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यूनेस्को की प्राकृतिक विरासत स्थलों की अस्थायी सूची में सात भारतीय स्थल शामिल

Lokesh Pal September 17, 2025 04:02 89 0

संदर्भ

भारत के सात स्थलों को यूनेस्को की प्राकृतिक विरासत स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है।

  • वर्तमान में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में 69 स्थल हैं।

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची के बारे में

  • अनंतिम सूची में दर्ज होना, किसी स्थल के पूर्ण विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित होने की दिशा में प्रथम और अनिवार्य चरण माना जाता है।
  • यह प्राकृतिक और/या सांस्कृतिक विरासत स्थलों की एक सूची है, जिन्हें कोई भी राज्य मानवता के लिए संभावित उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य प्रदर्शित करने वाला मानता है।

नए स्थलों की सूची

साइट

अवस्थिति 

प्रमुख विशेषताएँ

नागा हिल ओफियोलाइट (Naga Hill Ophiolite)

नागालैंड
  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: महासागरीय भूपर्पटी और महाद्वीपीय पर्पटी पर ऊपरी मेंटल चट्टानों द्वारा निर्मित दुर्लभ परिदृश्य।
  • पृथ्वी का इतिहास: इंडो-म्याँमार ओरोजेनी (Indo-Myanmar Orogeny) और टेथिस महासागर की टेक्टॉनिक प्रक्रियाओं को रिकॉर्ड करता है।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: प्लेट सीमा संचलन और खनिज विविधता को समझने में मदद करता है।
  • भौगोलिक परिदृश्य: शैल युक्त ऊबड़-खाबड़ एवं वनाच्छादित भू-परिदृश्य।
  • वैश्विक तुलना: साइप्रस और ओमान में स्थित ओपियोलाइट बेल्ट से तुलना की जा सकती है।
पंचगनी और महाबलेश्वर में डेक्कन ट्रैप

सतारा, महाराष्ट्र
  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: विश्व का सबसे बड़ा ‘कॉन्टिनेंटल फ्लड बसाल्ट’ क्षेत्र।
  • पृथ्वी का इतिहास: क्रिटेशियस-पैलियोजीन सामूहिक विलुप्ति घटना (65 मिलियन वर्ष पूर्व) से संबंधित।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: ज्वालामुखी, सामूहिक विलुप्ति घटना और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जानकारी प्रदान करता है।
  • भौगोलिक परिदृश्य: पश्चिमी घाट के परिदृश्य को आकार देने वाले पठार, घाटियाँ और झरने।
  • वैश्विक तुलना: साइबेरियाई ट्रेप्स के साथ की जा सकती है, जो सबसे विस्तृत ज्वालामुखी में से एक है।
सेंट मैरी द्वीपसमूह की भू-वैज्ञानिक विरासत

उडुपी, कर्नाटक
  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: रायोलाइटिक लावा द्वारा निर्मित स्तंभनुमा आकृति, जो विश्व स्तर पर दुर्लभ है।
  • पृथ्वी का इतिहास: भारत-मेडागास्कर प्लेटों के विखंडन के दौरान निर्मित (लगभग 88 मिलियन वर्ष पूर्व)।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: महाद्वीपीय विस्थापन के बारे में भू-कालानुक्रमिक और पुराचुंबकीय अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • भौगोलिक परिदृश्य: अरब सागर तट के साथ निर्मित षट्कोणीय स्तंभ।
  • वैश्विक तुलना: जायंट्स कॉजवे (आयरलैंड) और डेविल्स पोस्टपाइल (अमेरिका) से तुलना की जा सकती है।
मेघालय युग की गुफाएँ (Meghalayan Age Caves)

मेघालय
  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: दक्षिण एशिया की सबसे लंबी और गहरी गुफा प्रणालियाँ।
  • पृथ्वी का इतिहास: होलोसीन युग (लगभग 4200 वर्ष ईसा पूर्व) के मेघालय काल को परिभाषित करता है।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: स्टैलेग्माइट्स जलवायु परिवर्तन एवं मानसून के इतिहास को  रिकॉर्ड करते हैं।
  • भौगोलिक परिदृश्य: स्पेलियोथेम्स युक्त मेजेस्टिक लाइमस्टोन की गुफाएँ।
  • वैश्विक तुलना: चीन की युन्नान (Yunnan) गुफाओं के समान स्ट्रेटीग्राफिक मार्करों के संबंध में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त।
तिरुमाला पहाड़ियों की प्राकृतिक विरासत

आंध्र प्रदेश
  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: पूर्वी घाट की प्राचीन प्रोटेरोजोइक अवसादी संरचनाएँ।
  • पृथ्वी का इतिहास: प्रीकैंब्रियन टेक्टॉनिक और अपरदन चक्रों का रिकॉर्ड।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: खनिज विज्ञान और पूर्वी घाट संबंधी भू-विज्ञान पर अनुसंधान को समर्थन प्रदान करता है।
  • भौगोलिक परिदृश्य:  वनों से आच्छादित पहाड़ियाँ, झरने और धार्मिक परिदृश्य।
  • वैश्विक तुलना: प्राचीन भू-विज्ञान के साथ पवित्र सांस्कृतिक परंपराओं के सम्मिश्रण के लिए अद्वितीय।
एर्रा मैटी डिब्बालू की प्राकृतिक विरासत

आंध्र प्रदेश
  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: क्वाटर्नरी युग (चतुर्थक काल) के बालुका स्तूप।
  • पृथ्वी का इतिहास: समुद्र-स्तर में गिरावट और बंगाल की खाड़ी के तटीय विकास के साक्ष्य।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: सूक्ष्मपाषाण, मध्यपाषाण और पुरापाषाण काल ​​के औजारों की पुरातात्त्विक खोजें।
  • भौगोलिक परिदृश्य: विशाखापत्तनम तट पर आकर्षक लाल टीले।
  • वैश्विक तुलना: ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में क्वाटर्नरी दून सिस्टम (Quaternary dune systems) से तुलनीय।
वर्कला की प्राकृतिक विरासत (Natural Heritage of Varkala)

केरल
  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: वर्कला संरचना के नाम से प्रसिद्ध अद्वितीय तटीय अवसादी संरचनाएँ।
  • पृथ्वी का इतिहास: मिओसीन-प्लियोसीन युग  (Miocene–Pliocene) के समुद्री रिकॉर्ड प्रदान करता है।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: समुद्री जीवन और स्तरीकृत विकास के जीवाश्म साक्ष्य।
  • भौगोलिक परिदृश्य: अरब सागर से जुडी चट्टानें, प्रायद्वीपीय भारत में दुर्लभ।
  • वैश्विक तुलना: पुर्तगाल के अल्गार्वे तट पर समान तटीय चट्टान प्रणालियाँ देखी गईं है।

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