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Lokesh Pal May 06, 2024 05:30 146 0
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने माया गोपीनाथन बनाम अनूप S B एवं अन्य मामले में दोहराया कि स्त्रीधन (Streedhan) पत्नी की पूर्ण संपत्ति है, पति का इस पर कोई स्वामित्व नहीं है।
स्त्रीधन का स्वामित्व समाज में स्थिति का प्रतीक बन गया है, जिससे महिलाओं की स्थिति पुरुषों के बराबर हो गई है। यह महिलाओं को उनकी संपत्ति पर अधिकार और स्वामित्व की भावना प्रदान करता है, स्वतंत्रता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है।
आधार |
स्त्रीधन |
दहेज |
परिभाषा |
स्त्रीधन वह सब कुछ है, जो एक महिला को अपने जीवनकाल में प्राप्त होता है, इसमें विवाह से पहले, विवाह के समय, बच्चे के जन्म के दौरान और विधवापन के दौरान प्राप्त सभी चल, अचल संपत्ति उपहार आदि शामिल होते हैं। |
दहेज का अर्थ है किसी विवाह में एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दी गई या दी जाने वाली कोई भी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा। |
अनिवार्य |
यह बल के अनुचित प्रभाव से दबाव में आने के बजाय स्वेच्छा से दिया जाता है। |
यह स्वैच्छिक नहीं है क्योंकि उन पर अनुचित प्रभाव या दबाव डाला जाता है। |
विवाह विच्छेद |
यदि भविष्य में वैवाहिक बंधन टूट जाता है तो महिला को स्त्रीधन के रूप में प्राप्त सामान वापस पाने का अधिकार है। |
यदि भविष्य में वैवाहिक बंधन टूट जाता है, तो महिला अपने परिवार द्वारा दहेज के रूप में दिया गया सामान वापस नहीं पा सकती है। हालाँकि, ऐसे भुगतान किए गए दहेज के विरुद्ध वैकल्पिक राहत की माँग की जा सकती है। |
वैधानिकता |
स्त्रीधन देने का कार्य कानूनी है। |
दहेज देना गैर-कानूनी है। |
शासकीय अधिनियम | हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 | दहेज निषेध अधिनियम, 1961 |
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