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सिसल की पत्तियाँ (sisal leaves)

Samsul Ansari January 12, 2024 03:15 157 0

संदर्भ 

हाल ही में शोधकर्ताओं ने महिला के माहवारी संबंधी स्वच्छता उत्पादों को बेहतर अवशोषक बनाने के लिए पर्यावरण-अनुकूलित सिसल की पत्तियों का उपयोग किया है।

संबंधित तथ्य 

  • शोधकर्ताओं ने दीमकों की आँतों एवं सड़ी लकड़ियों पर उपलब्ध कवकों के द्वारा सिसल पत्तियों की डीलिग्निफिकेशन प्रोसेस (Delignification Process) विकसित की है।
    • दीमक के जठरांत्र (Gastrointestinal Tract) में जीवाणुओं का संकेन्द्रण होता है।
  • सेलुलोज तत्वों की संरचना को संरक्षित रखते हुए लिग्निन को हटाने हेतु इस प्रक्रिया में पेरोक्सीफॉर्मिक अम्ल का उपयोग किया जाता है।
    • यह दृष्टिकोण पारंपरिक तरीकों की तुलना में कम पर्यावरणीय क्षति करता है। इस प्रक्रिया द्वारा प्राप्त उपोत्पाद भी अपेक्षाकृत कम नुकसान पहुँचाते हैं।

डीलिग्निफिकेशन प्रोसेस (Delignification Process) 

  • लिग्नोसेल्यूलोसिक सामग्रियों से लिग्निन को अलग करने का प्रारंभिक चरण ‘डीलिग्निफिकेशन प्रोसेस’ कहलाता है।

सिसल की पत्तियाँ 

  • सिसल पौधे की विशेषताएँ:
    • यह शुष्क क्षेत्रों में पनपने वाला एक गूदेदार पादप है जो एगेव (Agave) प्रजाति से संबंधित है।
    • इस पौधे की विशेषता इसके काँटे, दुर्गंध तथा साथ ही 90 सेमी (3 फीट) का मजबूत लंबा डंठल है
    • शाखाएँ पादप के अंतिम छोरों पर घनी हो जाती हैं। तने और फूल के डंठलों के बीच कलियाँ ऊपर की ओर उगती हैं।
    • यह मूल रूप से मध्य अमेरिका में पाया जाता है किंतु इसकी कृषि केन्या, मोजाम्बिक, ब्राजील और फिलीपींस सहित विभिन्न देशों में की जाती है।

  • जीवन चक्र एवं उपयोगिता
    • जीवनकाल: इन पौधों के 7 से 10 वर्षों के जीवनकाल में 200-250 पत्तियाँ उगती हैं।
    • जल-अवशोषण करने वाले गुण के कारण इस पौधे का अवशोषक सामग्री के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व
    • प्राचीन  एज्टेक (Aztec) और माया सभ्यता में विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सिसल की पत्तियों का उपयोग किया जाता था।
    • इसका प्रयोग कागज उत्पादन, मादक पेय पदार्थों को शुद्ध करने आदि कार्यों के लिए होता था।
  • उपयोग
    • प्रत्येक पत्ती में लगभग एक हजार रेशे होते हैं, जिस वजह से इनका उपयोग रस्सी, कागज और कपड़ा निर्माण के लिए किया जा सकता है।

विभिन्न देशों में माहवारी संबंधी स्वच्छता की स्थिति

  • वर्ष 2022 में अशोक विश्वविद्यालय के ‘आर्थिक डेटा और विश्लेषण केंद्र’ द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं ने बड़ी संख्या में माहवारी संबंधी स्वच्छता प्रक्रियाओं को अपनाया है।
    • हालाँकि, दुनिया भर में लगभग 500 मिलियन महिलाओं की पर्याप्त पहुँच माहवारी संबंधित स्वच्छता उत्पादों तक नहीं है।
    • ग्रामीण भारत में केवल 42% किशोरियाँ माहवारी के समय स्वच्छ तरीकों का उपयोग करती हैं।

सैनिटरी पैड में आमतौर पर एक अवशोषक पदार्थ का प्रयोग किया जाता है, जिसमें लकड़ी की लुगदी एवं कृत्रिम अवशोषक [सिंथेटिक सुपरएब्जॉर्बेंट पॉलिमर (SAPs)] का मिश्रण होता है।

बेहतर सेनेटरी पैड के निर्माण के लिए उठाए गए कदम 

  • माहवारी अपशिष्टों के कारण बढ़ते स्वास्थ संबंधी मुद्दों ने वैज्ञानिकों को सतत् और बेहतर सैनिटरी पैड निर्माण के लिए प्रेरित किया है।
  • विभिन्न संस्थानों ने सेनेटरी पैड में सिंथेटिक सुपरएब्जॉर्बेंट पॉलिमर (SAPs) को कम करने के लिए केले के पौधों के रेशों का उपयोग किया है।
  • इसके अलावा, जल-अवशोषण की विशेष क्षमता के कारण ‘सिसल’ पौधा को भी पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सतत् सैनिटरी पैड बनाने हेतु एक विकल्प के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
  • व्यावसायिक रूप से निर्मित कपास की लुगदी वाले सैनिटरी पैड की तुलना में सिसल की लुगदी की अवशोषक क्षमता अधिक होती है।

सेनेटरी पैड के लिए केले का रेशा अच्छा विकल्प क्यों नहीं है?

सूखे के प्रति संवेदनशील होने के कारण केले के पौधे शुष्क या अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में सैनिटरी पैड के निर्माण के लिए एक स्थायी विकल्प नहीं हो सकते हैं।

सेनेटरी पैड से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्या 

  • डाइऑक्सिन: एक ही बार उपयोग होने वाले सैनिटरी पैड में ‘डाइऑक्सिन’ का उपयोग होता है जो एक पर्यावरण प्रदूषक है।
    • ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC)’ द्वारा डाइऑक्सिन को ‘ज्ञात कैंसर-उत्पादक पदार्थ’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • स्वास्थ्य संबंधी खतरा: सैनिटरी पैड में प्रयुक्त ‘डाइऑक्सिन’ का शरीर से संपर्क होने के कारण स्वास्थ संबंधित संभावित जोखिम पैदा हो सकते हैं, जिसमें कैंसर का खतरा भी शामिल है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: सैनिटरी पैड के अनुचित निपटान से अजैवघटकीय कचरा उत्पन्न होता है जो अंततः पर्यावरण प्रदूषण में योगदान देता है।

निष्कर्ष

माहवारी स्वच्छता संबंधी उत्पादों के निर्माण में सिसल के प्रयोग से पर्यावरणीय क्षति को कम किया जा सकता है। हालाँकि इसके सफल कार्यान्वयन की अति आवश्यकता है।

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