पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (भारत सरकार) ‘शोर-टू-शिप पॉवर’ (Shore-to-Ship Power) अवसंरचना का विस्तार करने की योजना बना रहा है।
शोर पॉवर (Shore Power)
परिचय: शिपिंग के क्षेत्र में, शोर पॉवर से तात्पर्य किसी नाव, जहाज या किसी समुद्री जहाज को बंदरगाह पर रुकने के दौरान दी जाने वाली विद्युत आपूर्ति से है।
लाभ: शोर पॉवर प्रौद्योगिकी न केवल बंदरगाह परिचालन के जलवायु प्रभाव को न्यूनतम करने में मदद करती है, बल्कि यह बंकर फ्यूल के उपयोग को कम करके सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ भी पहुँचाती है।
इससे न केवल ईंधन की बचत होगी, बल्कि बंदरगाह क्षेत्र में जहाजों से होने वाले उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।
ग्रिड आवश्यकताएँ: विद्युत की मध्यम आवश्यकता (आम तौर पर 50 से 100 किलोवाट से कम) वाले जहाजों के लिए और विद्युत की उच्च आवश्यकता (100 किलोवाट से लेकर 10 से 15 मेगावाट तक) वाले बड़े जहाजों के लिए शोर पॉवर का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है।
शोर पॉवर बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल
भारतीय बंदरगाहों के लिए विद्युत दिशा-निर्देश (Power Guidelines for Indian Ports): बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान, शिपिंग महानिदेशालय (Directorate-General of Shipping- DGS) ने मई 2018 में ‘मानक संचालन प्रक्रियाएँ: भारतीय बंदरगाहों में जहाजों को शोर पॉवर आपूर्ति’ (Standard Operating Procedures: Shore Electric Power Supply to Ships in Indian Ports) जारी की।
ये दिशा-निर्देश ‘150 किलोवाट तक विद्युत की माँग वाले जहाजों’ (छोटे और मध्यम आकार के जहाजों) के लिए लागू थे।
योजना यह है कि इसे चरणबद्ध तरीके से सभी बंदरगाहों पर तथा उन बंदरगाहों पर आने वाले सभी जहाजों के लिए अनिवार्य बनाया जाए।
नए दिशा-निर्देश: बंदरगाहों में ऑनशोर पॉवर सप्लाई (Onshore Power Supply- OPS) के सुरक्षित संचालन के लिए जहाज-तट इंटरफेस आवश्यकताओं को कवर करने वाले अंतरिम दिशा-निर्देशों का एक सेट अप्रैल 2024 में DGS द्वारा जारी किया गया था।
हरित सागर पहल (Harit Sagar Initiative): बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के ‘हरित सागर- हरित बंदरगाह दिशा-निर्देश’ के तहत, पहला चरण, जिसमें बंदरगाह शिल्प (पायलट नाव, टग्स, आदि) को विद्युत शक्ति या हरित ऊर्जा में बदलना शामिल है, वर्ष 2023 में शुरू किया गया था।
शिपिंग महानिदेशक (Director General of shipping)
परिचय: भारत का नौवहन महानिदेशालय या DG शिपिंग, भारतीय पत्तन, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय का एक कार्यालय है।
प्रशासन: शिपिंग महानिदेशक को संविधान के मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की धारा 7 के अंतर्गत वैधानिक शक्तियाँ प्राप्त हैं।
प्रशासनिक पक्ष में उन्हें सहायक नौवहन महानिदेशक और कार्यकारी अधिकारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। उन्हें तकनीकी सहायता उनके नौवहन सलाहकार और नौवहन सर्वेक्षकों से मिलती है।
उद्देश्य: व्यापारिक नौवहन, कानून प्रशासन और नौवहन को प्रभावित करने वाले मुद्दे
समुद्र में जीवन, संपत्ति और जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तरीकों को अपनाना।
भारतीय शिपिंग क्षेत्र का विकास।
समुद्री सुरक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन।
नौसेना अधिकारियों और रेटिंग के प्रशिक्षण के लिए सुविधाओं की उपलब्धता।
नाविक रोजगार विनियमन और उनका कल्याण।
नौकायन जहाज उद्योग का विकास।
विदेशी समुद्री व्यापार में समुद्री माल ढुलाई दरों का विनियमन।
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