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‘स्टेट ऑफ स्टेट फाइनेंसेस 2025

Lokesh Pal November 08, 2025 04:45 30 0

संदर्भ

हाल ही में PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा ‘स्टेट ऑफ स्टेट फाइनेंसेस 2025’ रिपोर्ट जारी की गई है। यह रिपोर्ट सभी राज्यों के वित्त वर्ष 2023–24 और वित्त वर्ष 2024–25 के बजट, लेखा परीक्षक रिपोर्टों तथा आर्थिक आँकड़ों का विश्लेषण करती है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • प्रतिबद्ध व्यय में वृद्धि 
    • वर्ष 2023–24 में राज्यों ने अपनी राजस्व प्राप्तियों का 62% वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान और सब्सिडी पर खर्च किया, जिससे विकासात्मक व्यय के खर्च में कमी आई है
    • राजस्व घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 0.4% रहा, जिसका अर्थ है, कि राज्य दैनिक खर्चों के लिए भी उधारी ले रहे हैं।
  • GST राजस्व में गिरावट
    • GST में शामिल करों से प्राप्त राजस्व वर्ष 2015–16 में GDP का 6.5% था, जो वर्ष 2023–24 में घटकर 5.5% रह गया।
    • औसत SGST-से-GDP अनुपात (2.6%), पूर्व-GST कर संग्रह (2.8%) से कम है।
    • वर्ष 2024–25 में राज्यों के 19% पूँजीगत व्यय की पूर्ति SASCI ऋणों से की गई।
  • राज्यों के बीच बढ़ती असमानता
    • आर्थिक रूप से समृद्ध राज्य (जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु) अधिक राजस्व जुटाते हैं और प्रति व्यक्ति अधिक खर्च करते हैं, जिससे विकास का एक ‘सद्गुणी चक्र’ (Virtuous Cycle)  बनता है।
    • आर्थिक रूप से कमजोर राज्य (जैसे- बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड) के पास सीमित राजकोषीय क्षमता है, जिससे आय एवं विकास अंतराल और बढ़ रहा है।

  • महिलाओं के लिए बिना शर्त नकद हस्तांतरण योजनाएँ
    • वर्ष 2025–26 में 12 राज्यों ने महिलाओं के लिए बिना शर्त नकद हस्तांतरण शुरू किए, जिनकी कुल लागत ₹1.68 लाख करोड़ (GDP का 0.5%) है।
    • इन हस्तांतरणों से बजट पर दबाव पड़ता है कई राज्यों (जैसे- कर्नाटक, मध्य प्रदेश) में ऐसी योजनाओं के कारण अधिशेष, राजस्व घाटे में बदल गया।
    • यद्यपि ये योजनाएँ सामाजिक रूप से लाभकारी हैं, परंतु पूँजीगत व्यय और दीर्घकालिक विकास निवेश को कम कर सकती हैं।
  • स्थायी उच्च ऋण स्तर: राज्यों का ऋण-से-GDP अनुपात 27.5% पर बना हुआ है, जो महामारी-पूर्व स्तर से अधिक है। केवल गुजरात, महाराष्ट्र और ओडिशा ही FRBM अधिनियम के 20% ऋण लक्ष्य को पूरा करते हैं।

  • ब्याज भुगतान में वृद्धि: ब्याज भुगतान में वार्षिक आधार पर 10% (2016-2025) की वृद्धि हुई, जो राजस्व वृद्धि (9.2%) से अधिक थी, जिससे राजकोषीय संभावना कम हो गई।
  • सब्सिडी का अधिक बोझ: वर्ष 2023–24 में सब्सिडी का खर्च राजस्व प्राप्तियों का 9% था, जिसमें से 53% बिजली सब्सिडी पर व्यय हुआ।
    • पंजाब, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात शीर्ष सब्सिडी खर्च करने वाले राज्य हैं।
  • राजकोषीय घाटे की प्रवृत्ति: वर्ष 2025–26 के लिए राज्यों का राजकोषीय घाटा 3.2% GSDP पर अनुमानित है (यदि SASCI ऋणों को छोड़ दें तो 2.8% है)।

राजकोषीय ढाँचा

  • FRBM अधिनियम (2003): राज्यों को ऋण स्तर 20% GSDP से कम और राजकोषीय घाटा ≤ 3% बनाए रखने की अपेक्षा की गई है।
  • अनुच्छेद-293: यह प्रावधान करता है कि राज्य बिना केंद्र की अनुमति के उधार नहीं ले सकते है।

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