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एसएसएन ऑकस कार्यक्रम: परमाणु पनडुब्बियों के लिए त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी

Lokesh Pal March 26, 2024 06:15 159 0

संदर्भ

हाल ही में परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियों के निर्माण में सहायता करने के उद्देश्य से ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटिश उद्योग को 4.6 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर प्रदान करने की घोषणा की। 

यह घोषणा दक्षिण चीन सागर और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों जैसी चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए दोनों देशों (आस्ट्रेलिया और U.K.) द्वारा रक्षा और सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद आई।

संबंधित तथ्य

  • AUKUS समझौते के तहत, ऑस्ट्रेलिया लगभग एक दशक बाद ब्रिटेन के साथ संयुक्त रूप से एक नई श्रेणी, SSN-AUKUS का निर्माण एवं संचालन करने से पहले 2030 के दशक की शुरुआत में अमेरिका से पाँच परमाणु पनडुब्बियाँ खरीदेगा।
    • इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का संचालन करने वाला सातवाँ देश बन जाएगा।
  • सभी AUKUS भागीदार कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने, SSN सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने औद्योगिक आधारों को नया आकार देने एवं एकीकृत करने के लिए महत्त्वपूर्ण निवेश कर रहे हैं।
  • हालिया घटनाक्रम: फंडिंग की घोषणा के दिन, ताइवान ने पिछले 24 घंटों में अपने आसपास के क्षेत्र में 36 चीनी सैन्य विमानों का पता लगाने की सूचना दी, जो वर्ष 2024 में सबसे अधिक संख्या है।

AUKUS के बारे में  

  • वर्ष 2021 में, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका ने इंडो-पैसिफिक के लिए AUKUS नामक एक महत्त्वपूर्ण त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी बनाई थी।
  • उद्देश्य: सामूहिक औद्योगिक आधार क्षमता को बढ़ाना एवं शामिल देशों के रक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा क्षेत्रों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
    • महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ: अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी का ऑस्ट्रेलिया में स्थानांतरण।
    • इंडो-पैसिफिक के प्रति रणनीतिक अभिविन्यास: गठबंधन को दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामक चालों के प्रतिकार के रूप में स्थापित करना।

SSN-AUKUS कार्यक्रम

 पनडुब्बी निर्माण

  • जहाजों के लिए परमाणु रिएक्टर ब्रिटेन के डर्बी में बनाए जाएँगे।
  • पनडुब्बियों का निर्माण ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में BAE सिस्टम्स द्वारा किया जाएगा।
  • वर्जीनिया श्रेणी की पनडुब्बियाँ: एक ब्रिटिश डिजाइन, लेकिन इसमें एक अमेरिकी हथियार प्रणाली होगी।

विशेषताएँ

  • विविध कार्यक्षमताएँ स्थापित करना: खुफिया जानकारी एकत्र करना, निगरानी करना, अंडर-सी वारफेयर एवं स्ट्राइक मिशन।
  • उन्नत स्टील्थ एवं साइलेंस क्षमता AUKUS भागीदारों के बीच इष्टतम अंतरसंचालनीयता सुनिश्चित करेगी: यह स्टील्थ एवं साइलेंस में ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा डीजल संचालित बेड़े को पार कर जाएगी, जिससे समुद्र की सतह पर आए बिना लंबे समय तक तैनाती संभव होगी।

AUKUS समझौते के क्षेत्रीय निहितार्थ

  • वैश्विक गतिशीलता पर रक्षा तैयारी: AUKUS रक्षा तैयारी के उद्देश्य से महत्त्वपूर्ण  है, जो यूक्रेन संकट जैसे चल रहे संघर्षों एवं ब्रेक्सिट जैसे भू-राजनीतिक बदलावों के मद्देनजर अहम भूमिका निभा सकता है।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर प्रभाव
    • उन्नत समुद्री सुरक्षा एवं सामरिक उपाय: चीनी दृढ़ता AUKUS को सख्त परमाणु अप्रसार की पुष्टि करने तथा भारत-प्रशांत में पनडुब्बियों की मौजूदगी को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है, जिसका लक्ष्य वैश्विक सुरक्षा को बढ़ाना एवं क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटना है।

  • तकनीकी प्रगति: यह सदस्य देशों की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर एवं अंडर-सी-वारफेयर जैसे क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास तथा आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • आर्थिक अवसर: यह नई प्रौद्योगिकियों एवं रक्षा उद्योगों के विकास को बढ़ावा देकर, सदस्य देशों के अंतर्गत रोजगार सृजन तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर आर्थिक लाभ प्राप्त करेगा।
  • AUKUS के संबंध में चीनी चिंताएँ: चीन ने AUKUS समझौते के संबंध में आशंकाएँ व्यक्त की हैं, जिससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हथियारों की होड़ बढ़ने एवं परमाणु प्रसार के जोखिमों की आशंका है।
    • सघन सैन्य गतिविधियाँ और मुखर व्यवहार
      • चीन ने अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है, अपने सशस्त्र बलों, विशेषकर अपनी नौसेना में आधुनिकीकरण एवं विस्तार के प्रयास किए हैं।
      • क्षेत्रीय दावों पर जोर देने में दृढ़ता, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में एवं ताइवान की ओर कृत्रिम द्वीपों और चट्टानों का निर्माण करके, साथ ही अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने के लिए अपने तट रक्षक तथा समुद्री मिलिशिया को तैनात करना।
  • भारत के लिए निहितार्थ
    • चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ प्रतिरोध: AUKUS भारत को इंडो-पैसिफिक में चीन की आक्रामक कार्रवाइयों के खिलाफ प्रतिरोध की पेशकश कर सकता है।
    • सहयोग से अप्रत्यक्ष लाभ: मुक्त इंडो-पैसिफिक के लिए प्रयासरत तकनीकी रूप से उन्नत राष्ट्रों को शामिल करना।
    • भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व पर सुरक्षा: AUKUS के कारण पूर्वी हिंद महासागर में परमाणु हमले वाली पनडुब्बियों के प्रसार पर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, जो संभावित रूप से भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व को कमजोर कर रही हैं।

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