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धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी: PM-EAC रिपोर्ट

Lokesh Pal May 15, 2024 06:15 147 0

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने एक अध्ययन प्रकाशित किया, जिसमें भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी बदलाव का विश्लेषण किया गया, हिंदू आबादी का हिस्सा 7.82% कम हो गया, जबकि ईसाई, मुस्लिम, सिखों की आबादी में वर्ष 1950 से 2015 के बीच की अवधि में 65% की वृद्धि देखी गई है। 

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ 

‘धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी: एक क्रॉस कंट्री विश्लेषण’ 

  • अध्ययन ने केवल उन देशों (लगभग 167) पर ध्यान केंद्रित किया, जहाँ वर्ष 1950 तक बहुसंख्यक धर्म (कुल जनसंख्या का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा) था।

आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council) 

  • PM-EAC, नीति आयोग की तरह ही है, यह भी न तो संवैधानिक तथा न ही वैधानिक निकाय है।
  • यह भारत सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री को आर्थिक एवं संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए गठित एक स्वतंत्र निकाय है।
  • आर्थिक नियोजन के संदर्भ में प्रधानमंत्री को आर्थिक मुद्दों पर सलाह देने के लिए 2000 के दशक में शुरुआत की गई।
    •  सितंबर 2017 में इस आर्थिक सलाहकार परिषद का पुनर्गठन किया गया था।
  • संरचना: अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय (अध्यक्ष के रूप में) एवं अन्य उल्लेखनीय पूर्णकालिक तथा अंशकालिक सदस्य, कुल 7 व्यक्ति।
  • EAC के संदर्भ की शर्तें
    • प्रधानमंत्री द्वारा संदर्भित किसी भी मुद्दे, आर्थिक या अन्य, का विश्लेषण करना एवं उस पर उन्हें सलाह देना।
    • व्यापक आर्थिक महत्त्व के मुद्दों को संबोधित करना एवं उन पर प्रधानमंत्री के समक्ष विचार प्रस्तुत करना। यह या तो स्वप्रेरणा से अथवा प्रधानमंत्री या किसी अन्य के संदर्भ पर हो सकता है।
    • समय-समय पर प्रधानमंत्री द्वारा वांछित किसी अन्य कार्य में भाग लेना।
  • नीति आयोग PM-EAC को प्रशासनिक एवं सचिव स्तरीय सहायता प्रदान करता है।

वैश्विक परिणाम (वर्ष 1950 से 2015 के बीच)

  • अधिक धार्मिक विविधता का संकेत: वर्ष 1950 में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी का वैश्विक औसत 75% था।
    • वर्ष 2015 तक यह आँकड़ा लगभग 22% कम हो गया था।
    • भारत जैसे देशों एवं कई OECD देशों में भी उनके बहुसंख्यक धार्मिक शेयरों में गिरावट देखी गई है।
      • OECD देशों में रोमन कैथोलिकों की गिरावट: 35 OECD देशों के डेटा का अध्ययन किया गया, जिनमें से 25 यूरोप से थे एवं इन देशों में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदायों (रोमन कैथोलिक) की हिस्सेदारी में 29 प्रतिशत की कमी आई है।
    • इसके विपरीत, कई मुस्लिम-बहुल देशों में उनके प्रमुख धार्मिक समूहों की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है।
  • अफ्रीका में परिवर्तन: वर्ष 1950 में, 24 अफ्रीकी देशों में मूल धर्म प्रमुख आस्था के रूप में मौजूद था।
    • हालाँकि, वर्ष 2015 तक, इन 24 देशों में से किसी ने भी इन देशज धर्मों के अनुयायी बहुमत को बरकरार नहीं रखा।
  • दक्षिण एशिया में परिवर्तन: दक्षिण एशियाई क्षेत्र में, एक विपरीत प्रवृत्ति है, जहाँ बहुसंख्यक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बढ़ रहा है।
    • हालाँकि, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान एवं अफगानिस्तान जैसे देशों में अल्पसंख्यक आबादी में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

भारतीय स्तर पर परिणाम (वर्ष 1950 एवं 2015 के बीच)

  • हिंदू जनसंख्या : भारत में हिंदू आबादी 7.82% घट गई।
  • मुस्लिम जनसंख्या: भारत में मुस्लिम जनसंख्या में 43.15% की वृद्धि हुई, जो धार्मिक विविधता के लिए अनुकूल वातावरण का संकेत है।
  • ईसाई जनसंख्या: भारत में ईसाई आबादी में 2.24% से 2.36% की मामूली वृद्धि देखी गई, जो 5.38% की वृद्धि दर्शाती है।
  • सिख जनसंख्या: सिख समुदाय ने अपने हिस्से में वृद्धि का अनुभव किया, जो 1.24% से बढ़कर 1.85% हो गई, जो 6.58% की वृद्धि को दर्शाता है।
  • पारसी जनसंख्या: समग्र प्रवृत्ति के विपरीत, भारत में पारसी आबादी में 85% की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जो वर्ष 1950 में 0.03% से घटकर वर्ष 2015 में 0.004% हो गई।
  • जैन जनसंख्या: जैनियों की हिस्सेदारी 0.45 प्रतिशत से घटकर 0.36 प्रतिशत हो गई।
  • इसमें कहा गया है कि सभी धार्मिक समूहों के बीच कुल प्रजनन दर (TFR) घट रही है
    • वर्ष 2005-06 से 2019-21 तक TFR में सबसे अधिक कमी मुसलमानों में देखी गई, उनके TFR में 1 प्रतिशत की गिरावट आई।
    • हिंदुओं में 0.7 प्रतिशत अंक की गिरावट देखी गई।

रिपोर्ट के निहितार्थ

  • रिपोर्ट का तात्पर्य है कि भारत में जनसांख्यिकीय बदलाव विविधता के लिए अनुकूल वातावरण का संकेत देता है।
    • भारत की समावेशी नीतियों ने विविधता को बढ़ावा दिया है, जो विशिष्ट कारणों को बताए बिना अल्पसंख्यक आबादी की बढ़ती संख्या से स्पष्ट है।
  • यह पड़ोसी देशों की तुलना में भारत की सापेक्ष सफलता का हवाला देते हुए अल्पसंख्यक अधिकारों को परिभाषित करने एवं उनकी सुरक्षा करने के महत्त्व को रेखांकित करता है।

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