सिंगफो समुदाय (Singpho Community) के बच्चों का नाम परिवार में उनके जन्म के क्रम के अनुसार रखा जाता है, उनके नाम में अंक शामिल किए जाते हैं।
सिंगफो (Singpho) के बारे में
एक नृजातीय समूह: सिंगफो एक नृजातीय समूह है, जो चीन के युन्नान प्रांत सहित 27 देशों में निवास करता है। यह समूह अन्य जनजातीय समाजों की तरह जटिल नहीं है।
भारत में, ये ज्यादातर अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग एवं नामसाई जिलों तथा असम के तिनसुकिया जिले में निवास करते हैं।
विभाजन: सिंगफो समाज मुख्य रूप से तीन समूहों जैसे- सिसेन (Sisen), नखुम (N’khum) एवं मिरिप (Mirip) में विभाजित है, जो आगे एक प्रमुख के अधीन कई कुलों में विभाजित हो जाता है।
इस समुदाय का गोत्र संगठन वंश अथवा उपवंश पर आधारित होता है।
लिसु (Lisu) समुदाय के बारे में
लिसु के अंतर्गत: लिसु तिब्बती-बर्मन परिवार से संबंधित है एवं अरुणाचल प्रदेश, चीन, म्याँमार तथा थाईलैंड के निकटवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता है। भारत में इनकी संख्या लगभग 5,000 है।
सिंगफो के समान नामकरण प्रणाली: लिसु एवं सिंगफो समुदाय के नामों में संख्याओं का समान उपयोग होता है, शायद वुनपोंग समूह (Wunpong Group) से संबंधित होने के कारण, जिसके म्याँमार के काचिन राज्य में चार और समुदाय हैं।
लिसु लड़कों एवं लड़कियों के जन्म के क्रम को इंगित करने के लिए क्रमांकित नामों के अलग-अलग सेट होते हैं।
सिंगफो की विशेषताएँ
जन्म क्रम को दर्शाते हुए नाम: सात सिंगफो भाइयों के परिवार में, सबसे बड़े के नाम में गम (Gam) जुड़ा होता है एवं उसके बाद के भाइयों में नोंग (Nong), ला (La), डू (Du), तांग (Tang), योंग (Yong) तथा युन (Yun) जुड़ा होता है।
सात सिंगफो बहनों के क्रमिक नामों के लिए क्रम इसप्रकार होगा:- को (Ko), लू (Lu), रोई (Roi), थू (Thu), काई (Kai), खा (Kha) एवं पाई (Pi) है।
उनके नामों में कुल या पूर्वज का नाम भी हो सकता है।
मुखियापन (Chieftainship): यह सिंगफो समाज की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
पितृसत्तात्मक व्यवस्था: सिंगफो परिवार व्यवस्था पितृसत्तात्मक है एवं वे संयुक्त परिवार में रहते हैं।
लेकिन आजकल बदलती परिस्थितियों में परिवार धीरे-धीरे संयुक्त परिवार से टूटकर एकल परिवार में तब्दील होते जा रहे हैं।
बुनकर विशेषज्ञ:सिंगफो महिलाएँ बुनाई में विशेषज्ञ हैं एवं वे अपनी पोशाक स्वयं बनाती हैं।
इस समुदाय में महिलाएँ आज भी हाथ से काते गए एवं घर पर तैयार किए गए परिधानों का ही प्रयोग कर रही हैं।
वर्ष 1843 के सिंगफो विद्रोह के बारे में
अंग्रेजों के विरुद्ध: वर्ष 1843 में अरुणाचल प्रदेश के तिराप में अंग्रेजों के विरुद्ध सिंगफो विद्रोह हुआ।
एक प्रतिशोधात्मक अधिनियम: यह ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अतिक्रमण की गई सिंगफो भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए एक विद्रोह था।
सभी सिंगफो समुदाय अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए एक साथ आए, जिनमें वे भी शामिल थे, जिन्होंने पहले अंग्रेजों के साथ समर्थन के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
परिणाम: सिंगफो ने बीसा चौकी पर तैनात सैनिकों पर हमला कर दिया।
बाद में जब सिपाहियों को सिंगफो द्वारा निगरू एवं कूजू पर कब्जा करने की सूचना मिली तो उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।
इस विद्रोह में कई ब्रिटिश सैनिकों की जान चली गई। और सिंगफो समुदाय पर भी गंभीर हमला किया गया एवं उनके गाँवों में तोड़फोड़ की गई तथा उन्हें जला दिया गया।
बीसा गौम (Beesa Gaum) एवं निग्रूला जैसे सिंहपो के प्रमुख नेताओं के पास अंततः उन्नत ब्रिटिश तोपखाने के सामने आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
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