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छठी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा

Lokesh Pal March 01, 2024 06:47 108 0

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का छठा सत्र (UNEA-6) केन्या के नैरोबी में आयोजित किया जा रहा है।

संबंधित तथ्य

  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य: इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन, प्रकृति और जैव विविधता का ह्रास तथा प्रदूषण एवं अपशिष्ट के त्रिपक्षीय संकट से निपटने में मदद करने के लिए बहुपक्षवाद संबंधी भूमिका की योजना बनाना और वैश्विक पर्यावरण नीति को आकार देना है।
  • विषय वस्तु: जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता ह्रास और प्रदूषण से निपटने के लिए प्रभावी, समावेशी तथा सतत् बहुपक्षीय कार्रवाई।
  • यंग चैंपियंस ऑफ द अर्थपुरस्कार: UNEA ने अपने यंग चैंपियंस ऑफ द अर्थपुरस्कार हेतु नामांकन के लिए 18 से 30 वर्ष की आयु के सात लोगों को चयनित किया है।
    • यंग चैंपियंस ऑफ द अर्थ का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन दशक की साझेदारी में और नए वैश्विक जैव विविधता ढाँचे के समर्थन में किया जाता है तथा पर्यावरण की रक्षा के लिए युवाओं के योगदान को मान्यता प्रदान करता है।

मुख्य निष्कर्ष

  • पर्यावरणीय बहुपक्षवाद: 28 फरवरी, 2024 को 2 उच्च स्तरीय संवादों के साथ पहली बार बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों (MEA) के साथ सहयोग और अभिसरण के महत्त्व पर चर्चा हुई।
    • संवाद एजेंडा 1: प्रभावी पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन के लिए विज्ञान-नीति संबंध में मजबूत करना।
    • संवाद एजेंडा 2: राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए UNEA, UNEP और बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों (MEA) के बीच सहयोग को मजबूत करना।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में ऊर्जा परिवर्तन पर सत्र
    • विषय वस्तु : यह सुनिश्चित करना कि ऊर्जा परिवर्तन प्रकृति और लोक कल्याणकारी ग्रह के निर्माण में योगदान देता है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को तेजी से अपनाना: दुनिया को वर्ष 2030 तक वर्तमान की तुलना में तीन गुना अधिक नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता है।
    • विश्व स्तर पर स्वीकार्य नवीकरणीय ऊर्जा मानकों का विकास: दुनिया भर में विकास को गति देने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए, इस पर सर्वोत्तम प्रथाओं का निर्माण कर विकास को मानकीकृत करना और एक दिशा प्रदान करना।
    • IUCN नवीकरणीय ऊर्जा के लिए नए मानक विकसित करने की प्रक्रिया में है, जिससे परियोजनाएँ पर्यावरणीय रूप से सतत् हों।
    • संसाधन संचलन और खनिजों की जिम्मेदार सोर्सिंग: खनन क्षेत्र में एक नए प्रतिमान को स्थापित करने की आवश्यकता है, जिसमें खनिज स्रोत की नए सिरे से खोज की जाएगी, जो खनिजों की जीवन शृंखला का विस्तार करने के लिए औद्योगिक क्रांति 4.0 को शक्ति प्रदान करेगी। उदाहरण: बैटरियों के लिए लीथियम
    • वैकल्पिक व्यवसाय मॉडल: पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में कम लाभप्रदता होने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा में अल्प निवेश पर एक बाधा थी, जिसके लिए वैकल्पिक व्यवसाय मॉडल को अपनाने की आवश्यकता है।

प्लास्टिक प्रदूषण

  • वर्तमान परिदृश्य: विश्व भर में उत्पादित आधे से अधिक प्लास्टिक में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक शामिल हैं। दुनिया भर में उपयोग किए जाने वाले सभी प्लास्टिक का 36 प्रतिशत पैकेजिंग के लिए उपयोग किया जाता है और 33 प्रतिशत प्लास्टिक पैकेजिंग पर्यावरण क्षरण से बाहर निकल जाती है।
  • पुनर्चक्रण: केवल 9% प्लास्टिक का पुनर्चक्रण किया जाता है।
  • पुन: उपयोग: अनुमान के अनुसार, केवल 10% प्लास्टिक उत्पादों का पुन: उपयोग करने से समुद्र में पहुँचने वाले प्लास्टिक कचरे की मात्रा 50% तक कम हो जाएगी और वर्ष 2040 तक पुन: उपयोग विधियों से प्लास्टिक प्रदूषण में 30% की कमी आ सकती है।
    • पुन: उपयोग प्रणाली से पैकेजिंग उत्पादन में 90 प्रतिशत की कमी और महत्त्वपूर्ण CO2 उत्सर्जन में कमी आ सकती है।

  • प्लास्टिक पर कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि पर चर्चा
    • इस कार्यक्रम की सह-मेजबानीद ग्लोबल एलायंस-टू-एडवांस रियूज’ द्वारा चिली, फिजी और यूरोपीय निवेश बैंक के प्रतिनिधिमंडलों के साथ की गई है।
    • विषय वस्तु: प्लास्टिक प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण के लिए पैकेजिंग पुन: उपयोग विकल्पों को पेश करके मजबूत पुन: उपयोग प्रावधानों को शामिल करना वार्ता का केंद्रीय विषय है।
      • प्लास्टिक संधि का अप्रैल 2024 तक का डेटा कनाडा के ओटावा में अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC-4) के चौथे सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
    • पुन:उपयोग (Reuse) की वैश्विक स्तर पर बढ़ोतरी के लिए मानक: पुन:उपयोग और संसाधन-चक्रीयता (Circularity) की परिभाषाओं में सामंजस्य बिठाकर शुरुआत की जानी चाहिए। इसके साथ पुन:उपयोग के लिए एक व्यवस्थित प्रणाली को विकसित करने की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)

  • प्रमुख पर्यावरणीय प्राधिकरण: यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत अग्रणी पर्यावरणीय प्राधिकरण है।
  • सदस्यता: UNEP की सदस्यता सार्वभौमिक है, जिसमें सभी 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश शामिल हैं।
  • केंद्र बिंदु : यह मानवता की सर्वाधिक दबावयुक्त पर्यावरणीय चुनौतियों को संबोधित करने पर केंद्रित है, जैसे;
    • जलवायु परिवर्तन
    • प्रकृति और जैव विविधता का नुकसान
    • प्रदूषण

बहुपक्षीय पर्यावरण समझौते (MEA)

ये तीन या अधिक राज्यों के बीच संपन्न समझौते हैं, जो राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर विशिष्ट पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में सहायता करते हैं और ये अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण शासन तथा कानून के महत्त्वपूर्ण उपकरण हैं।

UNEP और MEA

  • UNEP समर्थन और सचिवालय सुविधाओं के साथ दो दर्जन से अधिक MEA और संबंधित संस्थाओं के प्रशासन में मदद करता है।
  • UNEA-6 में यह पहली बार है, जब इन निकायों के प्रतिनिधि एक साथ एकत्र हुए हैं ताकि त्रिपक्षीय ग्रह संकट और बहुपक्षवाद द्वारा प्रदान किए जा सकने वाले समाधान पर चर्चा कर सकें।

उल्लेखित बहुपक्षीय पर्यावरण समझौते

  •  जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD): यह जैविक विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग को बढ़ावा देता है।
  •  वन्य जीव-जंतुओं और उनके वनस्पति के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (CITES): यह लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार को नियंत्रित करता है।
  • जंगली जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CMS): यह प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण और प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
  •  खतरनाक कचरे के सीमा पार आवागमन और उनके निपटान के नियंत्रण पर बेसल कन्वेंशन: यह खतरनाक कचरे के प्रबंधन को नियंत्रित करता है।
  • खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों के लिए पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया पर रॉटरडैम कन्वेंशन: यह खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों के व्यापार को नियंत्रित करता है।
  • लगातार कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम कन्वेंशन: यह लगातार कार्बनिक प्रदूषकों के उत्पादन और उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
  • ओजोन परत की सुरक्षा के लिए वियना कन्वेंशन: यह ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन हेतु बहुपक्षीय कोष: यह विकासशील देशों को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करता है।
  • जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच (IPBES): यह जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर नीति निर्माताओं को वैज्ञानिक सलाह प्रदान करता है।
  • जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (IPCCC): यह नीति निर्माताओं को जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक सलाह प्रदान करता है।

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