हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ शवाधान मामले (Chhattisgarh Burial Case) में खंडित निर्णय दिया है।
संबंधित तथ्य
इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश इस बात पर असहमत थे कि क्या एक ईसाई व्यक्ति को अपने पिता को निजी भूमि पर या निर्दिष्ट कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी निजी कृषि भूमि पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी जानी चाहिए, हालाँकि न्यायमूर्ति एस. सी. शर्मा ने निर्णय दिया है कि शवाधान प्रथा एक निर्दिष्ट ईसाई कब्रिस्तान में संपादित होनी चाहिए।
हालाँकि, सामान्य प्रक्रियाओं के विपरीत, मामले को अंतिम निर्णय के लिए एक बड़ी पीठ को नहीं भेजा गया था।
खंडित निर्णय (Split Verdict)
विखंडित निर्णय की स्थिति तब निर्मित होती है, जब सम संख्या वाले न्यायाधीशों वाली पीठ सर्वसम्मति या बहुमत के निर्णय पर नहीं पहुँच पाती है।
यह आमतौर पर दो न्यायाधीशों वाली पीठों (डिवीजन बेंच) के साथ होता है, जहाँ दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग होती है।
आमतौर पर, जब विखंडित निर्णय होता है, तो मामले को अंतिम निर्णय सुनिश्चित करने के लिए विषम संख्या वाले न्यायाधीशों (तीन, पाँच या अधिक) वाली बड़ी पीठ को भेजा जाता है।
खंडित निर्णयों के पूर्व उदाहरण एवं उनके परिणाम
कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामला (2022)
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कहा कि यह सभी छात्रों पर समान रूप से लागू होता है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने प्रतिबंध को खारिज करते हुए कहा कि यह छात्रों के शिक्षा के अधिकार और धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
मामले को एक बड़ी बेंच को भेज दिया गया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने अभी तक सुनवाई शुरू नहीं की है।
वर्ष 1993 का मुंबई विस्फोट: याकूब मेमन को मौत की सजा (2013)
न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे ने मृत्युदंड को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने प्रक्रियागत अनियमितताओं की समीक्षा के लिए स्थगन के पक्ष में निर्णय दिया।
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की और अगले दिन मृत्युदंड की पुष्टि की।
गर्भावस्था समाप्ति मामला (2023)
एक महिला ने गर्भावस्था के 24 सप्ताह बाद गर्भपात की माँग की।
जस्टिस नागरत्ना और हिमा कोहली ने शुरू में गर्भपात की अनुमति दी।
बाद में एक मेडिकल रिपोर्ट ने संकेत दिया कि भ्रूण के बचने की संभावना बहुत अधिक थी।
जस्टिस कोहली ने अपना निर्णय पलट दिया और मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया, जिसने गर्भपात की अनुमति नहीं दी।
खंड पीठ (डिवीजन बेंच)
खंड पीठ (डिवीजन बेंच) से तात्पर्य एक न्यायिक पीठ से है, जिसमें उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के दो या अधिक न्यायाधीश शामिल होते हैं।
यह उन मामलों की सुनवाई के लिए एक सामान्य प्रारूप है, जिसमें कानूनों या संवैधानिक मामलों की व्याख्या की आवश्यकता होती है।
संवैधानिक पीठ
संवैधानिक पीठ भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ है, जिसमें कम-से-कम पाँच न्यायाधीश होते हैं।
इसका गठन संविधान की व्याख्या से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
Latest Comments