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तटीय क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु योजनाएँ: NGT (Schemes for management of coastal areas: NGT)

Samsul Ansari January 17, 2024 03:08 491 0

संदर्भ 

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ को तटीय राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ‘तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (CZMP)’ बनाने को कहा है।

संबंधित तथ्य 

  • अगस्त 2023 में राष्ट्रीय तटीय क्षेत्रीय प्रबंधन प्राधिकरण (NCZMA) द्वारा जारी एक निर्देश के अनुसार, सभी तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों, जिन्होंने वर्ष 2019 की अधिसूचना के अनुसार, अपने तटीय क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु योजना नहीं बनाई है, उन्हें अपनी योजनाओं को 31 अक्टूबर, 2023 तक पूरा करना था।
  • गौरतलब है कि केवल तीन राज्यों (ओडिशा, कर्नाटक और महाराष्ट्र) ने तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना, 2019 के अनुसार अपनी योजनाएँ तैयार की हैं।
  • जारी अधिसूचना के अनुसार, केवल ग्रेट निकोबार और लिटिल अंडमान द्वीपसमूह ने  ‘तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (CZMP)’ को मंजूरी दी है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)

  • इसकी स्थापना वर्ष 2010 में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्र निपटान के लिए ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010’ के तहत की गई थी।
  • इस संस्था द्वारा सभी तरह के पर्यावरणीय विवादों का निपटान आवश्यक विशेषज्ञता और कुशलता के निरीक्षण में किया जाएगा।
  • ‘सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908’ की निर्धारित नियमावली के तहत ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ बाध्य नहीं है बल्कि यह अधिकरण प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।

तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना 

  • तटीय क्षेत्रों का प्रबंधन: इसमें पर्यावरण, आर्थिक, मानव स्वास्थ्य और मानवीय गतिविधियों को संतुलित करने के लिए तटीय क्षेत्रों का प्रबंधन शामिल है।
  • तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना: यह योजना तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ‘तटीय विनियमन क्षेत्र’ और संबंधित नियमों के अनुरूप परियोजनाओं को बनाने एवं लागू करने के लिए केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों को अनुसरण करने के लिए बाध्य करती है।

तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ)

  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF) ने तटीय क्षेत्र की गतिविधियों के नियंत्रण के लिए ‘तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना’ जारी की है।
  • परिभाषा: इस अधिसूचना के अनुसार, उच्च ज्वारीय सीमा (HTL) से 500 मीटर की दूरी तक की तटीय भूमि और खाड़ियों, एश्चुरी, बैकवाटर और नदियों के किनारे के 100 मीटर के एक चरण को, जो ज्वारीय उतार-चढ़ाव के अधीन है, तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) कहा जाता है।
  • देश भर में तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) को चार श्रेणियों में बाँटा गया है, जो इस प्रकार हैं:
    • CRZ I – पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र
      • अवस्थिति: वे निम्न तथा उच्च ज्वार की सीमाओं के बीच अवस्थित हैं।
      • इस क्षेत्र में प्राकृतिक गैस एवं नमक के निष्कर्षण की अनुमति है।
    • CRZ II – तटरेखा क्षेत्र
      • अवस्थिति: ऐसे क्षेत्र जिसका विकास तटरेखा तक या उसके निकट तक हुआ हो।
      • इस क्षेत्र में अनधिकृत संरचनाओं के निर्माण की अनुमति नहीं है।

    • CRZ III- निषेधित क्षेत्र
      • अवस्थिति: ऐसे ग्रामीण और शहरी इलाके, जो CRZ I और CRZ II के अंतर्गत नहीं आते हैं।
      • इस क्षेत्र में कृषि तथा सार्वजनिक सुविधाओं से संबंधित कुछ गतिविधियों की अनुमति है।
    • CRZ IV- प्रादेशिक क्षेत्र
      • अवस्थिति: निम्न ज्वारीय सीमा से लेकर समुद्र में 12 नॉटिकल मील तक का क्षेत्र।
      • इस क्षेत्र में मछली पकड़ने और संबंधित गतिविधियों की अनुमति है।
      • इस क्षेत्र में किसी भी ठोस कचरे को प्रवाहित नहीं किया जा सकता है।
  • वर्ष 2018 और वर्ष 2019 की तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना में कुछ बदलाव किए गए हैं: 
    • विकास परियोजनाएँ: नो-डेवलपमेंट जोन (NDZ) की सीमा में परिवर्तन किया गया है।
    • नई CRZ श्रेणियाँ: CRZ-III (ग्रामीण) क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन के लिए अब दो अलग-अलग श्रेणियाँ बनाई गई हैं: CRZ-III A और CRZ-III B
    • CRZ-III A: इसके अंतर्गत घनी आबादी वाले वैसे ग्रामीण क्षेत्र आते हैं, जहाँ का जनसंख्या घनत्व 2161/किमी.2 हो। इन क्षेत्रों में उच्च ज्वारीय सीमा (HTL) से 50 मीटर तक ‘नो-डेवलपमेंट जोन (NDZ)’ होगा। पहले यह वर्ष 2011 की CRZ अधिसूचना के अनुसार HTL से 200 मीटर था।
    • CRZ-III B: इसके अंतर्गत घनी आबादी वाले वैसे ग्रामीण क्षेत्र आते हैं, जहाँ का जनसंख्या घनत्व 2161/किमी.2 से अधिक हो। इन क्षेत्रों में HTL (उच्च ज्वारीय सीमा) से 200 मीटर तक का क्षेत्र ‘नो-डेवलपमेंट जोन (NDZ)’ होगा।

उच्च ज्वारीय सीमा (HTL)

वसंत ज्वार का जल भूमि पर जिस उच्चतम बिंदु तक पहुँचता है उस स्थलीय सीमा को उच्च ज्वारीय सीमा (HTL) कहते हैं।

निम्न ज्वारीय सीमा (LTL)

वसंत ज्वार का जल भूमि के जिस निचली बिंदु तक पहुँचता है उस स्थलीय सीमा को निम्न ज्वारीय सीमा (LTL) कहते हैं।

वसंत ज्वार (Spring Tide)

वसंत ज्वार पूर्णिमा और अमावस्या के दिन होता है।​ वसंत ज्वार का उच्चतम बिंदु दैनिक उच्च ज्वार के बिंदु से ऊपर जाता है तथा वसंत ज्वार का निम्नतम बिंदु, दैनिक निम्न ज्वार के बिंदु से नीचे रहता है।

नीप ज्वार (Neap Tide)

नीप ज्वार की स्थिति तब बनती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति समकोण पर होती है। नीप ज्वार का उच्चतम बिंदु दैनिक उच्च ज्वार के बिंदु से नीचे होता है  तथा नीप ज्वार का निम्नतम बिंदु दैनिक निम्न ज्वार के बिंदु से ऊपर होता है।

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