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‘सी रैंचिंग’ और कृत्रिम रीफ परियोजना

Lokesh Pal November 15, 2024 04:56 34 0

संदर्भ

हाल ही में समुद्री संसाधनों को बढ़ाने और मछली पकड़ने की सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देने के एक प्रयास के रूप में, ‘सी रैंचिंग’ और कृत्रिम रीफ परियोजना (Artificial Reef Project) के हिस्से के रूप में केरल के विझिंजम के तट पर 20 हजार पोम्पानो फिंगरलिंग्स [ट्रेचिनोटस ब्लोची (Trachinotus Blochii)] को छोड़ा गया।

‘सी रैंचिंग’ और कृत्रिम रीफ परियोजना

  • उद्देश्य: प्राथमिक लक्ष्य मत्स्य संसाधनों को बहाल करना और जल निकाय में फिंगरलिंग्स को पुनः छोड़कर से टिकाऊ मत्स्यपालन का समर्थन करना है।
    • इस परियोजना में कृत्रिम रीफ परियोजना के अनुवर्ती के रूप में तिरुवनंतपुरम् तटरेखा के साथ दस निर्दिष्ट स्थानों पर दस लाख पोम्पानो और कोबिया फिंगरलिंग्स को छोड़ना शामिल है।
  • कार्यान्वयन: 20,000 पोम्पानो फिंगरलिंग्स का प्रारंभिक बैच विझिंजम से लगभग 1.5 समुद्री मील दूर छोड़ा गया। 
    • इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY) के तहत वित्तपोषित कृत्रिम रीफ मॉड्यूल जिले के 33 मछुआरा गाँवों में 42 साइटों पर तैनात किए गए हैं। 
  • वित्तपोषण और सहायता: राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (National Fisheries Development Board- NFDB) द्वारा समर्थित, ₹3 करोड़ की परियोजना को मार्च में मंजूरी मिली और इसका प्रबंधन राज्य मत्स्य विभाग द्वारा किया जाता है, जिसमें अयिरमथेंगु मछली फॉर्म में फिंगरलिंग्स का प्रजनन कराया जाता है।

‘सी रैंचिंग’ के बारे में

  • ‘सी रैंचिंग’ (ओशन रैंचिंग) में नियंत्रित वातावरण में देखभाल के लिए रखे गए फिंगरलिंग्स को समुद्र एवं झील पारिस्थितिकी तंत्र को पुनः यथास्थिति में लाने के लिए छोड़ा जाता है, जिससे मछली पकड़ने वाले समुदायों के लिए दीर्घकालिक संसाधन उपलब्धता का लाभ मिलता है।
  • उद्देश्य: ‘सी रैंचिंग’ एक सरकारी नेतृत्व वाला दृष्टिकोण है, जो मछली की आबादी को बहाल करने और समुद्री स्थिरता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • समुद्री खेती की जाने वाली प्रजातियाँ: सीप, मसल्स, कार्प, ट्राउट और तिलापिया सहित विभिन्न प्रजातियों को हैचरी में पाला जाता है और प्राकृतिक जल में छोड़ा जाता है, जिससे उन्हें अपने मूल निवास स्थान में परिपक्व होने की अनुमति मिलती है।
  • प्रयुक्त तकनीक: आधुनिक महासागरीय पशुपालन 1970 के दशक से विकसित परिष्कृत प्रजनन, पालन और छोड़ने की तकनीकों पर निर्भर करता है। ये नवाचार प्रजातियों के अस्तित्व और जंगल में एकीकरण को अनुकूलित करने में मदद करते हैं।
  • लाभ
    • आर्थिक: मछली स्टॉक को फिर से भंडारण करता है, मछली पकड़ने के उद्योग और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की सहायता करता है।
    • सामाजिक: मछली पकड़ने वाले समुदायों के लिए स्थायी आय स्रोत प्रदान करता है।
    • पारिस्थितिकी: पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र के उत्थान का समर्थन करता है।

कृत्रिम रीफ के बारे में

  • परिभाषा: कृत्रिम रीफ मानव निर्मित संरचनाएँ हैं, जिन्हें जलीय वातावरण में पारिस्थितिकी स्थितियों में सुधार करने, समुद्री प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करने और मत्स्य उत्पादकता बढ़ाने के लिए रखा जाता है।
  • उपयोग
    • पुनर्स्थापन: कोरल रीफ सहित पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करने में मदद करता है।
    • मछली उत्पादन: छोटे पैमाने के मछुआरों के लिए मछली स्टॉक बढ़ाता है।
    • लहर संरक्षण: लहर, ऊर्जा को अवशोषित करके तटीय कटाव को कम करने में मदद करता है।
    • आवास निर्माण: समुद्री प्रजातियों के लिए भोजन, आश्रय और प्रजनन स्थल प्रदान करता है।
    • मनोरंजन लाभ: इको-टूरिज्म, स्नोर्कलिंग और मनोरंजक मत्स्यपालन का समर्थन करता है।
    • बॉटम ट्रॉलिंग प्रतिबंध: तटरेखाओं के पास हानिकारक बॉटम ट्रॉलिंग को रोकता है।
  • सामग्री: रीफ का निर्माण कंक्रीट, स्टील जैसी टिकाऊ सामग्रियों और विभिन्न आकारों, जैसे त्रिकोणीय या पुष्प डिजाइनों में उद्देश्य-निर्मित मॉड्यूल का उपयोग करके किया जाता है।
  • उदाहरण
    • CMFRI परियोजना (भारत): छोटे पैमाने के मछुआरों के लिए लागत कम करते हुए मछली की उपलब्धता में सहायता करती है।
    • दुबई रीफ्स: एक व्यापक कृत्रिम रीफ नेटवर्क बनाने के लिए 3D प्रिंटिंग का उपयोग करता है।
    • पर्ल ऑफ दुबई: दुबई के तट के पास एक कलात्मक, शहरी-थीम वाली रीफ की विशेषता है।

पहल का महत्त्व

  • यह संयुक्त ‘सी रैंचिंग’ और कृत्रिम रीफ पहल न केवल समुद्री जैव विविधता का समर्थन करती है, बल्कि मछली के भंडार को बढ़ाकर और स्थिर समुद्री आवासों की स्थापना करके स्थानीय मत्स्यपालन को भी बढ़ाती है।
  • यह परियोजना सरकार के सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप है, जो समुद्री जीवन की सुरक्षा करती है और सतत् मछली पकड़ने की प्रथाओं के माध्यम से तटीय समुदायों को सशक्त बनाती है।

सिल्वर पोम्पानो (Silver Pompano) के बारे में

  • अवलोकन: सिल्वर पोम्पानो, एक उष्णकटिबंधीय प्रजाति, जिसे ‘स्नबनोज पोम्पानो’ (Snubnose Pompano) के नाम से भी जाना जाता है, अपनी अनुकूलनशीलता एवं बाजार की माँग के कारण समुद्री कृषि के लिए मूल्यवान है।
  • उपस्थिति और आवास स्थान: अपने टारपीडो के आकार के शरीर की विशेषता वाले, सिल्वर पोम्पानो इंडो-पैसिफिक के गर्म जल (25-29 डिग्री सेल्सियस) में पाए जाते हैं, विशेष रूप से प्रवाल और रीफ चट्टानों के आसपास।
  • आर्थिक मूल्य: इस उच्च मूल्य वाली प्रजाति की कीमत भारत में ₹300-₹400 प्रति किलोग्राम होती है, जो स्थानीय मछुआरों एवं मछली बाजारों का समर्थन करती है।
  • हार्वेस्टिंग के तरीके: आमतौर पर ड्रैग नेट से पकड़े जाने वाले पोम्पानो को फ्रेश बनाए रखने के लिए तुरंत ठंडा किया जाता है, जिससे समुद्री भोजन बाजार के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।

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