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SCO बैठक 2024

Lokesh Pal October 18, 2024 03:24 404 0

संदर्भ  

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) के सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की परिषद की 23वीं बैठक 15 और 16 अक्टूबर, 2024 को इस्लामाबाद, पाकिस्तान में आयोजित की गई।

संबंधित तथ्य

  • अध्यक्षता: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई।
  • एजेंडा: इस शिखर सम्मेलन का एजेंडा अर्थव्यवस्था, व्यापार, पर्यावरण, समाजशास्त्र और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित था।
    • क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद विरोध पर महत्त्वपूर्ण चर्चा की गई है।
  • शासनाध्यक्ष परिषद (Council of Heads of Government) की 24वीं बैठक अक्टूबर 2025 में रूस में आयोजित की जाएगी।

शासनाध्यक्षों की परिषद की 23वीं बैठक की मुख्य बिंदु

  • आर्थिक सहयोग: MSMEs और रोजगार सृजन पर जोर देते हुए सतत् आर्थिक विकास, हरित विकास और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के लिए समर्थन: चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल और यूरेशियन आर्थिक संघ (Eurasian Economic Union) के साथ इसके एकीकरण के लिए समर्थन की पुष्टि की।
    • भारत ने वन बेल्ट, वन रोड पहल का विरोध किया क्योंकि इस परियोजना में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China-Pakistan Economic Corridor- CPEC) शामिल है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। 
  • जलवायु कार्रवाई: जलवायु परिवर्तन पर एक विशेष कार्य समूह (Special Working Group on Climate Change) की स्थापना सहित जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
  • खाद्य सुरक्षा (Food Security): वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर सहयोग और बाजरा तथा गेहूँ जैसी जलवायु-अनुकूल फसलों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
  • मानवीय और सांस्कृतिक सहयोग: SCO खेलकूद की योजनाओं के साथ शिक्षा, संस्कृति, खेल और युवा कूटनीति में सहयोग को गहन किया गया।
  • SCO का विस्तार: बेलारूस के प्रवेश से संबंधित संगठनात्मक विकास और SCO वित्तीय संरचनाओं को मजबूत करने पर चर्चा की गई।
  • तीन चुनौतियाँ: भारत ने तीन चुनौतियों, आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद पर प्रकाश डाला, ये प्रमुख चुनौतियाँ हैं, जिनसे निपटने का लक्ष्य SCO का है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आठ परिणाम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए

  1. एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य (ONE EARTH, ONE FAMILY, ONE FUTURE): एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के विचार पर संवाद स्थापित करना।
  2. SCO स्टार्टअप फोरम और नवाचार (SCO Startup Forum and Innovation): SCO स्टार्टअप फोरम, स्टार्टअप्स एवं नवाचार एवं पारंपरिक चिकित्सा पर SWG जैसी भारतीय पहलों के परिणामों का एससीओ सदस्यों द्वारा स्वागत किया गया। 
  3. डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DIGITAL PUBLIC INFRASTRUCTURE): DPI और डिजिटल समावेशन SCO सहयोग ढाँचे का हिस्सा बन रहे हैं।
  4. मिशन LiFE और स्थिरता (MISSION LiFE AND SUSTAINABILITY): SCO संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए मिशन LiFE से प्रेरणा ले रहा है।
  5. वैश्विक खाद्य सुरक्षा (GLOBAL FOOD SECURITY): बाजरा जैसे जलवायु-अनुकूल और पौष्टिक अनाजों के उपयोग को बढ़ावा देकर वैश्विक खाद्य सुरक्षा एवं पोषण को बढ़ाना।
  6. निष्पक्ष कनेक्टिविटी परियोजनाएँ (FAIR CONNECTIVITY PROJECTS): अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और SCO चार्टर के लक्ष्यों एवं सिद्धांतों के अनुसार निष्पक्ष और संतुलित कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बनाए रखना।
  7. खुला व्यापार (OPEN TRADE): नियम आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, खुले, निष्पक्ष, समावेशी और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली पर फिर से जोर देना, जिसका मूल WTO हो।
  8. बहुपक्षीयवाद और विकास (MULTILATERALISM AND DEVELOPMENT): संरक्षणवादी कार्रवाइयों, एकतरफा प्रतिबंधों और व्यापार प्रतिबंधों का विरोध करना, जो बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को कमजोर करते हैं और वैश्विक सतत् विकास में बाधा डालते हैं।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के बारे में

  • SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
  • इसके निर्माण की घोषणा 15 जून, 2001 को शंघाई में कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी।
  • इससे पहले ‘शंघाई फाइव मैकेनिज्म’ (Shanghai Five Mechanism) की शुरुआत हुई थी।
  • शंघाई सहयोग संगठन चार्टर (Shanghai Cooperation Organisation Charter) पर जून 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग SCO राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे, और 19 सितंबर, 2003 को लागू हुआ।
  • SCO की आधिकारिक भाषाएँ रूसी और चीनी हैं।
  • सदस्य: इसमें 10 सदस्य शामिल हैं जो हैं- भारत, ईरान, कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस ।
    • पर्यवेक्षक का दर्जा: अफगानिस्तान और मंगोलिया।

    • डायलॉग पार्टनर: 14 डायलॉग पार्टनर, जो ऐसे देश और संगठन हैं, जो SCO के लक्ष्यों एवं सिद्धांतों को साझा करते हैं:- 
    • आर्मेनिया, अजरबैजान, बहरीन, कंबोडिया, मिस्र, कुवैत, मालदीव, म्याँमार, नेपाल, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, तुर्किए और संयुक्त अरब अमीरात।
  • महत्त्व 
    • SCO वैश्विक आबादी का 40%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30% और यूरेशिया के 60% क्षेत्र को कवर करता है।
    • SCO उन कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक है, जो सुरक्षा मुद्दों से निपटते हैं और इसके मुख्य रूप से एशियाई सदस्य हैं।
    • रूस और चीन दोनों ने ‘पश्चिमी’ अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के विकल्प के रूप में अपनी स्थिति पर बल दिया है।
  • SCO संगठनात्मक संरचना
    • राष्ट्राध्यक्ष परिषद (Council of Heads of State Council): आंतरिक कामकाज, अंतरराष्ट्रीय बातचीत और वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय।
    • शासनाध्यक्षों की परिषद (Council of Heads of Government): SCO के भीतर बजट को मंजूरी देती है और आर्थिक बातचीत का फैसला करती है।
    • विदेश मामलों की मंत्रिपरिषद: दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को संबोधित करती है।
    • संगठन के दो स्थायी निकाय हैं:-
      • सचिवालय बीजिंग, चीन में है।
      • क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure- RATS) का मुख्यालय ताशकंद, उज्बेकिस्तान में है।
      • SCO महासचिव और RATS कार्यकारी समिति के निदेशक को HSC द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है।
  • शिखर सम्मेलन
    • वर्ष 2024 का SCO शिखर सम्मेलन कजाखस्तान के अस्ताना में 3 से 4 जुलाई, 2024 के बीच आयोजित किया गया था।
    • वर्ष 2025 SCO शिखर सम्मेलन: चीन में 25वाँ वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
    • भारत: भारत ने SCO की अपनी पहली अध्यक्षता के तहत जुलाई 2023 में वर्चुअल प्रारूप में SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक की मेजबानी की।

SCO क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS)

  • SCO का क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढाँचा (RATS) उज्बेकिस्तान के ताशकंद में स्थित एक स्थायी निकाय है।
  • RATS का उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करने पर शंघाई कन्वेंशन पर आधारित है।
  • RATS के पास आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों के बारे में जानकारी होती है।

भारत के लिए SCO का महत्त्व

  • भू-राजनीतिक महत्त्व: भारत को मध्य एशिया, रूस और चीन के साथ जुड़ने, क्षेत्रीय शक्ति गतिशीलता को संतुलित करने और बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • सुरक्षा सहयोग: क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS) जैसी पहलों के माध्यम से आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से निपटने में मदद करता है, जिससे भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहायता मिलती है।
  • आर्थिक संपर्क: क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क को बढ़ाता है, भारत को ऊर्जा-समृद्ध मध्य एशिया तक पहुँच प्रदान करता है और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor-INSTC) जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को बढ़ावा देता है।
  • रणनीतिक स्वायत्तता: भारत को चीन और रूस के साथ कूटनीतिक रूप से जुड़ने की अनुमति देता है, जिससे गैर-पश्चिमी बहुपक्षीय सेटिंग में उसकी रणनीतिक स्वतंत्रता बनी रहती है।
  • सॉफ्ट पॉवर: भारत की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलों (जैसे, योग, बाजरा, मिशन LiFE) को बढ़ावा देता है, साथ ही सतत् विकास पर सहयोग को आगे बढ़ाता है।
  • वैश्विक शासन सुधार (Global Governance Reform): संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत करता है, जो भारत के अधिक प्रतिनिधि वैश्विक व्यवस्था के लिए प्रयास के साथ संरेखित है।
  • ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना: SCO में भारत की सदस्यता मध्य एशियाई देशों के खनिज और ऊर्जा संसाधनों तक पहुँच प्रदान करके ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा दे सकती है।
  • लोगों के बीच आपसी संपर्क को मजबूत करना: SCO शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन आदि के क्षेत्र में सहयोग के माध्यम से लोगों के बीच आपसी संपर्क को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) से जुड़ी चुनौतियाँ

  • भू-राजनीतिक तनाव: सदस्यों (भारत, चीन, पाकिस्तान) के बीच आंतरिक मतभेद आम सहमति को जटिल बनाते हैं, जिससे वर्तमान वैश्विक संदर्भ में SCO की प्रभावशीलता के बारे में चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • SCO के विस्तार से अधिदेश कमजोर हो रहा है: हाल ही में हुए विस्तार से SCO के मुख्य फोकस के कमजोर होने का खतरा है, क्योंकि नए सदस्य अलग-अलग प्राथमिकताएँ लेकर आ रहे हैं, जिससे सामूहिक लक्ष्यों को हासिल करना जटिल हो रहा है।
  • आतंकवाद विरोधी चुनौतियाँ: गोल्डन क्रिसेंट (अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान) में सीमा पार आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में SCO की सीमित सफलता चिंता का विषय बनी हुई है।
  • पश्चिम विरोधी रुख: SCO का पश्चिम विरोधी रुख भारत के लिए पश्चिमी साझेदारियों के साथ संतुलन बनाने की प्रक्रिया को जटिल बनाता है, विशेषकर तब जब चीन और रूस अपने भू-रणनीतिक हितों के लिए इस मंच का इस्तेमाल करते हैं।
  • चीन-पाकिस्तान-रूस प्रभाव: चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के प्रति भारत का विरोध SCO के भीतर अपने हितों को बढ़ावा देने की उसकी क्षमता को सीमित करता है।
    • चीन की “चेक-बुक” और “वुल्फ वॉरियर” कूटनीति, मानवाधिकार उल्लंघन और हांगकांग में की गई कार्रवाइयाँ SCO के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों के प्रति उसकी प्रतिबद्धताओं पर गंभीर सवाल उठाती हैं।
  • सदस्यों के अलग-अलग हित: SCO के सदस्य देशों के हित एवं उद्देश्य बहुत व्यापक हैं। इससे विभिन्न विषयों पर सहमति बनाना मुश्किल हो सकता है, जिससे संगठन की प्रभावशीलता सीमित हो सकती है।

भारत और SCO के लिए आगे की राह

  • भू-राजनीतिक चुनौतियों का समाधान: भारत को SCO ढाँचे के भीतर सद्भाव और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वसुधैव कुटुम्बकम् (दुनिया एक परिवार है) के सिद्धांत को रेखांकित करते हुए वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग पर जोर देना जारी रखना चाहिए।
  • आपसी सहयोग को मजबूत करना: SCO सदस्यों को आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, लोगों के बीच आदान-प्रदान और आर्थिक हितों जैसे क्षेत्रों में सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जबकि साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अपने द्विपक्षीय विवादों को अलग रखना चाहिए।
  • विस्तार का प्रबंधन: जैसे-जैसे SCO का विस्तार होता है, यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि संगठन का मुख्य अधिदेश कम न हो। सदस्यों को समूह द्वारा निर्धारित सामान्य लक्ष्यों और प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
  • आतंकवाद निरोधक तंत्र को मजबूत करना: भारत ने लगातार SCO के आतंकवाद रोधी एजेंडे को मजबूत करने की वकालत की है, सदस्य देशों से आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के विरुद्ध दृढ़ और लगातार कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
    • क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS) को मजबूत करने की आवश्यकता है और SCO को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसके सदस्य आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा करना तथा कट्टरपंथ को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएँ।
  • नई चुनौतियों के अनुकूल होना: SCO को प्रासंगिक बने रहने के लिए, इसे बदलती क्षेत्रीय गतिशीलता के साथ विकसित होना चाहिए। इसके लिए साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार मुद्दों जैसी उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपनी रणनीतियों को अपडेट करना होगा।
    • SCO को सदस्य देशों के हितों के अनुरूप ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढाँचे के विकास और सतत् विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए समावेशी आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों की भी खोज करनी चाहिए।
  • प्रतिस्पर्द्धी हितों को संतुलित करना: भारत को पश्चिम के साथ अपने बढ़ते संबंधों और SCO में अपनी भूमिका के बीच संतुलन बनाना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि वह अपने पश्चिमी गठबंधनों से समझौता किए बिना यूरेशिया में अपने रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए मंच का उपयोग करे।
  • क्षेत्रीय संपर्क पर ध्यान केंद्रित करना: भारत मध्य एशिया और रूस के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (North-South Transport Corridor- INSTC) जैसी क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के लिए अपने प्रयासों को मजबूत करने के लिए एससीओ का लाभ उठा सकता है।

निष्कर्ष

SCO भारत को क्षेत्रीय सहयोग, संपर्क और आतंकवाद-रोधी रणनीतिक अवसर प्रदान करता है, लेकिन आंतरिक भू-राजनीतिक मतभेदों और चीन तथा रूस के प्रभुत्व के कारण यह चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करता है। लाभ को अधिकतम करने के लिए, भारत को अपने हितों को संतुलित करना चाहिए, एक अविभाजित जनादेश के लिए प्रयास करना चाहिए तथा सुरक्षा एवं आर्थिक मुद्दों पर सामूहिक प्रयासों को मजबूत करना चाहिए।

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