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सुंदरवन टाइगर रिजर्व

Lokesh Pal August 25, 2025 03:20 8 0

संदर्भ

पश्चिम बंगाल स्थित सुंदरवन टाइगर रिजर्व, आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम् टाइगर रिजर्व के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन गया है।

संबंधित तथ्य

  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा मौजूदा अभयारण्य के 1,044.68 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के विस्तार को मंजूरी दिए जाने के बाद यह दर्जा प्राप्त हुआ है। अब यह अभयारण्य 3,629.57 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
  • दक्षिण 24 परगना जिले में बाघों की उपस्थिति तीन रेंज मतला, रैदिघी और रामगंगा को सुंदरवन टाइगर रिजर्व के मौजूदा विस्तार में जोड़ा गया है।

सुंदरवन टाइगर रिजर्व के बारे में

  • अवस्थिति: पश्चिम बंगाल के दक्षिण और उत्तर 24-परगना के तटीय जिले, निचले गंगा डेल्टा के सबसे दक्षिणी भाग में, बंगाल की खाड़ी से संबद्ध।
  • संरचना: विश्व के सबसे बड़े डेल्टा (सुंदरवन) का एक हिस्सा, जो गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले निर्मित होता है।
  • स्थिति: बाघ अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान, जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (UNESCO विश्व धरोहर स्थल, रामसर स्थल)।
  • सीमाएँ
    • पूर्व: बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा (हरिनभंगा, रायमंगल, कालिंदी नदियाँ)।
    • दक्षिण: बंगाल की खाड़ी।
    • पश्चिम: मतला नदी (दक्षिण 24-परगना वन प्रभाग के साथ सीमा)।
    • उत्तर-पश्चिम: विद्या और गोमदी नदियाँ।
  • अद्वितीय विशेषता: विश्व का एकमात्र मैंग्रोव वन (बांग्लादेश के साथ), जो बाघों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी (लगभग 101 बाघ, 2022 जनगणना) को आश्रय प्रदान करता है।
  • वनस्पति: वास्तविक मैंग्रोव, मैंग्रोव वनस्पति, लवणयुक्त पादप, जड़ी-बूटियाँ, झाड़ियाँ, खरपतवार, एपीफाइट्स, परजीवी पौधे।
  • जीव: प्रमुख प्रजाति रॉयल बंगाल टाइगर है।
    • अन्य: फिशिंग कैट, एस्टुरीन क्रोकोडाइल, गंगा डॉल्फिन, इरावदी डॉल्फिन, किंग कोबरा, वाटर मॉनिटर लिजार्ड, प्रवासी पक्षी।
  • विस्तार का महत्त्व
    • संरक्षण: एक संवेदनशील मैंग्रोव-बाघ पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा को मजबूत करता है।
    • जलवायु लचीलापन: सुंदरवन एक प्राकृतिक चक्रवात रोधक और एक प्रमुख ‘कार्बन सिंक’ के रूप में कार्य करता है।
    • आजीविका संबंधी चिंताएँ: मछुआरों और स्थानीय समुदायों को प्रतिबंधित पहुँच का भी है, हालाँकि सरकार निरंतर ‘बफर जोन’ अधिकारों का आश्वासन देती है।
    • अंतरराष्ट्रीय महत्त्व: एकमात्र सीमापार बाघ अभयारण्य (भारत-बांग्लादेश)।

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के बारे में

  • वैधानिक निकाय: राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) का गठन केंद्र सरकार द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 5A के तहत किया गया था।
    • इसकी स्थापना वर्ष 2022 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन के माध्यम से की गई थी।
  • भारतीय वन्यजीव बोर्ड का स्थान लिया: NBWL ने भारतीय वन्यजीव बोर्ड का स्थान लिया, जिसका गठन मूल रूप से वर्ष 1952 में हुआ था।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की भूमिका: बोर्ड एक सलाहकारी कार्य करता है और वन्यजीव संरक्षण नीतियों और उपायों के संबंध में केंद्र सरकार को सिफारिशें प्रदान करता है।
  • WLPA के अनुसार NBWL द्वारा अनिवार्य अनुमोदन
    • राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं में परिवर्तन करना या बाघ अभयारण्यों को गैर-अधिसूचित करना।
    • संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटक आवासों का निर्माण करना।
    • विकास परियोजनाओं के लिए वन्यजीव आवासों का विनाश या उनका स्थानांतरण।
  • संगठनात्मक संरचना: राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड एक 47 सदस्यीय समिति है, जिसके निम्नलिखित प्रमुख सदस्य हैं-
    • अध्यक्ष: भारत के प्रधानमंत्री
    • उपाध्यक्ष: केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री
    • सदस्य-सचिव: अपर वन महानिदेशक (वन्यजीव संरक्षण) एवं निदेशक, वन्यजीव संरक्षण।
    • अन्य सदस्य
      • 3 संसद सदस्य (लोकसभा से 2, राज्यसभा से 1)
      • गैर-सरकारी संगठनों के 5 प्रतिनिधि
      • 10 प्रख्यात संरक्षणवादी, पारिस्थितिकीविद् और पर्यावरणविद्
      • विभिन्न विभागों के सरकारी सचिव
      • सेना प्रमुख, वन महानिदेशक, पर्यटन आदि।
  • NBWL की स्थायी समिति: राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के अधीन एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करती है।
  • संरचना: इसमें NBWL के अधिकतम 10 सदस्य शामिल होते हैं।
  • अध्यक्ष: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री।
  • NBWL से अंतर: स्थायी समिति परियोजना मंजूरी पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि NBWL नीतिगत निर्णयों के लिए जिम्मेदार है।

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