छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (Small Modular Reactors- SMRs) की विनिर्माण मूल्य शृंखला में प्रवेश करने की भारत की योजनाएँ गति पकड़ रही हैं।
SMR क्या है?
SMRs छोटे परमाणु रिएक्टर हैं, जो प्रति यूनिट 30-300 मेगावाट विद्युत उत्पादन करते हैं।
छोटे परमाणु रिएक्टरपरमाणु विखंडन के सिद्धांत पर कार्यकरते हैं।
SMRs में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के पूरक के रूप में ऊर्जा का एक विश्वसनीय रूप एवं कम कार्बन उत्सर्जन करने की क्षमता होती है।
SMRs की स्थिति
सार्वजनिक एवं निजी दोनों संस्थान इस दशक के भीतर SMR प्रौद्योगिकी को सफल बनाने के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
रूस का अकादेमिक लोमोनोसोव (Akademik Lomonosov), विश्व का पहला तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जिसने मई 2020 में वाणिज्यिक संचालन शुरू किया, यह दो 35 मेगावाट SMRs से ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है।
अन्य SMRs अर्जेंटीना, कनाडा, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्माणाधीन या लाइसेंसिंग चरण में हैं।
SMRs की मुख्य विशेषताएँ
छोटा आकार: SMRs पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में काफी छोटे होते हैं, जिससे निर्माण एवं परिचालन लागत कम हो जाती है।
मॉड्यूलर डिजाइन: SMRs को फैक्ट्री-असेंबल किया जा सकता है एवं साइट पर ले जाया जा सकता है, जिससे इंस्टॉलेशन सुव्यवस्थित हो जाता है तथा निर्माण का समय कम हो जाता है।
भूमि की कम आवश्यकताएँ: SMRs कम परमाणु अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं एवं इन्हें मौजूदा औद्योगिक स्थलों में सुरक्षित रूप से संचालित किया जा सकता है, जिससे भूमि अधिग्रहण की चुनौतियाँ कम हो जाती हैं।
महत्त्वपूर्ण खनिजों पर कम निर्भरता: SMRs को कम समृद्ध यूरेनियम की आवश्यकता होती है, जो अन्य ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में उपयोग किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण खनिजों की तुलना में अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध है।
SMRs के लाभ
निर्माण समय एवं लागत में कमी: SMRs को फैक्ट्री में असेंबल किया जा सकता है एवं निर्माण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करते हुए साइट पर ले जाया जा सकता है।
उन्नत सुरक्षा: SMRs में उन्नत सुरक्षा सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम कम हो जाता है।
लचीलेपन में वृद्धि: SMRs को दूरदराज के क्षेत्रों एवं औद्योगिक स्थलों सहित विभिन्न स्थानों पर स्थापित किया जा सकता है।
पर्यावरणीय प्रभाव में कमी: SMRs कम परमाणु अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं एवं पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में इसका कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
भारत की ऊर्जा रणनीति के साथ एकीकरण
नेट-शून्य उत्सर्जन: SMRs वर्ष 2070 तक भारत के नेट-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य में योगदान दे सकते हैं।
उन्नत ऊर्जा सुरक्षा: SMRs भारत के ऊर्जा मिश्रण में विविधता ला सकते हैं एवं जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकते हैं।
ग्रिड स्थिरता: SMRs ग्रिड स्थिरता में सुधार करते हुए ऊर्जा का एक विश्वसनीय एवं प्रेषण योग्य स्रोत प्रदान कर सकता है।
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