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भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थिति

Lokesh Pal April 08, 2025 03:03 50 0

संदर्भ

अप्रैल 2025 में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने आधिकारिक तौर पर विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यता के लिए मान्यता और अनुदान के नियमन, 2025 को अधिसूचित किया।

  • इन विनियमों का उद्देश्य विदेशी डिग्रियों की मान्यता को सुव्यवस्थित करना है तथा ये भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) द्वारा प्रबंधित पूर्ववर्ती प्रणाली का स्थान लेंगे, जो एक गैर-सांविधिक प्रणाली थी।

भारतीय विश्वविद्यालय संघ (Association of Indian Universities-AIU)

  • भारतीय विश्वविद्यालयों का संघ (AIU) एक शीर्ष अंतर-विश्वविद्यालय संगठन है, जो भारतीय विश्वविद्यालयों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देता है और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गठन: सैडलर आयोग की सिफारिश के बाद 23 मार्च, 1925 को अंतर-विश्वविद्यालय बोर्ड (Inter-University Board-IUB) के रूप में गठित, वर्ष 1967 में एक सोसायटी के रूप में पंजीकरण के बाद वर्ष 1973 में इसका नाम बदलकर AIU कर दिया गया।
  • उद्देश्य: AIU का उद्देश्य शिक्षा, अनुसंधान, खेल, संस्कृति और छात्र कल्याण में सहयोग को बढ़ावा देना है। साथ ही विश्वविद्यालय की स्वायत्तता की रक्षा करना और वैश्विक स्तर पर भारतीय उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना है।
  • प्रमुख कार्य: AIU विश्वविद्यालयों एवं सरकार के बीच संचार को सुगम बनाता है, शैक्षिक मानकों का समर्थन करता है, युवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है, डिग्री मान्यता में सहायता करता है और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

नए विनियमों के प्रमुख प्रावधान

  • समतुल्यता प्रमाणन: विदेशी डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाण-पत्र अब उच्च शिक्षा, शोध और रोजगार के लिए भारतीय योग्यता के समकक्ष प्रमाणित किए जाएँगे, जहाँ UGC मान्यता की आवश्यकता होती है।
  • आवेदन का दायरा: विनियम व्यापक रूप से लागू होते हैं, लेकिन वैधानिक परिषदों (चिकित्सा, फार्मेसी, कानून, नर्सिंग, वास्तुकला) द्वारा विनियमित क्षेत्रों को बाहर रखा गया है।
  • दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा की मान्यता: पहले के मसौदों के विपरीत, अंतिम विनियम दूरस्थ या ऑनलाइन शिक्षा मोड के माध्यम से अर्जित योग्यता को मान्यता देते हैं।
  • सरलीकृत प्रक्रिया: एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदनों का प्रबंधन किया जाएगा, जिसमें विशेषज्ञ समितियाँ 10 कार्य दिवसों के भीतर सिफारिशें करेंगी और अंतिम निर्णय 15 दिनों के भीतर सूचित किए जाएँगे।
  • छूट: UGC द्वारा अनुमोदित ट्विनिंग, संयुक्त या दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के माध्यम से अर्जित विदेशी योग्यता के लिए किसी अलग समतुल्यता प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है।

समतुल्यता (Equivalence) प्रदान करने की शर्तें

  • विदेशी संस्थान को अपने देश में कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।
  • प्रवेश स्तर के मानक (क्रेडिट, थीसिस, इंटर्नशिप, आदि) तुलनीय भारतीय कार्यक्रमों से मेल खाने चाहिए।
  • कार्यक्रम को विदेशी संस्थान के शैक्षणिक मानदंडों का पालन करना चाहिए।
  • ‘ऑफशोर कैंपस’ की डिग्रियों को मान्यता दी जाएगी यदि वे मेजबान देश एवं संस्थान के गृह देश दोनों के शैक्षणिक मानकों को पूर्ण करती हों।

विदेशी विश्वविद्यालयों के विनियमन से संबंधित चुनौतियाँ

  • शीर्ष स्तरीय संस्थानों की अनुपस्थिति: विनियामक सुधारों के बावजूद, किसी भी आइवी लीग (Ivy League) या शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों (जैसे- हार्वर्ड, येल, NYU, कार्नेगी मेलन) ने भारत में परिसर नहीं खोले हैं।
  • विनियामक अनिश्चितता: परिसर स्थापित करने के लिए जटिल नियम और अस्पष्ट मार्ग विश्व स्तरीय संस्थानों को रोक सकते हैं।

संसदीय समिति की सिफारिशें

  • अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालय परिसरों को सुरक्षित करना: उच्च शिक्षा विभाग को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों, विशेष रूप से आइवी लीग (Ivy League) और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों को आकर्षित करने के प्रयासों को तीव्र करना चाहिए।
  • विदेशी छात्रों तक पहुँच का विस्तार करना: विदेशी छात्रों के लिए 25% तक अतिरिक्त सीटें आरक्षित करने जैसी पहलों को मजबूत करना और दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों को लक्षित करना।
  • अंतरराष्ट्रीय मामलों से संबंधित कार्यालय स्थापित करना: उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक जुड़ाव को सुविधाजनक बनाने और विदेशों में भारतीय शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मामलों और पूर्व छात्र संपर्क प्रकोष्ठों के लिए कार्यालय स्थापित करने चाहिए।
  • सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देना: भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, स्थिरता, खाद्य सुरक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित और समर्थन करना।
  • अधिक प्रयासों की आवश्यकता: दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में एक संसदीय समिति ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा विभाग को अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने के लिए प्रयास तीव्र करने चाहिए।

भारत में विदेशी विश्वविद्यालय परिसरों की वर्तमान स्थिति

  • GIFT सिटी में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय: डीकिन यूनिवर्सिटी और वॉलोन्गॉन्ग यूनिवर्सिटी ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी) में अपने परिसर स्थापित किए हैं।
  • प्रगति पर UK संस्थान: साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय एक परिसर की योजना बना रहा है और क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट और कोवेंट्री यूनिवर्सिटी को GIFT सिटी परिसरों के लिए मंजूरी मिल गई है।
  • कोई अमेरिकी विश्वविद्यालय मौजूद नहीं: अभी तक, अनुसंधान और शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के माध्यम से संचालित सहयोग के बावजूद, किसी भी अमेरिकी विश्वविद्यालय ने भारत में परिसर स्थापित नहीं किया है।

विदेशी विश्वविद्यालय और छात्रों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने की पहल

  • भारत में अध्ययन (SII) पहल: दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व के छात्रों को लक्षित करते हुए, वैश्विक स्तर पर भारतीय शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2018 में शुरू की गई।
  • सीटों का विस्तार: भारत में विश्वविद्यालय अब विदेशी छात्रों के लिए 25% तक अतिरिक्त सीटें आरक्षित कर सकते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और फ्राँस सहित 28 देशों के भागीदारों के साथ 787 से अधिक संयुक्त शोध प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
  • अंतरराष्ट्रीय मामलों के कार्यालयों का निर्माण: संस्थानों को विदेशी छात्र मामलों और पूर्व छात्र संबंधों के प्रबंधन के लिए समर्पित कार्यालय स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

नए नियमों का महत्त्व

  • NEP 2020 लक्ष्यों के साथ संरेखण: विनियमन भारतीय उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के फोकस का समर्थन करते हैं।
  • संरचित, पारदर्शी प्रक्रिया: UGC के तहत समकक्षता मान्यता को स्थानांतरित करना एक वैधानिक, निष्पक्ष एवं पूर्वानुमानित प्रणाली सुनिश्चित करता है, जो पूर्व में हुई देरी एवं अस्पष्टताओं को संबोधित करता है।
  • वैश्विक एकीकरण को बढ़ावा: एक स्पष्ट समकक्षता प्रक्रिया विदेशी योग्यता वाले भारतीय छात्रों को भारत की शिक्षा प्रणाली और कार्यबल में अधिक आसानी से एकीकृत करने में मदद करेगी।
  • भविष्य के विकास के लिए आधार: विदेशी डिग्री मान्यता को औपचारिक रूप देकर, भारत एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करता है, जिससे अधिक विदेशी परिसरों के लिए मार्ग प्रशस्त होता है।

भारतीय छात्रों के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों के लाभ

  • वित्तीय बहिर्वाह और प्रतिभा पलायन को कम करना: भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना से स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके धन एवं प्रतिभा के बड़े पैमाने पर बहिर्वाह को रोका जा सकता है, जिससे छात्रों को विदेश में अध्ययन करने की आवश्यकता कम हो जाएगी।
  • सकल नामांकन अनुपात में सुधार: विदेशी संस्थानों की उपस्थिति उच्च शिक्षा के अधिक अवसर प्रदान करेगी, जिससे भारत के वर्तमान में कम सकल नामांकन अनुपात 28.4% को बढ़ावा मिलेगा।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और वैश्विक संपर्क को बढ़ावा देना: विदेशी विश्वविद्यालय अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ा सकते हैं और भारतीय छात्रों को देश छोड़े बिना व्यापक वैश्विक दृष्टिकोण दे सकते हैं।
  • प्रतिस्पर्द्धात्मकता एवं ब्रांड वैल्यू को बढ़ाना: प्रतिष्ठित वैश्विक विश्वविद्यालयों के स्थानीय परिसर शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाएँगे, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक स्थिति में सुधार होगा।

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