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भारत में सामाजिक सुरक्षा (social security in india)

Samsul Ansari January 24, 2024 06:27 417 0

संदर्भ

भारत को $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिये अपने संपूर्ण कार्यबल को वित्तीय और प्रशासनिक रूप से व्यवहार्य सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना बहुत ही आवश्यक है। 

सामाजिक सुरक्षा क्या है?

  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labor Organization-ILO) के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा व्यक्तियों और परिवारों को दी जाने वाली वह सुरक्षा है, जो उन्हें स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करती है तथा आय सुरक्षा की गारंटी देती है, विशेष रूप से वृद्धावस्था, बेरोजगारी, बीमारी, विकलांगता, कार्य से संबंधित चोट, मातृत्व या परिवार के कमाने वाले सदस्य के मृत्यु से संबंधित मामलों में।

भारत में सामाजिक सुरक्षा की स्थिति

  • अनौपचारिक कार्यबल: भारत का लगभग 91% (या लगभग 47.5 करोड़) कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में काम करता है। इसमें सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच का अभाव है।
    • आने वाले दो दशकों में, भारत में वृद्ध लोगों की आबादी के अनुपात में वृद्धि होने की संभावना है और सीमित बचत वाले ऐसे श्रमिकों के पास कोई विशेष सामाजिक सुरक्षा नहीं होगी।
    • 6.3 करोड़ भारतीय उद्यमों में से केवल 10 लाख ही मासिक सामाजिक सुरक्षा में योगदान करते हैं और 55 करोड़ श्रमबल में से लगभग 7.5% ही इसका लाभ उठा पाते हैं। 
  • वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों का अभाव: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey-PLFS) वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार, भारत में लगभग 53% वेतनभोगी कार्यबल के पास कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं है।
    • ऐसे कर्मचारी भविष्य निधि, पेंशन, स्वास्थ्य देखभाल और विकलांगता बीमा जैसे लाभों  का फायदा नहीं उठा पाते हैं।
    • कार्यबल के सबसे निचले 20% समूह में से केवल 1.9% के पास ही किसी न किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा की पहुँच प्राप्त है।
  • सामाजिक सुरक्षा लाभों में लैंगिक असमानता: वर्तमान में 47.8 प्रतिशत वेतनभोगी पुरुषों को सामाजिक सुरक्षा से जुड़े लाभ मिलते हैं, इसके विपरीत केवल 44.3% वेतनभोगी महिलाओं को ही सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल पाते हैं।
  • गिग श्रमिकों की स्थिति: गिग श्रमिकों को पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी व्यवस्था से बाहर माना जाता है, वे भारत की सक्रिय श्रमशक्ति का लगभग 1.3% हिस्सा हैं, लेकिन उनकी किसी भी सामाजिक सुरक्षा लाभ तक पहुँच नहीं है।
  • खराब रैंकिंग: 15वें वार्षिक मर्सर सीएफए इंस्टिट्यूट के ग्लोबल पेंशन इंडेक्स (Mercer CFA Institute Global Pension Index-MCGPI) के अनुसार, वर्ष 2023 में भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का प्रदर्शन खराब रहा है। इसे 47 देशों की सूची में से 45वाँ स्थान मिला है।

सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता

  • बढ़ती वृद्ध आबादी: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, भारत में वर्ष 2050 तक बुजुर्ग आबादी दोगुनी हो जाएगी और बच्चों की संख्या को पीछे छोड़ देगी, जिससे बढ़ती उम्र का खतरा भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बन गया है।
    • 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या वर्ष 2022 के 14.9 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2050 में 34.7 करोड़ हो जाएगी।
  • योजनाओं की खंडित प्रकृति: निजी वाणिज्यिक परिवहन कर्मचारी दुर्घटना लाभ योजना के तहत चालक के अधिकतम दो बच्चों को ही शिक्षा सहायता दी जाती है, हालाँकि यह तभी लागू होता है जब ऐसी दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी विकलांगता से ग्रस्त होता है।
    • यदि वह अभी भी जीवित और सक्षम है तो उसके बच्चों के लिए कोई छात्रवृत्ति नहीं है।
  • गिग श्रमिकों की अनदेखी: निर्माण श्रमिकों के बच्चों को प्री-स्कूल से स्नातकोत्तर तक छात्रवृत्ति मिलती है, जबकि गिग-श्रमिकों के बच्चों के लिये ऐसी कोई है। 
  • क्षेत्र-विशिष्ट योजनाओं से जुड़ी कमियाँ: असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा (Unorganised Workers’ Social Security-UWSS) अधिनियम, 2008 का उद्देश्य असंगठित  क्षेत्र के प्रत्येक श्रमिक को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और ILO द्वारा निर्धारित सभी नौ लाभ प्रदान करना है।
    • हालाँकि, इसकी कई अंतर्निहित कमियों के कारण, केवल 4,30,198 पंजीकृत श्रमिकों ने ही क्षेत्र-विशिष्ट योजनाओं का लाभ उठाया, और उन्हें भी केवल एक या दो लाभ ही प्राप्त हुए है। 
    • ILO द्वारा निर्धारित सामाजिक सुरक्षा के नौ प्रमुख लाभों में चिकित्सा देखभाल, बीमारी, बेरोजगारी, बुढ़ापा, रोजगार चोट, परिवार, मातृत्व, विकलांगता और उत्तरजीवी लाभ शामिल हैं।

सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाएँ: ब्राजील की सामान्य सामाजिक सुरक्षा योजना

  • यह एक अंशदायी आधारित योजना है, जो किसी कर्मचारी (और उसके परिवार) के लिए आय हानि की भरपाई करती है, चाहे वह आंशिक या पूर्ण हो।
  • बेरोजगारी बीमा का भुगतान श्रमिक सहायता निधि से किया जाता है और स्वास्थ्य देखभाल को एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से कवर किया जाता है।
  • ब्राजील के सामाजिक सुरक्षा दस्तावेजों के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा लाभ केवल एक फोन कॉल या बैंक में जाकर ही प्राप्त किया जा सकता है, इसके लिए अंतहीन दस्तावेजों को जमा करने की आवश्यकता नहीं होती है।

भारत में सामाजिक सुरक्षा के लिए कानून

  • कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employee Provident Fund Organisation-EPFO): इसका गठन भारत में श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत किया गया है।
    • यह तीन योजनाओं का प्रबंधन करता है: ईपीएफ योजना 1952, पेंशन योजना 1995 (EPS) और बीमा योजना 1976 (EDLI)।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इसमें शहरी और ग्रामीण गरीबों, निर्माण श्रमिकों, गिग और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को सक्षम करने के लिए एक वैधानिक ढाँचा प्रदान करने की माँग की गई है।
    • इसमें जीवन बीमा, विकलांगता बीमा, दुर्घटना बीमा, साथ ही मातृत्व और स्वास्थ्य देखभाल लाभ के साथ-साथ वृद्धावस्था सुरक्षा और गिग श्रमिकों के लिए क्रेच सुविधाओं का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।
  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System-NPS): यह एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जो ग्राहकों को योजनाबद्ध बचत के लिए परिभाषित अंशदान करने की अनुमति देती है, जिससे पेंशन के रूप में भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है।
    • यह सशस्त्र बलों को छोड़कर सार्वजनिक, निजी और यहाँ तक ​​कि असंगठित क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए भी खुला है।

भारत में सामाजिक सुरक्षा पर सरकारी योजनाएँ

  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme-NSAP): यह ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के वृद्धों, विकलांगों और विधवाओं के लिए चलाया जाने वाला एक कल्याण कार्यक्रम है।
  • ई-श्रम प्लेटफॉर्म: यह प्रवासी श्रमिकों, निर्माण श्रमिकों, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों आदि असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस है।
  • प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM): यह असंगठित श्रमिकों (Unorganized Workers-UW) की वृद्धावस्था सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक सरकारी योजना है।
  • अटल पेंशन योजना (APY): यह 18-40 वर्ष के आयु वर्ग के बचत खाताधारक के लिए एक वृद्धावस्था आय सुरक्षा योजना है, जो आयकर दाता नहीं है। यह योजना मुख्य रूप से गरीबों, वंचितों तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लक्षित करती है।

भारत में सामाजिक सुरक्षा के साथ चुनौतियाँ

  • प्रतिस्पर्द्धा का अभाव: EPFO और कर्मचारी राज्य बीमा (Employees’ State Insurance-ESI) द्वारा कार्य से संबंधित सामाजिक सुरक्षा भुगतान पर एकाधिकार का नियोक्ताओं (उच्च कीमतें और भ्रष्टाचार के दबाव), कर्मचारियों (खराब व्यवहार और अनदेखी) और समाज (औपचारिकता की तुलना में अनौपचारिकता को अधिक लाभदायक बनाना) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • EPFO का दोषपूर्ण डिजाइन: संविदात्मक रोजगार के बढ़ने के साथ, अधिकांश कर्मचारियों के पास एक से अधिक नियोक्ता हैं।
    • EPFO के वर्तमान डिजाइन में, रिकॉर्ड नियोक्ताओं से जुड़े हुए हैं, उन हजारों निष्क्रिय खातों से नहीं जो कर्मचारियों के हैं, नवीनतम अनुमान के अनुसार ऐसे निष्क्रिय खातों में शेष राशि ₹25,000 करोड़ से अधिक है।
  • स्थायित्व का मुद्दा: EPS ग्राहक के वेतन का 8.33% एक निर्धारित-लाभ योजना में में चला जाता है। हालाँकि, EPS पेंशन लाभ और योगदान दोनों तय करता है।
    • EPFO  द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ता मूल वेतन का 12% योगदान करते हैं।
    • नियोक्ताओं द्वारा योगदान किए गए 12% में से 8.33% EPS में जाता है। शेष 3.67% कर्मचारी भविष्य निधि में जमा किया जाता है।
    • नवंबर 2022 के अदालती फैसले ने इस योजना को अस्थिर घोषित कर दिया।
    • इसने EPS में असीमित वेतन अंशदान करके अधिक पेंशन चुनने के अधिकार को बरकरार रखा है, जिससे योजना को और भी कम टिकाऊ बना दिया है।
  • सीमित बजट व्यय: नीतियों की घोषणा की जाती है, लेकिन योजना के खराब उपयोग के कारण बजटीय आवंटन अपर्याप्त है।
    • उदाहरण के लिए– राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना वित्त वर्ष 2011 में की गई थी, जिसमें लगभग ₹22,841 करोड़ की अनुमानित आवश्यकता की तुलना में केवल ₹1,000 करोड़ का आवंटन किया गया था।
    • वित्त वर्ष 2017 में इस योजना पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के ऑडिट से पता चला कि ₹1,927 करोड़ (शुरुआत के बाद से जमा हुई पूरी राशि) का उपयोग नहीं किया गया था।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) के साथ चुनौतियाँ: यह मूल रूप से औपचारिक उद्यमों से संबंधित है और अनौपचारिक उद्यमों को कवर नहीं करता है।
    • वर्तमान संहिता में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के साथ-साथ उन अनुबंध श्रमिकों को भी शामिल नहीं किया गया है, जो अपनी आजीविका की तलाश में एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय में स्थानांतरित होते हैं।जैसे- निर्माण श्रमिक। 
    • इसके अलावा, यह श्रमिकों की संख्या के संदर्भ में उद्यम के आकार पर निर्भर करता है।
  • श्रमिकों के औपचारीकरण के साथ चुनौती: सभी प्रतिष्ठानों (अनुमानतः 6.5 करोड़ से अधिक, जिनमें से दो-तिहाई असंगठित क्षेत्र में हैं) का पंजीकरण एक चुनौती है।
    • ई-श्रम पोर्टल अनौपचारिक श्रमिकों पर पंजीकरण का अतिरिक्त दबाव डालता है, जिन्हें स्व-घोषणा प्रस्तुत करने और अपना आधार कार्ड साझा करने की आवश्यकता होती है।
    • पंजीकरण को बढ़ावा देने के लिए उनके नियोक्ता (यहाँ तक अस्थायी भी) को कोई जिम्मेदारी/प्रोत्साहन नहीं दिया गया है।
    • नियोक्ताओं को इस प्रक्रिया में लाने से कर्मचारी-नियोक्ता संबंध औपचारिक हो जाएँगे।

औपचारीकरण में तेजी लाने के लिए आवश्यक सुधार

  • प्रतिस्पर्द्धा: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर्मचारियों को यह चुनने का विकल्प देकर अधिक प्रतिस्पर्द्धा का आह्वान किया है कि वे अपना अंशदान EPFO या सार्वजनिक क्षेत्र की राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में से किसी में भी जमा करें। इस प्रक्रिया पर नियोक्ता का कोई नियंत्रण नहीं होगा।
    • शामिल होने के समय दिया गया यह विकल्प, वार्षिक परिवर्तनों के लिए खुला रह सकता है, जो उनके बीच आसान अंतर-संचालनीयता की सुविधा प्रदान करता है।

कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme-EPS)

  • यह एक ऐसी योजना है, जो कर्मचारियों को पेंशन का भुगतान करती है और यह उन कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है जो EPFO के सदस्य हैं।
  • इसके अलावा 15,000 रुपये तक वेतन पाने वाले कर्मचारी इस योजना के लिए पात्र हैं।
  • योजना के तहत, नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का 8.67%, 1250 रुपये तक, EPS खाते में अंशदान देता है।
  • अंशदान प्रति माह 1250 रुपये तक सीमित है।

    • EPS में सुधार: EPS को EPFO से बाहर निकाल कर सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित, सार्वभौमिक वृद्धावस्था सुरक्षा पेंशन कार्यक्रम, जैसे कि अटल पेंशन योजना के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
      • एक कार्य-संयोजित कार्यक्रम के रूप में, ईपीएफओ को उम्र से संबंधित जोखिमों, अपर्याप्त निवेश आय और असहनीय क्रॉस-सब्सिडी से बचाने के लिए एक परिभाषित-योगदान योजना के रूप में जारी रखने की आवश्यकता है।
    • सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रणाली डिजाइन करना: विभिन्न प्रकार के श्रमिकों (औपचारिक और अनौपचारिक दोनों श्रेणियों के तहत) के बीच व्यापक असमानताओं को देखते हुए, श्रमिक-लाभार्थियों की तीन श्रेणियों के लिए एक सामाजिक बीमा प्रणाली डिजाइन की जा सकती है:
      • गरीबी रेखा से नीचे आने वाले सबसे गरीबों के लिए गैर-अंशदायी; 
      • गैर-गरीब श्रमिकों और गैर-गरीब स्वरोजगार (नियोक्ताओं) द्वारा आंशिक योगदान
      • औपचारिक श्रमिकों के लिए, EPFO के तहत नियोक्ता और कर्मचारी द्वारा योगदान।
  • मौजूदा योजनाओं को मजबूत करना: मौजूदा योजनाओं, जैसे कि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESI) और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) को बजट समर्थन और कवरेज के विस्तार के साथ मजबूत करने की आवश्यकता है।
  • जागरूकता सृजन: सामाजिक सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है ताकि अधिक श्रमिक उपलब्ध लाभों के बारे में जान सकें।
    • स्वरोजगार महिला संघ (SEWA) जैसे संगठन, जो शक्ति केंद्र (श्रमिक सुविधा केंद्र) चलाते हैं, उन्हें सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं और योजनाओं के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा अधिकारों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए अभियान (विशेष रूप से महिलाओं के लिए) चलाने हेतु वित्तपोषित किया जा सकता है।
  • प्रवासी डेटा संग्रह: ‘सामाजिक सुरक्षा निधि की अंतरराष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी’ पर डेटा टास्क फोर्स ने सिफारिश की कि सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों की दक्षता के लिए प्रवासियों की संवेदनशीलता और जरूरतों पर डेटा एकत्र किया जाना चाहिए तथा उसका विश्लेषण किया जाना चाहिए।
    • इससे हस्तांतरणीय लाभों के संभावित वित्तीय निहितार्थों की गणना और श्रमिक प्रवासियों के प्रभावी सामाजिक सुरक्षा कवरेज के अनुमान की सुविधा मिलेगी।
  • सामाजिक सुरक्षा कोष: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में प्रस्तावित यह कोष श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक कदम होगा।

सर्वोत्तम राज्य प्रथाएँ

  • मध्य प्रदेश असंगठित श्रमिक कल्याण (MP) अधिनियम, 2003 सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के वित्तपोषण के लिए संसाधन जुटाने हेतु  एक प्रभावी मॉडल पेश करता है, जिसमें नियोक्ताओं को वेतन का 5% उपकर के रूप में देना अनिवार्य है।
  • यह एकल सामाजिक सुरक्षा कोष में सरकार का योगदान प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्य-स्तरीय करों और रॉयल्टी पर अतिरिक्त उपकर लगाने का भी आदेश देता है।

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