100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

सिकल सेल रोग

Lokesh Pal September 05, 2025 03:04 44 0

संदर्भ

मार्च 2024 में, भारत सरकार ने सिकल सेल रोग (Sickle Cell Disease- SCD) और संबंधित आनुवंशिक रक्त विकारों से पीड़ित व्यक्तियों में दिव्यांगता की सीमा का आकलन करने के लिए दिव्यांगजन  अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए।

सिकल सेल रोग (SCD) के लिए संशोधित दिव्यांगता दिशा-निर्देशों के बारे में

  • इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य कल्याणकारी लाभों की पहचान और उन तक पहुँच के लिए एक संरचित ढाँचा प्रदान करना है।
  • व्यक्तियों का कवरेज: संशोधित दिशा-निर्देशों में दो सिकल सेल जीन युक्त व्यक्ति, या सिकल सेल रोग और बीटा थैलेसीमिया, या सिकल सेल रोग और हीमोग्लोबिन D (Hb D) के संयोजन वाले व्यक्ति शामिल हैं।
  • दिव्यांगजन  अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता: यह मान्यता प्रभावित व्यक्तियों को मुफ्त स्कूली शिक्षा, विकास योजनाओं तक पहुँच, स्वास्थ्य सेवा, आवास सहायता और कृषि भूमि में आरक्षण जैसे लाभों का दावा करने की अनुमति देती है।
  • नौकरी कोटे से बहिष्कार: मान्यता के बावजूद, सिकल सेल रोग से पीड़ित  व्यक्तियों को  4% सरकारी रोजगार आरक्षण कोटे से बाहर रखा गया है, जो दृष्टि दोष, श्रवण हानि, लोकोमोटर दिव्यांगता एवं बौद्धिक दिव्यांगता जैसी मानक दिव्यांगताओं के लिए उपलब्ध है।
  • प्रमाणन प्रक्रिया: प्रमाणन में अब भी बायोमेडिकल एवं स्कोर-आधारित प्रणाली का अनुपालन किया जाता है, जो मुख्यतः दर्द की आवृत्ति, रक्त आधान की आवश्यकता और अंग-क्षति जैसी मापनीय जटिलताओं पर केंद्रित रहती है, जबकि इसके सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों की उपेक्षा कर देती है।

PWOnlyIAS विशेष

विश्व सिकल सेल दिवस (World Sickle Cell Day)

  • तिथि: प्रतिवर्ष 19 जून को मनाया जाता है।
  • अंगीकरण: सिकल सेल रोग (SCD) को एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त।
  • उद्देश्य: सिकल सेल रोग (SCD) के बारे में वैश्विक समझ बढ़ाना, जाँच, उपचार और देखभाल में सुधार करना।

भारत में दिव्यांगता प्रमाणन के बारे में

  • दिव्यांगता प्रमाण-पत्र, दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिए एक बुनियादी पहचान दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।
  • यह सरकारी योजनाओं, नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण, स्वास्थ्य सेवा लाभ, पेंशन और कानूनी अधिकारों तक पहुँच को सक्षम बनाता है।
  • प्रमाण-पत्र के बिना, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत संवैधानिक और वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं किए जा सकते।

वर्तमान स्थिति (वर्ष 2013-14 डेटा)

  • राष्ट्रीय परिदृश्य: भारत में केवल 39.28% दिव्यांग व्यक्तियों के पास ही दिव्यांगता प्रमाण-पत्र हैं।
  • जनगणना आँकड़े: 2.68 करोड़ दिव्यांग व्यक्तियों में से, केवल 1.05 करोड़ से कुछ अधिक व्यक्तियों को ही प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं।
  • राज्यवार भिन्नताएँ
    • पश्चिम बंगाल: 20.17 लाख दिव्यांगजनों में से केवल 8.27 लाख (लगभग 41%) के पास ही प्रमाण-पत्र हैं।
    • उच्च प्रदर्शन: दिव्यांगजनों दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने में त्रिपुरा (97.72%) और तमिलनाडु (84%) ने महत्त्वपूर्ण कवरेज हासिल किया है।
    • निम्न प्रदर्शन: नागालैंड (5.7%), अरुणाचल प्रदेश (7%), और दिल्ली (21%) दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने में बहुत पीछे हैं।

दिव्यांगता प्रमाणन से संबंधित  मुद्दे

  • संकीर्ण चिकित्सा दृष्टिकोण: चिकित्सक प्रायः प्रमाण-पत्रों को किसी एकल दिव्यांगता तक सीमित कर देते हैं तथा अनेक दिव्यांगताओं की उपेक्षा कर देते हैं।
  • मनमाना मूल्यांकन: दिव्यांगता का प्रतिशत असंगत रूप से निर्धारित किया जाता है।
  • पहुँच का अंतर: ग्रामीण और वंचित समुदायों के दिव्यांगजनों को चिकित्सा बोर्डों और सरकारी अस्पतालों तक पहुँचने में कठिनाई होती है।
  • बहिष्करण सीमा: पश्चिम बंगाल की सामाजिक कल्याण मंत्री के अनुसार, 40% से कम दिव्यांगता वाले व्यक्तियों को वास्तविक सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद प्रमाण-पत्र जारी नहीं किए जाते हैं।
  • अधिकार अस्वीकार: प्रमाणीकरण के बिना, रोजगार एवं शिक्षा में आरक्षण और सरकारी योजनाएँ निरर्थक हैं, जैसा कि श्रुति राइट्स सेंटर की शम्पा सेनगुप्ता जैसी कार्यकर्ताओं ने उजागर किया है।

आगे की राह

  • सार्वभौमिक कवरेज: यह सुनिश्चित करना कि सभी दिव्यांगजनों को 40% के मानक के बावजूद, कम-से-कम बुनियादी योजनाओं तक पहुँच के लिए प्रमाण-पत्र जारी किए जाएँ।
  • बहु-दिव्यांगता मान्यता: सह-अस्तित्व वाली दिव्यांगताओं को मान्यता देते हुए एक अधिक व्यापक मूल्यांकन प्रणाली अपनाना।
  • डिजिटल एकीकरण: सुगमता और पारदर्शिता के लिए UDID ​​(विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र) कार्ड कार्यक्रम का विस्तार करना।
  • विकेंद्रीकरण: पहुँच में सुधार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्रखंड स्तर के अस्पतालों को प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए अधिकृत करना।
  • जागरूकता और निगरानी: लक्षित जागरूकता अभियान शुरू करना और राज्य के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए स्वतंत्र निगरानी तंत्र स्थापित करना।

विद्वानों का दृष्टिकोण

  • गार्गी मिश्रा, सरोजिनी नादिमपल्ली, लीला श्रीराम और रागिनी डे जैसी विद्वान इस बात पर जोर देती हैं कि दिव्यांगता एक जीवंत अनुभव है, जो न केवल स्वास्थ्य स्थितियों से, बल्कि सामाजिक बहिष्कार, संरचनात्मक बाधाओं और नीतिगत कमियों से भी प्रभावित होता है। इसलिए, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत इसे प्रतीकात्मक समावेशन के बजाय वास्तविक अधिकारों और सुरक्षा में परिवर्तित किया जाना चाहिए।

सिकल सेल रोग (SCD) के बारे में

  • एक आनुवंशिक रक्त विकार, जो एक उत्परिवर्तन के कारण होता है, जो असामान्य हीमोग्लोबिन उत्पन्न करता है, जिसे हीमोग्लोबिन S के रूप में जाना जाता है।

  • लाल रक्त कोशिकाओं पर प्रभाव: उत्परिवर्तन लाल रक्त कोशिकाओं को दराँती (हाशिये) के आकार में विकृत कर देता है, जिससे उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है और वे छोटी रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देती हैं।
  • लक्षण और स्वास्थ्य प्रभाव: मरीज गंभीर दर्द, लगातार थकान, एनीमिया, अंग क्षति से पीड़ित होते हैं और अक्सर उनकी जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है।
  • भारत में सामाजिक आयाम: यह बीमारी अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) और वंचित समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करती है, जिससे यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय दोनों के लिए एक चुनौती बन जाती है।
  • सरकारी पहल: भारत सरकार ने स्क्रीनिंग, रोकथाम और उपचार तंत्र को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (वर्ष 2023-2030) प्रारंभ किया गया है।

वर्तमान दिव्यांगता ढाँचे से संबंधित मुद्दे

  • मानक दिव्यांगता आवश्यकता: दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016, की धारा 2(R) के अंतर्गत, मानक दिव्यांगता को 40% या उससे अधिक दिव्यांगता के रूप में परिभाषित करता है। कई SCD रोगी, जिनके लक्षण प्रासंगिक या परिवर्तनशील होते हैं, अपने जीवन में गंभीर व्यवधान के बावजूद इस कठोर सीमा को पूरा करने में विफल रहते हैं।
  • प्रमाणन में भिन्नता: चिकित्सकों के व्यक्तिपरक निर्णयों के कारण विभिन्न अस्पतालों एवं चिकित्सा बोर्डों में दिव्यांगता के स्तर में भिन्नता पाई जाती है, जो असंगति एवं बहिष्करण की स्थिति उत्पन्न करती है।
  • अदृश्य और प्रासंगिक दिव्यांगता: चूँकि सिकल सेल रोग हमेशा प्रत्यक्ष रूप से दिव्यांगता का रूप नहीं लेता, इसलिए वर्तमान ढाँचा प्रायः बार-बार अस्पताल में भर्ती होना तथा सामाजिक-आर्थिक व्यवधान जैसे पहलुओं का समाधान  करने में असफल रहता है।
  • सुगम्यता संबंधी बाधा: दिव्यांगता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए नैदानिक ​​​​परीक्षण और जिला अस्पतालों के दौरे की आवश्यकता होती है, जो आदिवासी और ग्रामीण रोगियों के लिए विशेष रूप से कठिन है।
  • प्रतीकात्मक मान्यता: रोजगार कोटा और व्यापक लाभ के बिना दी गई मान्यता पर्याप्त नही है।

सुधारों की आवश्यकता

  • रोजगार में आरक्षण का विस्तार: दिव्यांग व्यक्तियों हेतु 4% सरकारी रोजगार आरक्षण कोटे में दिव्यांगता तथा संबंधित रक्त विकारों को सम्मिलित किया जाना चाहिए, ताकि उनकी आजीवन दिव्यांगता के प्रभाव को मान्यता दी जा सके।”
  • प्रमाणन प्रक्रिया में सुधार: ढाँचे को बायोमेडिकल स्कोरिंग से आगे बढ़कर, दर्द, स्कूल में व्यवधान, नौकरी छूटना और सामाजिक-आर्थिक बोझ को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
  • प्रमाणन का विकेंद्रीकरण: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC), मोबाइल मेडिकल बोर्ड और सामुदायिक स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से प्रमाणन को सुलभ बनाया जाना चाहिए।
  • अधिकार-आधारित दृष्टिकोण अपनाना: दिव्यांगता को केवल शारीरिक दुर्बलता के रूप में नहीं, बल्कि चिकित्सा स्थिति, सामाजिक बहिष्कार और संरचनात्मक बाधाओं के संयोजन के रूप में समझा जाना चाहिए।
  • जागरूकता को बढ़ावा: आदिवासी एवं दलित दिव्यांग व्यक्तियों में दिव्यांगता तथा भेदभाव से संबंधित उपेक्षा को कम करने हेतु जागरूकता अभियानों के साथ-साथ व्यापक सामाजिक संवेदनशीलता का विकास अनिवार्य है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.