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सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple)

Samsul Ansari January 22, 2024 01:23 370 0

संदर्भ

22 जनवरी, 2024 को भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन, 73 वर्ष पहले भारतीय राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन की याद दिलाता है।

उल्लेखनीय है कि 13 नवंबर, 1947 को सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने वाले सरदार पटेल के संकल्प के साथ आधुनिक मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। 11 मई, 1951 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मौजूदा मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की थी।

सोमनाथ मंदिर के विषय में

  • स्थान: यह मंदिर गुजरात के वेरावल में प्रभास पाटन में अवस्थित है। यह मंदिर भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम में अरब सागर के तट पर अवस्थित है।
  • वेरावल एक प्राचीन व्यापारिक बंदरगाह था।
  • सोमनाथ मंदिर- हिंदुओं के एक तीर्थ स्थान के रूप में: सोमनाथ मंदिर गुजरात का एक महत्त्वपूर्ण हिंदू तीर्थ और पर्यटन स्थल है, जहाँ प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने आते है।
    • यह प्रथम आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव का पवित्र स्थान है और यह वह

पवित्र स्थल है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने अपनी अंतिम यात्रा की थी।

  • यह प्राचीन काल से एक तीर्थ स्थल रहा है क्योंकि यह त्रिवेणी संगम अर्थात तीन नदियों का संगम है जो कि कपिला, हिरण और सरस्वती नदी हैं, का स्थान है।
  • सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष: वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।

मारू-गुर्जर वास्तुकला या सोलंकी शैली के विषय में

  • उत्पत्ति: वास्तुकला की ‘मारू-गुर्जर शैली’ की उत्पत्ति सोलंकी राजवंश से पूर्व के राजवंशों, मुख्य रूप से गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के शासनकाल में हुई थी।
  • इस शैली की व्यापकता: हालाँकि इसकी उत्पत्ति हिंदू मंदिर वास्तुकला में एक क्षेत्रीय शैली के रूप में हुई है, लेकिन यह समय के साथ जैन मंदिरों में भी लोकप्रिय हो गई।
  • मारू-गुर्जर वास्तुकला की विशेषताएँ: इसमें घुमावदार शिखर, मुक्त खड़ा कीर्ति तोरण, कुंड, मंडप की छत पर भारी नक्काशी, ऊँचे चबूतरे और कई तरफ से दिखने वाली बालकनी शामिल हैं।
  • वर्तमान संरचना: वर्तमान सममित संरचना मूल तटीय स्थल पर पारंपरिक डिजाइनों के अनुसार बनाई गई है। इसे सफेद रंग में रंगा गया है और इसमें छोटी उत्कृष्ट मूर्तिकला है। 
    • इसके केंद्र में विशाल काला शिवलिंग स्थापित है। 
    • सोमनाथ मंदिर भारत के बारह आदि ज्योतिर्लिंगों में प्रथम है।

निर्माण एवं पुनर्निर्माण

  • उत्पत्ति: कहा जाता है कि सोमनाथ का पुराना मंदिर 2000 साल पहले से अस्तित्व में था।
  • पुनर्निर्माण: 649 ई. में वल्लभिनी (Vallabhini) के राजा मैत्रे (Maitre) ने इस मंदिर के स्थान पर दूसरा मंदिर बनवाया और इसका जीर्णोद्धार कराया था।
    • 815 ई. में प्रतिष्ठित राजा नाग भट्ट द्वितीय (Nag Bhatt II) ने लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके तीसरी बार मंदिर का निर्माण कराया।
    • 1026-1042 ई. के दौरान सोलंकी राजा भीमदेव ने मालवा के परमार राजा भोज और अन्हिलवाड पाटन का चौथा मंदिर बनवाया।
    • 1782 में, मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस स्थान पर एक छोटा मंदिर बनवाया।
    • भारत की आजादी के बाद उन खंडहरों को ध्वस्त कर दिया गया था और वर्तमान सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण हिंदू मंदिर वास्तुकला की मारू-गुर्जर शैली के अनुसार किया गया था।
  • आक्रमण: 725 ई. में सिंध के शासक ने मंदिर पर आक्रमण किया और मंदिर को नष्ट कर दिया था।
    • 1026 ई. में, महमूद गजनी ने सोमनाथ मंदिर में लूटपाट की।
    • 1299 ई. में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया तो सोमनाथ को नष्ट कर दिया था।
    • 1394 ई. में इसे फिर से नष्ट कर दिया गया।
    • 1706 ई. में मुगल शासक औरंगजेब ने फिर से मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।

सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन पर नेहरू का विरोध

  • राजनीतिक कारण: उन्होंने जिस नीति का पालन किया वह धर्मनिरपेक्षता थी और यह समारोह एक धार्मिक कार्यक्रम एवं पुनरुत्थानवाद पर आधारित था।
  • वित्तीय कारण: समारोह के लिए सौराष्ट्र सरकार द्वारा 5 लाख रुपये का योगदान दिया गया था, उन्होंने मितव्ययिता उपायों और आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए इसकी आलोचना की और शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य लाभकारी सेवाओं पर इसे  खर्च करने का सुझाव दिया था ।
  • राज्य की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति: उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होने के नाते किसी भी धार्मिक आयोजन से जुड़ना उचित नहीं है।
  • विदेश मंत्रालय के परिपत्र का विरोध: देशों की प्रमुख नदियों से पानी, मिट्टी और पहाड़ों से टहनियाँ इकट्ठा करने के लिए भारतीय राजदूतों को एक परिपत्र भेजा गया। नेहरू ने विदेश मंत्रालय से इन अनुरोधों को नजरअंदाज करने को कहा था।

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