हाल ही में वैश्विक जल संसाधन स्थिति रिपोर्ट, 2023 (State of Global Water Resources, 2023) प्रकाशित की गई है।
वैश्विक जल संसाधन स्थिति रिपोर्ट, 2023 के बारे में
यह रिपोर्ट विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा प्रकाशित की गई है।
वार्षिक रिपोर्ट: यह विश्व भर में जल संसाधनों का व्यापक और सुसंगत अवलोकन प्रस्तुत करती है।
यह रिपोर्ट राष्ट्रीय मौसम विज्ञान एवं जल विज्ञान सेवाओं के आँकड़ों तथा अन्य संगठनों एवं विशेषज्ञों से प्राप्त इनपुट पर आधारित है।
मुख्य निष्कर्ष
सबसे अधिक सूखा वाला वर्ष: इस रिपोर्ट मेंवर्ष2023 को वैश्विक नदियों के लिए तीन दशकों से भी अधिक समय में सबसे अधिक सूखा वर्ष के रूप में घोषित किया गया है।
सामान्य से कम नदी प्रवाह: लगातार पाँच वर्षों तक व्यापक रूप से औसत से कम नदी प्रवाह रहा है।
जलाशयों में प्रवाह: नदी प्रवाह के समान पैटर्न, समुदायों, कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जल में कमी को दर्शाया गया है।
हिमनदों के द्रव्यमान में हानि: वर्ष2023 में सभी हिमनद क्षेत्रों में वैश्विक बर्फ हानि का लगातार दूसरा वर्ष (2023) दर्ज किया गया।
हाइड्रोलॉजिकल स्थिति: वर्ष2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा, जिसके कारण लंबे समय तक सूखा और भारी बाढ़ की संभावना बन गई।
गंभीर हाइड्रोलॉजिकल घटनाओं के कारण
वर्ष 2023 के मध्य के महीने जलवायु परिवर्तन और ला नीना से अल नीनो में संक्रमण से प्रभावित थे।
बढ़ते तापमान से हाइड्रोलॉजिकल चक्र में तेजी आ रही है, जिससे यह और भी अनिश्चित एवं अप्रत्याशित हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि वातावरण में जब तापमान में वृद्धि होती है तो नमी अवशोषित करने की क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे भारी वर्षा एवं बाढ़ की स्थिति बन जाती है।
रिपोर्ट में रेखांकित चुनौतियाँ
जल सुरक्षा: पिघलते हिमनद लाखों लोगों के लिए दीर्घकालिक जल सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।
अपर्याप्त डेटा: यह रिपोर्टदुनिया के मीठे जल के संसाधनों की सीमित उपलब्धता, बेहतर डेटा संग्रह और साझाकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रभाव: दुनिया सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 6 (स्वच्छ जल एवं स्वच्छता) को प्राप्त करने में विफल हो रही है।
सभी तक जल पहुँच संबंधी संकट: वर्तमान में, 3.6 बिलियन लोगों को प्रति वर्ष कम-से-कम एक महीने के लिए जल की अपर्याप्त पहुँच का सामना करना पड़ता है, जिसके वर्ष 2050 तक 5 बिलियन से अधिक हो जाने की उम्मीद है।
भविष्य का दृष्टिकोण
संयुक्त राष्ट्र जल पूर्वानुमान (UN Water Forecast): संयुक्त राष्ट्र ने पूर्वानुमान लगाया है कि आने वाले वर्षों में जल संकट और विकराल होता जाएगा तथा वर्ष 2050 तक 5 बिलियन से अधिक लोगों को जल तक अपर्याप्त पहुँच का सामना करना पड़ेगा।
वैश्विक प्रारंभिक चेतावनी पहल (Global Early Warnings Initiative): इसका उद्देश्य वर्ष 2027 तक जल-संबंधी खतरे की निगरानी में सुधार करना और सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems for All) प्रदान करना है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के बारे में
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसके 193 सदस्य देश एवं संगठन हैं।
भारत WMO के सदस्य देशों में से एक है।
उत्पत्ति: WMO की उत्पत्ति अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन से हुई, जिसका प्रस्ताव वर्ष 1873 के वियना अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञान कांग्रेस (Vienna International Meteorological Congress) में अपनाया गया था।
स्थापना: WMO की स्थापना 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन (WMO Convention) की पुष्टि करके की गई थी।
विशेष एजेंसी: यह मौसम विज्ञान (मौसम एवं जलवायु), परिचालन जल विज्ञान और संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गई।
मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
शासन संरचना
सर्वोच्च निकाय: विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस (World Meteorological Congress)
इसमें सभी सदस्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
सामान्य नीति निर्धारित करने और विनियमन अपनाने के लिए कम-से-कम प्रत्येक चार वर्ष में एक बार इसकी बैठक होती है।
36 सदस्यीय कार्यकारी परिषद: यह परिषदवार्षिक बैठक करती है और अपनाई गई नीतियों को लागू करती है।
सचिवालय: महासचिव की अध्यक्षता में
कांग्रेस द्वारा चार वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त, यह संगठन के प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
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