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179 समुदायों को SC, ST और OBC सूची में शामिल करने की सिफारिश

Lokesh Pal January 22, 2025 04:04 7 0

संदर्भ

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (AnSI) और जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (Tribal Research Institutes- TRI) ने 268 विमुक्त जनजातियों (Denotified Tribes- DNTs), खानाबदोश जनजातियों (Nomadic Tribes-NTs) और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियों (Semi-Nomadic Tribes- SNTs) को वर्गीकृत करने के लिए एक नृवंशविज्ञान संबंधी अध्ययन किया है।

  • यह रिपोर्ट नीति आयोग पैनल द्वारा जाँच के लिए लंबित है और इसे अभी तक अंतिम मंजूरी नहीं मिली है।

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (Anthropological Survey of India- AnSI)

  • AnSI मानवशास्त्रीय अध्ययनों के लिए भारत का प्रमुख शोध संगठन है, जो अपनी आबादी की सांस्कृतिक और नृजातीय विविधता पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • स्थापना: वर्ष 1916 में भारतीय संग्रहालय के प्राणीशास्त्रीय और मानवशास्त्रीय अनुभाग से उत्पन्न, यह संगठन वर्ष 1945 में एक स्वतंत्र इकाई बन गया।
  • मुख्यालय: शुरुआत में बनारस में, वर्ष 1948 में कोलकाता स्थानांतरित हो गया।
  • मंत्रालय: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • मिशन: राष्ट्रीय सद्भाव और वंचित समूहों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान को व्यावहारिक अनुप्रयोगों के साथ जोड़ना।
  • वैश्विक मान्यता: नृवंशविज्ञान फिल्मों, प्रकाशनों और भारत की सांस्कृतिक विविधता को समझने में योगदान के लिए प्रसिद्ध।
  • आधुनिक भूमिका: मानव कल्याण के लिए उभरती वैश्विक चुनौतियों और प्रौद्योगिकियों के अनुकूल होना।

रिपोर्ट के मुख्य अंश

  • समावेशन अनुशंसाएँ 
    • 179 समुदायों को अनुसूचित जाति (29), अनुसूचित जनजाति (10) और अन्य पिछड़ा वर्ग (46) श्रेणियों में शामिल करने का सुझाव दिया गया।
    • 85 नए समुदाय जोड़े गए हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक अनुशंसाएँ (19) हैं।
  • वर्गीकरण
    • नौ समुदायों के वर्गीकरण को सही किया गया।
    • 63 समुदायों (20%) को आत्मसात् या प्रवास के कारण ‘पता न लगने योग्य’ के रूप में चिह्नित किया गया।
  • अध्ययन अवलोकन: ओडिशा, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में किए गए अध्ययन में क्षेत्र अध्ययन, संसाधन पहचान और परामर्श के लिए प्रत्येक समुदाय को तीन महीने लगे।
  • लंबित अनुमोदन: राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार के प्रस्तावों की आवश्यकता होती है, जिसके बाद भारत के महापंजीयक और संबंधित राष्ट्रीय आयोगों से अनुमोदन प्राप्त होता है।

SC, ST और OBC सूचीकरण के लिए प्रावधान

  • केंद्रीय भूमिका: केंद्र सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में समुदायों को शामिल करने या बाहर करने के लिए कानून बनाती है।
  • राज्य की भूमिका: राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारें शामिल करने के लिए समुदायों की पहचान करती हैं और उनकी सिफारिश करती हैं।
    • समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का आकलन करना।
    • राज्य OBC की राज्य सूची भी बनाए रख सकते हैं।

सूचीकरण का महत्त्व

  • सामाजिक न्याय: शिक्षा, रोजगार और कल्याणकारी योजनाओं जैसे लक्षित लाभ प्रदान करता है।
    • हाशिए पर पड़े समुदायों द्वारा सामना किए जाने वाले पूर्व नुकसान को कम करता है।
  • सांस्कृतिक मान्यता: अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान को स्वीकार करता है और संरक्षित करता है।
    • निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
  • आर्थिक उत्थान: अवसरों तक पहुँच बढ़ाता है, सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करता है।

चुनौतियाँ

  • वर्गीकरण में अस्पष्टता: कई समुदाय राज्यों और केंद्रीय सूचियों में अवर्गीकृत या आंशिक रूप से वर्गीकृत हैं।
  • ‘अज्ञात’ समुदाय: 63 समुदायों का पता नहीं लगाया जा सका, जो ऐतिहासिक अभिलेखों या प्रवासन पैटर्न में अंतराल को दर्शाता है।
  • प्रशासनिक जटिलता: बहुस्तरीय अनुमोदन प्रक्रियाएँ कार्यान्वयन में देरी करती हैं।
  • अलग कोटे की माँग: DNTs, NTs और SNTs के लिए उनकी अनूठी चुनौतियों का समाधान करने हेतु एक अलग श्रेणी की माँग करना।

आगे की राह

  • वर्गीकरण को सरल बनाना: राज्य और केंद्रीय स्तर पर समुदायों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रियाओं को सरल तथा मानकीकृत करना।
  • ‘पता न लगने वाले’ समूहों को संबोधित करना: लापता समुदायों का पता लगाने और उनकी पहचान करने के लिए अतिरिक्त अध्ययन करना।
  • कोटा अनुकूलन: DNTs, NTs और SNTs के लिए एक अलग कोटा या उप-कोटा पर विचार करना।
  • समय-समय पर अद्यतन: सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के आधार पर SC, ST और OBC सूचियों में नियमित अद्यतन को संस्थागत बनाना।
  • जागरूकता और क्षमता निर्माण: हाशिए पर पड़े समुदायों की बेहतर पहचान और वर्गीकरण के लिए अधिकारियों तथा शोधकर्ताओं को प्रशिक्षित करना।

विमुक्त जनजातियाँ (DNTs), खानाबदोश जनजातियाँ (NTs) और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियाँ (SNTs)

  • विमुक्त जनजातियाँ (DNTs): ऐतिहासिक रूप से ब्रिटिश शासन के तहत ‘आपराधिक जनजातियों’ के रूप में वर्गीकृत, बाद में स्वतंत्रता के बाद ‘विमुक्त’ कर दी गईं।
    • उदाहरण: साँसी, पारधी और बंजारा।
  • खानाबदोश जनजातियाँ (NTs): वे समुदाय जो पारंपरिक रूप से आजीविका के लिए प्रवासी जीवन शैली का पालन करते हैं।
    • उदाहरण: गुज्जर, गड़िया, लोहार।
  • अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियाँ (SNTs): वे समूह जो स्थायी और खानाबदोश जीवन शैली के बीच परिवर्तित होते रहते हैं।
    • उदाहरण: धनगर, लंबाडा।
  • वर्तमान संख्या: वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर भारत में DNTs, NTs और SNTs समुदायों में लगभग 10.74 करोड़ व्यक्ति हैं।

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