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उच्चतम न्यायालय ने मानहानि का मामला खारिज किया

Lokesh Pal December 07, 2024 02:28 32 0

संदर्भ

उच्चतम न्यायालय ने एक प्रेस वार्ता में केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन की टिप्पणी को लेकर मुरासोली (Murasoli) ट्रस्ट द्वारा उनके विरुद्ध दायर आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को खारिज कर दिया।

मामले की मुख्य विशेषताएँ

  • आरोप: मानहानि की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि श्री मुरुगन ने दिसंबर 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऐसी टिप्पणी की थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि ट्रस्ट कानूनी अधिकारों के बिना पंचमी भूमि (दलित वर्ग की भूमि) पर कार्य कर रहा था, जिससे इसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा।
  • ट्रस्ट का पक्ष: ट्रस्ट ने तर्क दिया कि टिप्पणी जानबूझकर की गई थी और इससे ट्रस्ट की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा।
  • मंत्रीजी का पक्ष: उन्होंने स्पष्ट किया कि बयान राजनीतिक थे और उनका उद्देश्य ट्रस्ट को ‘बदनाम’ करना नहीं था।
  • उच्चतम न्यायालय का अवलोकन: दो न्यायाधीशों की बेंच ने राजनीतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संबंधी आवश्यकता पर प्रकाश डाला और टिप्पणी की कि राजनीतिक हस्तियों को आलोचना से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
    • ट्रस्ट ने श्री मुरुगन के स्पष्टीकरण को स्वीकार कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप मानहानि की कार्यवाही रद्द कर दी गई।

साइबर मानहानि 

  • ‘साइबर’ मानहानि से तात्पर्य किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से उसके बारे में ऑनलाइन माध्यम से गलत बयान देना है।
  • यह कई तरह से हो सकता है, जैसे: 
    • सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट
    • ब्लॉग या फोरम पर हानिकारक टिप्पणियाँ
    • ई-मेल या संदेशों में झूठे आरोप
    • ऑनलाइन भ्रामक या झूठी जानकारी साझा करना

भारत में मानहानि के मामले

  • परिभाषा: मानहानि से तात्पर्य ऐसे किसी भी ऐसे बयान से है, जो किसी व्यक्ति या संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाता है।
  • भारत में मानहानि कानूनों का वर्गीकरण: भारत में मानहानि दीवानी और फौजदारी दोनों कानूनों के तहत एक अपराध है।
    • भारत में दीवानी मानहानि कानून: मानहानि ‘टोर्ट’ कानून के अतर्गत दंडनीय है, जिसमें दावेदार को हर्जाना देने के रूप में सजा दी जाती है।
      • अपकृत्य (Tort) एक सिविल अपराध है, जिसके कारण दावेदार को हानि या नुकसान होता है, जिसके परिणामस्वरूप अपकृत्य कार्य करने वाले व्यक्ति पर कानूनी दायित्व उत्पन्न होता है।
    • भारत में आपराधिक मानहानि कानून: मानहानि एक जमानती, गैर-संज्ञेय और समझौता योग्य अपराध है।
    • आपराधिक मानहानि की मुख्य विशेषताएँ
      • यह सिद्ध होना चाहिए कि बयान प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से दिया गया है।
      • यदि बयान सार्वजनिक कल्याण के लिए दिया गया है, तो सत्य एक बचाव है।
  • भारत में मानहानि कानून
    • भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS): मानहानि के अपराध में दो वर्ष तक की साधारण कारावास या जुर्माना अथवा दोनों या सामुदायिक सेवा का प्रावधान है।
      • BNS की धारा 354 मानहानि को परिभाषित करती है और IPC की धारा 499 के अनुरूप है।
    • भारतीय दंड संहिता (IPC): मानहानि के अपराध के लिए 2 वर्ष तक का साधारण कारावास या जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है। आपराधिक मानहानि का कानून IPC, 1860 की धारा 499, 500, 501 और 502 में वर्णित है।
    • सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000: IT अधिनियम, 2000 के अंतर्गत सोशल मीडिया के माध्यम से की गई मानहानि पर सभी संबंधित आपराधिक और सिविल कानून लागू होते हैं।
  • संवैधानिक प्रावधान
    • अनुच्छेद-19(1)(A): वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
    • अनुच्छेद-19(2): प्रतिष्ठा की रक्षा सहित इस स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है।

मानहानि मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा के बीच संतुलन: न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनावश्यक रूप से सीमित नहीं किया जाना चाहिए, विशेषतः  राजनीतिक अभिव्यक्ति में।
  • राजनेताओं की आलोचना के प्रति सहनशीलता: न्यायालय प्रायः राजनीतिक नेताओं को आलोचना के प्रति सहनशील होने की सलाह देता है, जैसा कि इस मामले में न्यायमूर्ति गवई की टिप्पणियों में देखा गया है।
  • पूर्ववर्ती मामले
    • सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ (2016): सर्वोच्च न्यायालय ने IPC के तहत आपराधिक मानहानि की संवैधानिकता को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा की सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करता है।
    • राजदीप सरदेसाई बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2020): न्यायालय ने पत्रकार राजदीप सरदेसाई के विरुद्ध मानहानि के मामले को खारिज कर दिया, रिपोर्टिंग में मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
    • अरुण जेटली बनाम अरविंद केजरीवाल (2018): आपसी समझौते के माध्यम से सुलझाए गए इस मामले ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे सार्वजनिक हस्तियाँ प्रायः लंबी मुकदमेबाजी के बिना मानहानि के विवादों को सुलझा लेती हैं।

मानहानि मामले पर वैश्विक दृष्टिकोण

  • सोशल मीडिया पर बढ़ती गतिविधियों के कारण, अधिकांश देशों में मानहानि के लिए सख्त कानून बनाए जा रहे हैं।
    • जापान ने वर्ष 2022 में आपराधिक मानहानि के लिए कठोर दंड की शुरुआत की, सजा अल्पकालिक हिरासत और 10,000 येन से कम के जुर्माने से बदलकर एक वर्ष की जेल की सजा की गई है, जिसमें कठोर श्रम की संभावना है और 3,00,000 येन तक का जुर्माना हो सकता है।
  • हालाँकि, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश मानहानि को एक सिविल अपराध मानते हैं।
    • वर्ष 1993 में, न्यूजीलैंड में आपराधिक मानहानि को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था।

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