Lokesh Pal
August 05, 2024 04:40
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राज्यों को आरक्षण लाभ प्रदान करने के लिए पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों के आधार पर आरक्षित श्रेणी समूहों को उप-विभाजित करने का अधिकार है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद-341 राष्ट्रपति को सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से उन ‘जातियों, नस्लों या जनजातियों’ को अनुसूचित जातियों में सूचीबद्ध करने की अनुमति देता है, जो अस्पृश्यता के ऐतिहासिक अन्याय से पीड़ित हैं। अनुसूचित जाति समूहों को शिक्षा एवं सार्वजनिक रोजगार में संयुक्त रूप से 15% आरक्षण दिया जाता है।
6:1 के बहुमत से दिए गए निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि किसी वर्ग के भीतर उप-वर्गीकरण, मौलिक समानता सुनिश्चित करने के लिए एक संवैधानिक आवश्यकता है।
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