहा है, जिसके आधार पर सेना अपनी सैन्य-कार्रवाइयों  के दौरान बेहतर युद्ध रणनीति बना सकती है।

निष्कर्ष

साइबर सुरक्षा से संबंधित व्यापक रणनीति में बुनियादी ढाँचे का विकास, साइबर खतरों को संबोधित करना, विभिन्न स्तरों पर तकनीकी क्षमताओं को एकीकृत करना तथा साइबर कौशल को बढ़ाने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाना आदि शामिल है।

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