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स्टारलिंक उपग्रह: खगोल विज्ञान पर प्रभाव

Lokesh Pal September 23, 2024 05:26 89 0

संदर्भ

स्टारलिंक का उपग्रह नेटवर्क अवांछित विद्युत चुंबकीय विकिरण (Unwanted Electromagnetic Radiation- UEMR) बनाकर रेडियो खगोलविदों को प्रभावित कर रहा है, जिसे ‘रेडियो नॉइज’ (Radio Noise) के रूप में जाना जाता है।

संबंधित तथ्य

  • स्टारलिंक के पास वर्तमान में 6,300 से अधिक उपग्रह हैं, जो लगभग 550 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं।  
    • ये उपग्रह सीमित पहुँच वाले दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराते हैं। 
      • उपग्रहों से होने वाले हस्तक्षेप के कारण रेडियो खगोलविदों का कार्य बाधित होता है।

अंतरिक्ष इंटरनेट ( Space Internet) क्या है?

  • इसे ‘अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन’ के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों पर निर्भर करता है।
  • ये उपग्रह सिग्नल भेजते एवं प्राप्त करते हैं, जो इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (Internet Service Providers-ISP) से जुड़ते हैं।
    • यह सिग्नल को उपयोगकर्ता के इंटरनेट मॉडम तक पहुँचाता है। 
  • इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर, विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट पहुँच उपलब्ध कराना है। 

स्टारलिंक उपग्रहों के बारे में

  • यह निम्न पृथ्वी कक्षा (low Earth orbit-LEO) उपग्रहों का एक बड़ा समूह है।
  • स्पेसएक्स (SpaceX), जिसका नेतृत्व एलन मस्क (Elon Musk) कर रहे हैं। 
  • उद्देश्य: वैश्विक स्तर पर हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराना, विशेष रूप से दूरदराज और कम सुविधा वाले क्षेत्रों में। 
  • अनुप्रयोग: ग्रामीण इंटरनेट, आपदा क्षेत्र, सैन्य अनुप्रयोग, और 5G नेटवर्क के लिए संभावित समर्थन।
  • स्टारलिंक की पहली पीढ़ी के उपग्रह
    • पहली पीढ़ी के स्टारलिंक उपग्रह 
      • इसे स्पेसएक्स के उपग्रह आधारित इंटरनेट हेतु प्रारंभिक चरण के भाग के रूप में प्रक्षेपित किया गया था।
        • ये उपग्रह इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में कार्य करते हैं।
    • दूसरी पीढ़ी के उपग्रह
      • स्टारलिंक की दूसरी पीढ़ी के उपग्रह पहली पीढ़ी की तुलना में 32 गुना अधिक चमकदार UEMR उत्सर्जित करते हैं। 
        • रेडियो लीक को कम करने के प्रयासों के बावजूद समस्या और भी बदतर हो गई है। 

रेडियो तरंगें

  • ये विद्युत चुंबकीय विकिरण का एक प्रकार है, जिसकी तरंगदैर्घ्य सबसे लंबी तथा आवृत्ति सबसे कम होती है। 
  • इन्हें प्राकृतिक रूप से या कृत्रिम रूप से उत्पन्न किया जा सकता है।
  • प्रमुख अनुप्रयोग 
    • संचार: रेडियो प्रसारण, मोबाइल फोन और उपग्रह संचार के लिए उपयोग किया जाता है। 
    • रडार: नेविगेशन और मौसम ट्रैकिंग के लिए आवश्यक। 
    • नेटवर्किंग: वायरलेस इंटरनेट और अन्य डेटा ट्रांसमिशन को सक्षम बनाता है।

स्टारलिंक उपग्रहों के लाभ

  • वैश्विक कवरेज: दूरस्थ और कम सुविधा वाले क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुँच को बढ़ावा देता है, जिससे डिजिटल अंतराल कम होता है। 
  • कम विलंबता: उपग्रहों की पृथ्वी की निचली कक्षा के कारण कम विलंबता (20-40 ms) प्रदान करता है, जो इसे वीडियो कॉल और ऑनलाइन गेमिंग जैसी वास्तविक समय की गतिविधियों के लिए प्रभावी बनाता है। 
  • त्वरित सेटअप: पारंपरिक भूमि आधारित नेटवर्क की तुलना में इसे तेजी से स्थापित किया जा सकता है, जो इसे आपात स्थितियों और आपदा क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाता है। 

सीमाएँ

  • सीमित कवरेज: स्टारलिंक उपग्रह अपनी उच्च माँग और बुनियादी ढाँचे के कारण भीड़भाड़ वाले शहरों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। 
  • रेडियो प्रदूषण: यह रेडियो संकेतों में हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे उस अवधि के लिए इसका अध्ययन कठिन हो सकता है। 
  • दृश्यता: ये उपग्रह अत्यधिक परावर्तक और दृश्य होते हैं, जो खगोलीय अवलोकन में बाधा डाल सकते हैं। 

उपग्रह उत्सर्जन पर विनियमन की आवश्यकता

  • तेजी से चमकते उपग्रह: रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरफेरेंस (RFI) को कम करने के प्रयासों के बावजूद, स्टारलिंक की नई पीढ़ी के उपग्रह पिछले पीढ़ी की तुलना में काफी अधिक चमकीले हैं। 
  • उपग्रहों की बढ़ती संख्या: आने वाले वर्षों में कक्षा में उपग्रहों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे RFI की समस्या और भी गंभीर हो सकती है। 
  • विनियमनों का अभाव: वर्तमान में, उपग्रह उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले कोई विशिष्ट विनियमन नहीं हैं। 

पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष इंटरनेट परियोजनाएँ

  • वन वेब (One Web): यह एक वैश्विक उपग्रह इंटरनेट परियोजना है। 
    • यह इंटरनेट सेवाएँ प्रदान करने के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित उपग्रहों के एक बड़े समूह का उपयोग करता है। 
    • इसका उद्देश्य सीमित इंटरनेट विकल्पों वाले ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी सेवाएँ प्रदान करना है। 
  • प्रोजेक्ट कुइपर (Project Kuiper): यह वैश्विक स्तर पर उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की अमेजन की पहल है। 
    • वन वेब की तरह इसका उद्देश्य सीमित इंटरनेट विकल्पों वाले ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करना है। 

    • उपग्रह प्रचालकों और खगोलविदों के बीच केवल स्वैच्छिक सहयोग है। 
  • विनियमन की आवश्यकता: खगोलीय प्रेक्षणों पर उपग्रह उत्सर्जन के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए, RFI स्तरों पर सीमा निर्धारित करने और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए विनियमन आवश्यक हैं। 

रेडियो खगोल विज्ञान के बारे में 

  • रेडियो खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष की वस्तुओं का निरीक्षण रेडियो तरंगों का उपयोग करके करता है, जो दृश्य प्रकाश से अधिक लंबी होती हैं। 
  • रेडियो दूरबीनें इन रेडियो तरंगों का पता लगाती हैं, जबकि सामान्य दूरबीनें प्रकाश का पता नहीं लगा पातीं। 
    • तेज रोशनी के कारण वस्तुओं को देखना कठिन हो सकता है और उपग्रहों के हस्तक्षेप से रेडियो तरंगों के साथ भी यही होता है। 

  • उपग्रहों से आने वाली रेडियो तरंगें दूरबीनों पर दबाव डालती हैं, जिससे वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष का उचित अध्ययन करना कठिन हो जाता है। 

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