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दक्षिण अटलांटिक विसंगति

Lokesh Pal October 24, 2025 02:38 55 0

संदर्भ

हाल ही में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के स्वॉर्म मिशन द्वारा संकलित आँकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात हुआ है कि दक्षिण अटलांटिक विसंगति (SAA) वह क्षेत्र है, जहाँ पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अत्यंत दुर्बल है और वर्ष 2014 से इसकी सीमा लगभग 0.9% तक विस्तारित हुई है।

भू-डायनेमो प्रक्रिया

  • कोर की संरचना:  पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बाह्य कोर (Outer Core) में उत्पन्न होता है, जो मुख्यतः पिघले हुए लोहा (Iron) और निकल (Nickel) द्वारा निर्मित होता है।
  • प्रक्रिया:  बाह्य कोर में संवहन धाराएँ और पृथ्वी का घूर्णन मिलकर विद्युत धाराएँ  उत्पन्न करती हैं, जो आगे चलकर चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती हैं।

  • परिणाम: इन सभी धाराओं का सम्मिलित प्रभाव पृथ्वी के वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करता है, जो अंतरिक्ष तक विस्तृत मैग्नेटोस्फीयर के रूप में है।  यह पृथ्वी को सौर और ब्रह्मांडीय विकिरण से सुरक्षा कवच प्रदान करता है।

चुंबकीय दुर्बल क्षेत्र 

  • चुंबकीय दुर्बल बिंदु, पृथ्वी पर वे क्षेत्र हैं, जहाँ ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र वैश्विक औसत से अत्यधिक कम है।
  • ये पृथ्वी के बाहरी कोर में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने वाली जियोडायनेमो प्रक्रिया में अनियमितताओं या विकृति के कारण निर्मित होते हैं।
  • कारण
    • बाह्य कोर में असमान गति (Uneven Motion of Molten Iron):  पिघले हुए लोहे की असमान गति भू-चुंबकीय क्षेत्र (Geomagnetic Field) में विकृति (Distortion) उत्पन्न करती है।
    • कोर–मेंटल सीमा पर भिन्नताएँ (Core–Mantle Boundary Variations):
       तापमान और घनत्व में अंतर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता को प्रभावित करता है।
    • पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में दिशा परिवर्तन:  जब ध्रुवीय परिवर्तन या संक्रमण चरण होता है, तब दुर्बल क्षेत्र विस्तारित या स्थानांतरित हो सकते हैं।
  • सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है-दक्षिण अटलांटिक विसंगति (SAA), जो दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अटलांटिक महासागर के ऊपर स्थित है।

दक्षिण अटलांटिक विसंगति (SAA)

  • SAA चुंबकीय दुर्बलता का सबसे बड़ा और सर्वाधिक अध्ययन किया गया क्षेत्र है।
  • विस्तार: दक्षिण अमेरिका से दक्षिणी अफ्रीका तक विस्तृत।
  • कारण: यह पृथ्वी के चुंबकीय और घूर्णन अक्षों के झुकाव (Tilt) तथा दक्षिण अटलांटिक के नीचे असमान कोर–मेंटल संरचना के कारण उत्पन्न होता है।
  • प्रभाव: आवेशित सौर कणों को वायुमंडल में अधिक गहराई तक प्रवेश करने की अनुमति देता है, जिससे कभी-कभी उपग्रह और अंतरिक्ष यान के इलेक्ट्रॉनिक्स में बाधा उत्पन्न होती है।

दुर्बल क्षेत्रों की गतिशील प्रकृति 

  • पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र स्थिर (Static) नहीं है , यह समय के साथ लगातार पुनर्गठित होता रहता है।
  • बाह्य कोर के तरल प्रवाह में परिवर्तन के कारण दुर्बल क्षेत्र दशकों में प्रसारित, संकुचित या स्थानांतरित हो सकते हैं।
  • ऐसे परिवर्तन प्राकृतिक होते हैं और चुंबकीय ध्रुव परिवर्तन का संकेत नहीं देते।

चुंबकीय दुर्बल क्षेत्रों के प्रभाव

  • विकिरण जोखिम: दुर्बल चुंबकीय क्षेत्र से सौर पवन के आवेशित कण वायुमंडल में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं।
  • उपग्रह एवं अंतरिक्ष यान क्षति: विकिरण में वृद्धि से इनके इलेक्ट्रॉनिक्स बाधित हो सकते हैं, सौलर पैनल खराब हो सकते हैं तथा इन क्षेत्रों से गुजरने वाले उपग्रहों (जैसे- हबल टेलीस्कोप) में डेटा संबंधी विकृति उत्पन्न हो सकती है।
  • नेविगेशन बाधाएँ: कंपास रीडिंग और भू-चुंबकीय नेविगेशन पर सामान्य प्रभाव।
  • वायुमंडलीय आयनीकरण: आयनित कणों की वृद्धि से रेडियो  संचार  प्रभावित होता है।

स्वॉर्म मिशन के बारे में

  • प्रक्षेपणकर्ता: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा वर्ष 2019 में।
  • मिशन का उद्देश्य: पृथ्वी का अवलोकन तथा इसके चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करना।
  • तारामंडल: 3 समान उपग्रह – स्वार्म A, स्वार्म B और स्वार्म C।
  • मुख्य उद्देश्य 
    • अंतरिक्ष से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति और दिशा का अब तक का सबसे सटीक माप प्रदान करना।
    • पृथ्वी के केंद्र के अंदर संचालित भू-गतिकी प्रक्रिया को समझना, जो चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती है।

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