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किशोर स्वास्थ्य एवं कल्याण पर द्वितीय लैंसेट आयोग की रिपोर्ट

Lokesh Pal May 24, 2025 03:41 18 0

संदर्भ

हाल ही में किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण पर दूसरे लैंसेट आयोग द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ 

  • उद्देश्य: सतत् विकास लक्ष्यों के प्रति प्रथम आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन में तेजी लाने एवं तीन गुना लाभांश को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • 10-24 वर्ष की आयु के बच्चों की वर्तमान पीढ़ी में निवेश से वर्तमान में किशोर, उनके वयस्क होने पर एवं उनके बच्चों को भी लाभ होगा।
  • निष्कर्ष
    • अपर्याप्त निधि: किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए निधि उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों की भयावहता के लिए पर्याप्त नहीं है तथा सर्वाधिक आवश्यकता वाले क्षेत्रों को लक्षित नहीं किया गया है।
      • उदाहरण: किशोरों के स्वास्थ्य के लिए विशिष्ट निधि वर्ष 2016-21 में स्वास्थ्य के लिए कुल विकास सहायता का केवल 2.4% थी, जबकि किशोर विश्व की कुल आबादी का 25.2% हिस्सा हैं।
    • वर्ष 2030 के अंत तक विश्व के न्यूनतम आधे किशोर (1 अरब लोग) ऐसे देशों में रह सकते हैं, जहाँ किशोरों को बीमारियों के जटिल और अत्यधिक बोझ का सामना करना पड़ेगा।
      • उदाहरण: अनुमान है कि 340 मिलियन (18%) किशोर अब संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं, जो 1990 के दशक से दोगुना हो गया है। 
    • मोटापे की समस्या: वर्ष 2030 तक, वैश्विक स्तर पर 464 मिलियन किशोर अधिक वजन वाले की समस्या से ग्रसित होंगे (वर्ष 2015 की तुलना में 143 मिलियन अधिक)। 
      • उच्च आय वाले देशों, लैटिन अमेरिका एवं मध्य पूर्व में रहने वाले एक-तिहाई किशोर अधिक वजन या मोटापे से ग्रसित होंगे। 
    • मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ: मानसिक विकारों या आत्महत्या के कारण 42 मिलियन लोगों का जीवन प्रभावित होगा (वर्ष 2015 की तुलना में 2 मिलियन अधिक)। 
    • सोशल मीडिया तक पहुँच: वैश्विक स्तर पर, 15-24 वर्ष के 79% युवा इंटरनेट का उपयोग करते हैं एवं उच्च आय तथा उच्च-मध्यम आय वाले देशों में 95% से अधिक किशोर डिजिटल रूप से जुड़े हुए हैं। 
      • किशोरों की वर्तमान पीढ़ी (15-24 वर्ष) को ‘डिजिटल मूल निवासियों की पहली वैश्विक पीढ़ी’ कहा जाता है। 
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: वर्ष 2100 तक, 1·8 बिलियन किशोर इसलिए प्रभावित होंगे क्योंकि जलवायु पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में लगभग 2·8°C अधिक गर्म होगी।
    • उपलब्धियाँ: पिछले दो दशकों में किशोर मृत्यु दर में 27% की कमी आई है, जिसका कारण कुपोषण एवं संक्रामक रोगों में पर्याप्त कमी तथा विशेष रूप से लड़कियों के लिए शिक्षा तक पहुँच का विस्तार है।

  • अनुशंसा 
    • अधिकार आधारित दृष्टिकोण: किशोरों की भागीदारी, पहचान अभिव्यक्ति एवं सेवा पहुँच को बढ़ावा देकर उनके स्वास्थ्य तथा कल्याण के अधिकारों पर जोर दिया जाना चाहिए।
    • नीतिगत रूप से ध्यान देना: रिपोर्ट में किशोरों के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकारों की रक्षा करने एवं उन पर स्वास्थ्य के वाणिज्यिक निर्धारकों के प्रभाव को कम करने के लिए सक्षम कानूनों तथा नीतियों की माँग की गई है।
      • उदाहरण: भारत के विद्यालय, अब बच्चों के चीनी सेवन की निगरानी के लिए ‘शुगर बोर्ड’ का गठन करेंगे। 
      • सोशल मीडिया एवं ऑनलाइन स्पेस के स्वस्थ और सूचित उपयोग को बढ़ावा देना।
    • बहुक्षेत्रीय कार्य: किशोर स्वास्थ्य में किए गए लाभों को बढ़ाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और हिंसा पर बहुक्षेत्रीय कार्यों को बढ़ावा देना। 
    • समानता को बढ़ावा देना: लैंगिक, जाति एवं भूगोल से संबंधित प्रणालीगत असमानताओं का सामना करना, वंचित समूहों के लिए समान अवसर तथा लक्षित समर्थन सुनिश्चित करना।
    • डेटा प्रणाली में सुधार: स्वास्थ्य एवं कल्याण परिणामों में प्रणालीगत परिवर्तनों की निगरानी के लिए राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर बेहतर संकेतक एवं डेटा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। 
      • उदाहरण: WHO ने महत्त्वपूर्ण डेटा अंतराल को समाप्त करने एवं जवाबदेही को मजबूत करने के लिए किशोर स्वास्थ्य के मापन हेतु वैश्विक कार्रवाई शुरू की है।

किशोरावस्था के बारे में

  • परिभाषा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 10 से 19 वर्ष की आयु के मध्य का कोई भी व्यक्ति किशोर होगा। यह बचपन एवं वयस्कता के बीच वृद्धि तथा विकास का संक्रमणकालीन चरण है।
  • आज किशोर विश्व की कुल आबादी का लगभग 24% (2 बिलियन) हिस्सा हैं।
  • भविष्य के अनुमान: वर्ष 2100 तक दुनिया के लगभग 46% किशोर अफ्रीका में होंगे, एवं 85% अफ्रीका एवं  एशिया में होंगे।

किशोर स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में

  • यह एक अवधारणा है, जो एक किशोर (10 से 19 वर्ष की आयु) के जीवन के शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक पहलुओं को शामिल करती है, जो भविष्य के स्वास्थ्य तथा कल्याण के लिए मंच तैयार करती है, जिसका प्रभाव वयस्कता तक विस्तृत है।
  • पहलू
    • शारीरिक स्वास्थ्य: इसमें उचित पोषण, शारीरिक गतिविधियाँ एवं समग्र वृद्धि और विकास पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है, क्योंकि वे पोषण संबंधी कमियों तथा गतिहीन जीवन शैली से संबंधित बीमारियों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं।
    • मानसिक स्वास्थ्य: मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि यह तीव्र भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक उथल-पुथल का दौर होता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार होने का खतरा रहता है।
    • सामाजिक कल्याण: इसमें सामाजिक संपर्क, परिवार और साथियों के साथ संबंध तथा सामाजिक एवं भावनात्मक विकास के अवसरों तक पहुँच शामिल है।
    • यौन स्वास्थ्य: व्यापक यौन शिक्षा, प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच एवं यौन संचारित संक्रमणों तथा अनपेक्षित गर्भधारण से सुरक्षा प्रदान करना।

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