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सुपरकंप्यूटर

Lokesh Pal September 23, 2025 03:58 89 0

संदर्भ

हाल ही में, जर्मनी स्थित जुपिटर (JUPITER) यूरोप का पहला एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर बना।

सुपरकंप्यूटर के बारे में

  • सुपरकंप्यूटर एक अत्यधिक उन्नत कंप्यूटिंग प्रणाली है, जिसे अत्यंत बड़े पैमाने के, जटिल एवं गणना-गहन कार्यों को करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिन्हें सामान्य कंप्यूटर कुशलतापूर्वक नहीं कर सकते।
  • मूल सिद्धांत- पैरेलल कंप्यूटिंग (Parallel Computing): सिंगल प्रोसेसर पर निर्भर रहने के स्थान पर, सुपरकंप्यूटर एक साथ कार्य करने वाले हजारों से लेकर लाखों प्रोसेसर (CPU एवं GPU) का प्रयोग करते हैं।
    • यह पैरेलल कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर समस्या के छोटे हिस्सों को स्वतंत्र रूप से हल करने की अनुमति देता है, जिसके परिणामों को तेज एवं अधिक कुशल गणना के लिए एकत्रित किया जाता है।
  • संरचना एवं घटक
    • प्रोसेसर: CPU सामान्य कार्यों का प्रबंधन करते हैं, जबकि GPU वैज्ञानिक सिमुलेशन में उपयोग की जाने वाली गणितीय संक्रियाओं को कुशलतापूर्वक संसाधित करते हैं।
    • नोड्स: मेमोरी वाले प्रोसेसर के समूह छोटी कंप्यूटिंग इकाइयों के रूप में कार्य करते हैं, जबकि सुपरकंप्यूटर में हजारों नोड्स होते हैं।
    • हाई-स्पीड नेटवर्क: नोड्स अल्ट्रा-फास्ट डेटा लिंक के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं, जिससे निर्बाध डेटा एक्सचेंज संभव होता है।
    • मेमोरी एवं स्टोरेज: प्रत्येक नोड में स्थानीय मेमोरी होती है, एवं बड़े पैमाने पर स्टोरेज सिस्टम पेटाबाइट्स डेटा को संभालते हैं, जिससे हजारों नोड्स में व्यवस्थित रीड/राइट ऑपरेशन सुनिश्चित होते हैं।
    • कूलिंग सिस्टम: उच्च कंप्यूटिंग से अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिसके लिए लिक्विड इमर्शन, वाटर पाइप्स, ऑर रेफ्रिजरेशन यूनिट्स की आवश्यकता होती है।
    • विद्युत आपूर्ति: सुपरकंप्यूटर एक छोटे शहर के बराबर मेगावाट विद्युत की खपत करते हैं, जिसके लिए कुशल बिजली वितरण की आवश्यकता होती है।
  • सॉफ्टवेयर एवं कार्य प्रबंधन
    • पैरलल प्रोग्रामिंग: मैसेज पासिंग इंटरफेस (MPI) एवं OpenMP जैसी लैग्वेज, प्रोसेसरों के बीच कार्यों को शेड्यूल करती हैं।
    • लोड संतुलन: एल्गोरिदम कम्प्यूटेशनल लोड का समान वितरण सुनिश्चित करते हैं, जिससे निष्क्रिय प्रोसेसर से बचा जा सकता है।
    • कार्य शेड्यूलिंग: उपयोगकर्ता दूरस्थ रूप से ‘वर्क स्क्रिप्ट’ सबमिट करते हैं, जिसमें गणना संबंधी आवश्यकताएँ निर्दिष्ट होती हैं। एक शेड्यूलर नोड्स को कार्य सौंपता है, जिससे दक्षता का अनुकूलन होता है।
  • प्रदर्शन मेट्रिक्स: फ्लॉप (प्रति सेकंड फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन) में मापा जाता है।
    • शीर्ष सुपरकंप्यूटर: एक्साफ्लॉप्स, प्रति सेकंड क्विंटिलियन ऑपरेशन करते हैं, जो किसी भी व्यक्ति द्वारा कैलकुलेटर का उपयोग करके पूरे जीवनकाल में की जा सकने वाली गणना से कहीं अधिक है।
    • फ्लॉप्स कंप्यूटर के कम्प्यूटेशनल प्रदर्शन की एक माप है, जो दर्शाता है कि वह एक सेकंड में कितनी फ्लोटिंग-पॉइंट गणनाएँ कर सकता है।
  • उपयोगकर्ता इंटरैक्शन
    • दूरस्थ पहुँच: सुपरकंप्यूटरों तक प्रायः टर्मिनल इंटरफेस का उपयोग करके सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से पहुँचा जाता है।
    • डेटा आउटपुट: इसके गणना परिणाम सुपरकंप्यूटर की फाइल प्रणाली में संग्रहीत किए जाते हैं, जिन्हें बाद में विश्लेषण एवं विजुअलाइजेशन के लिए डाउनलोड किया जाता है।

सुपर कंप्यूटर एवं सामान्य कंप्यूटर के बीच अंतर

विशेषता सामान्य कंप्यूटर सुपर कंप्यूटर
उद्देश्य ब्राउजिंग, टाइपिंग या गेमिंग जैसे दैनिक कार्य बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक, औद्योगिक एवं रक्षा संगणनाएँ
प्रसंस्करण सिंगल या मल्टी प्रोसेसर हजारों से लाखों प्रोसेसर समानांतर रूप से कार्य करते हैं
गति अरबों FLOPS एक्साफ्लॉप्स, क्विंटिलियन ऑपरेशन/सेकंड
स्मृति भंडारण गीगाबाइट (Gigabytes- GBs) से टेराबाइट ( Terabytes- TBs) विशेष उच्च गति फाइल सिस्टम के साथ पेटाबाइट्स
शीतलक मानक वायु शीतलन उन्नत तरल शीतलन, प्रशीतन
बिजली का उपयोग न्यूनतम मेगावाट, छोटे शहरों के बराबर
उपयोगकर्ता की पहुंच प्रत्यक्ष, GUI-आधारित दूरस्थ, टर्मिनल-आधारित, कार्य अनुसूचक प्रबंधित

सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में भारत की राह

  • उत्पत्ति: पश्चिमी देशों द्वारा उच्च-स्तरीय सुपरकंप्यूटर के निर्यातों से इनकार करने के बाद 1980 के दशक के उत्तरार्ध में इसकी शुरुआत हुई, जिसके परिणामस्वरूप स्वदेशी विकास के लिए वर्ष 1988 में उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (Centre for Development of Advanced Computing- C-DAC) की स्थापना हुई।
  • परम श्रृंखला: परम 8000 (वर्ष 1991) भारत का पहला स्वदेशी सुपरकंप्यूटर था, जिसने पैरेलल कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर में अग्रणी भूमिका निभाई।
  • राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM): विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा वर्ष 2015 में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य टेराफ्लॉप से ​​पेटाफ्लॉप क्षमता वाली 70 से अधिक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) सुविधाएँ स्थापित करना है।
  • प्रमुख सुपरकंप्यूटर
    • C-DAC पुणे में AI अनुसंधान विश्लेषण एवं ज्ञान प्रसार मंच – विज्ञान तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सशक्त बनाना (AI Research Analytics and Knowledge Dissemination Platform – Powering Science and Artificial Intelligence- AIRAWAT-PSA)
    • भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे में प्रत्युष (Pratyush) एवं राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), नोएडा में मिहिर – मौसम, जलवायु, महासागर एवं वैज्ञानिक सिमुलेशन के लिए उपयोग किए जाते हैं।

एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर ऐसी मशीनें हैं, जो कम-से-कम एक एक्साफ्लॉप (प्रति सेकंड 10¹⁸ फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन) करने में सक्षम हैं, जो उन्हें ‘पेटास्केल मशीनों’ की तुलना में एक हजार गुना अधिक शक्तिशाली बनाता है।

  • तकनीकी सहयोग: भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) एवं निजी विक्रेताओं के साथ साझेदारी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), रक्षा तथा वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए रुद्र सर्वर एवं AUM HPC नोड्स विकसित किए जाएँगे।
    • AUM भारत के राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के अंतर्गत विशिष्ट स्वदेशी HPC आर्किटेक्चर/नाम को संदर्भित करता है।

सुपरकंप्यूटरों का महत्त्व

  • वैज्ञानिक उन्नति: ब्रह्मांड विज्ञान, आणविक गतिकी एवं जलवायु प्रणालियों के सिमुलेशन को सक्षम बनाना।
  • रक्षा एवं सुरक्षा: वॉर-गेम सिमुलेशन, परमाणु अनुसंधान एवं रणनीतिक योजना के लिए महत्त्वपूर्ण।
  • तकनीकी नेतृत्व: राष्ट्रीय नवाचार एवं तकनीकी कौशल का प्रदर्शन, वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को प्रभावित करना।
  • आपदा प्रबंधन: मानसून का पूर्वानुमान, बाढ़ मॉडलिंग एवं भूकंप सिमुलेशन में सहायता।

सुपरकंप्यूटर की आवश्यकता

  • डेटा-गहन अनुसंधान: आधुनिक विज्ञान उच्च-प्रदर्शन संगणन की आवश्यकता वाले बिग डेटासेट उत्पन्न करता है।
  • AI एवं मशीन लर्निंग: बड़े न्यूरल नेटवर्क का प्रशिक्षण केवल HPC प्लेटफॉर्म पर ही संभव है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता: सुपरकंप्यूटिंग क्षमताओं वाले राष्ट्र रणनीतिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में प्रभुत्व रखते हैं।
  • जलवायु एवं मौसम पूर्वानुमान: सटीक पूर्वानुमान के लिए उच्च-गति सिमुलेशन एवं रियल टाइम  विश्लेषण की आवश्यकता होती है।

वैश्विक पहल एवं विश्व की सर्वोत्तम प्रथाएँ:

  • एक्सास्केल कंप्यूटिंग: JUPITER (जर्मनी) जैसी मशीनें नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके 1 एक्साफ्लॉप से ​​अधिक गति प्राप्त करती हैं। 
  • न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग: ब्रेन इंस्पायर्ड आर्किटेक्चर एक ही चिप पर प्रोसेसिंग एवं मेमोरी को एकीकृत करते हैं, जिससे गति एवं ऊर्जा दक्षता में सुधार होता है।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग एकीकरण: कुछ सिमुलेशन क्वांटम सिस्टम में स्थानांतरित हो सकते हैं, जिससे हार्डवेयर एवं ऊर्जा की आवश्यकता कम हो जाती है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: PRACE (EU) एवं INCITE (USA) जैसी साझेदारियाँ वैश्विक पहुँच तथा वैज्ञानिक सहयोग को सक्षम बनाती हैं।

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