हाल ही में सेबी ने ‘वित्तीय हतोत्साहन’ संबंधी फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया है, जो बाजार अवसंरचना संस्थानों को लक्षित करता है।
संबंधित तथ्य
नया प्रावधान: इस फ्रेमवर्क के तहत, वित्तीय वर्ष के दौरान प्रत्येक निगरानी संबंधी त्रुटि के लिए 1 लाख रूपए से 1 करोड़रूपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
यह फ्रेमवर्क 1 जुलाई 2024 से लागू होगा।
बाजार निगरानी
बाजार निगरानी के अंतर्गत प्रतिभूति बाजारों में दुर्व्यवहारपूर्ण, हेरफेरपूर्ण या अवैध व्यापार प्रथाओं को रोकना और उनकी जाँच करना शामिल है।
उद्देश्य: यह लेन-देन की निष्पक्षता और सटीकता में खरीदारों और विक्रेताओं के बीच विश्वास में वृद्धि कर एक व्यवस्थित बाजार सुनिश्चित करता है।
महत्त्व: बाजार व्यवस्था बनाए रखने, निवेश को प्रोत्साहित करने और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी बाजार निगरानी महत्त्वपूर्ण है।
प्रदाता: निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों ही बाजार निगरानी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।
बाजार अवसंरचना संस्थानों (MIIs) द्वारा बाजार निगरानी
बाजार अवसंरचना संस्थानों (MIIs) द्वारा निगरानी का उद्देश्य प्रतिभूति बाजार पर लगातार निगरानी रखना है।
यह एक महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है, जो बाजार के नियमों और विनियमों को लागू करने में नियामक को सहायता प्रदान करता है।
उत्तरदायित्व
बाजार की गतिविधियों की दिन-प्रतिदिन निगरानी।
असामान्य या संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग।
बाजार मध्यस्थों के आचरण की निगरानी।
अलर्ट जनरेट करना और उनका प्रसंस्करण करना।
व्यापारिक औचित्य की तलाश करना।
परिदृश्य आधारित विश्लेषण करना
निगरानी संबंधी त्रुटि
निगरानी संबंधी त्रुटि में निगरानी गतिविधियों के संचालन में देखी गई कोई भी विफलता शामिल है।
इन गतिविधियों में निश्चित समय सीमा के अंदर गतिविधियों की अपर्याप्त या गैर-रिपोर्टिंग शामिल है।
इसमें निगरानी से संबंधित सेबी (SEBI) के किसी निर्णय या अनुदेश का आंशिक या विलंबित निष्पादन भी शामिल है।
नए फ्रेमवर्कके तहत निगरानी संबंधी त्रुटि के लिए दंड संरचना
प्रथम दृष्टांत
₹300 करोड़ से कम वार्षिक राजस्व वाले बाजार अवसंरचना संस्थान: ₹1 लाख का जुर्माना।
₹1,000 करोड़ से अधिक वार्षिक राजस्व वाले बाजार अवसंरचना संस्थान: ₹25 लाख का जुर्माना।
द्वितीय दृष्टांत
वार्षिक राजस्व के आधार पर जुर्माना 2 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक है।
तृतीय या उसके उपरांत के दृष्टांत
वार्षिक राजस्व के आधार पर जुर्माना ₹4 लाख से ₹1 करोड़ तक है।
बाजार निगरानी संबंधी त्रुटि के प्रभाव
भरोसा और विश्वास: प्रतिभूति बाजार की निगरानी में त्रुटि से प्रतिभूति बाजार में निवेशकों का भरोसा और विश्वास समाप्त हो सकता है।
हेरफेरपूर्ण व्यवहार: बाजार निगरानी में त्रुटि से हेरफेरपूर्ण व्यवहार में वृद्धि हो सकती है, जिससे बाजार असुरक्षित हो सकता है।
अनुचित प्रक्रिया : बाजार निगरानी में त्रुटि से निवेशकों के लिए एक अनुचित प्रक्रिया का क्षेत्र बन सकता है।
नए फ्रेमवर्क के अपवाद
सेबी (SEBI) का नया फ्रेमवर्क निम्नलिखित स्थितियों में लागू नहीं होगा यदि:
इस त्रुटि का बाजार पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
इस त्रुटि के परिणामस्वरूप निवेशकों को भारी नुकसान होता है।
इस त्रुटि से बड़े पैमाने पर बाजार की अखंडता से समझौता होता है।
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