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सर्वोच्च न्यायालय ने वंतारा मामले की जाँच के लिए SIT गठित की

Lokesh Pal August 27, 2025 02:45 8 0

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस फाउंडेशन के वन्यजीव बचाव एवं पुनर्वास केंद्र ‘वंतारा’ से जुड़े मामलों की जाँच एक विशेष जाँच दल (SIT) से कराने का आदेश दिया है।

संबंधित तथ्य

  • सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय SIT का गठन किया जाएगा और उसे 12 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

SIT का अधिदेश

  • पशु अधिग्रहण: पशुओं (भारत और विदेश में), विशेष रूप से हाथियों, के अधिग्रहण की जाँच करना।
  • कानूनी अनुपालन: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, चिड़ियाघर नियमों और CITES प्रावधानों के अनुपालन की जाँच करना।
  • आयात/निर्यात विनियम: जीवित पशुओं के व्यापार से संबंधित कानूनों और वैधानिक आवश्यकताओं की समीक्षा करना।
  • पशु कल्याण: पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल, कल्याण मानकों, मृत्यु दर और उनके कारणों का आकलन करना।
  • भौतिक सत्यापन: वंतारा का भौतिक सत्यापन और निरीक्षण करना।
  • तथ्य-खोज भूमिका: आरोपों पर विचार व्यक्त किए बिना, न्यायालय की सहायता के लिए तथ्य-खोज जाँच के रूप में कार्य करना।

वन्यजीव व्यापार के बारे में

  • परिभाषा: जंगली जानवरों, पौधों या उनके अंगों की बिक्री या विनिमय को संदर्भित करता है। इसमें जीवित प्रजातियाँ और उनसे प्राप्त उत्पाद, दोनों शामिल हैं।
  • खतरा: आवास की हानि के बाद, इसे प्रजातियों के अस्तित्व के लिए दूसरा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष खतरा माना जाता है।
  • वन्यजीव व्यापार को नियंत्रित करने वाले कानून: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, वन संरक्षण अधिनियम, 1980, जैव विविधता अधिनियम, 2002, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972

  • अवलोकन: यह अधिनियम वन्य जीवों और पौधों के संरक्षण, आवासों के प्रबंधन, वन्यजीवों और उनके उत्पादों के व्यापार के विनियमन और नियंत्रण के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • अधिनियम के अंतर्गत अनुसूचियाँ:
    • अनुसूची I: उच्चतम स्तर की सुरक्षा वाली प्रजातियाँ
    • अनुसूची II: कम सुरक्षा वाली प्रजातियाँ
    • अनुसूची III: संरक्षित पादप प्रजातियाँ
    • अनुसूची IV: CITES के अंतर्गत अनुसूचित प्रजातियाँ।
  • हाथियों की स्थिति: भारतीय उप-प्रजातियाँ अनुसूची 1 के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं।

बंदी हाथी (स्थानांतरण या परिवहन) नियम, 2024

  • पृष्ठभूमि: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, वर्ष 2022 तक, जंगली और बंदी हाथियों, दोनों सहित वन्यजीवों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है।
    • वर्ष 2022 के संशोधन ने बंदी हाथियों को इससे छूट दी, जिसके परिणामस्वरूप ये नियम बनाए गए।
  • स्थानांतरण की परिस्थितियाँ: बंदी हाथियों के स्थानांतरण की अनुमति तब दी जाती है, जब:
    • मालिक हाथी की उचित देखभाल और कल्याण सुनिश्चित करने में असमर्थ हो।
    • नई परिस्थितियों में हाथी को बेहतर रखरखाव मिलने की उम्मीद होती है।
    • मुख्य वन्यजीव वार्डन हाथी के कल्याण के लिए स्थानांतरण को आवश्यक समझता है।

CITES (वन्य जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन) के बारे में

  • विषय: सरकारों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय संधि, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जंगली जानवरों और पौधों का वैश्विक व्यापार उनके अस्तित्व को खतरे में न डाले।
  • अंगीकरण: वर्ष 1963 में तैयार किया गया (IUCN संकल्प) और 1 जुलाई, 1975 को लागू हुआ।
  • कानूनी स्थिति: CITES सभी पक्षों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है, लेकिन राष्ट्रीय कानूनों का स्थान नहीं लेता। यह सुनिश्चित करने के लिए कि CITES राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो, प्रत्येक पक्ष को अपना घरेलू कानून अपनाना होगा।
  • परिशिष्ट: CITES द्वारा शामिल की गई प्रजातियों को उनकी आवश्यक सुरक्षा के स्तर के अनुसार तीन परिशिष्टों में सूचीबद्ध किया गया है।
    • परिशिष्ट I: विलुप्ति के खतरे में प्रजातियाँ;
    • परिशिष्ट II: वे प्रजातियाँ जो तत्काल खतरे में नहीं हैं, लेकिन जिनके असंवहनीय उपयोग को रोकने के लिए विनियमित व्यापार की आवश्यकता है।
    • परिशिष्ट III: कम-से-कम एक देश में संरक्षित प्रजातियाँ, जो व्यापार को नियंत्रित करने के लिए अन्य पक्षों से सहयोग चाहती हैं।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board of India- AWBI)

  • स्थापना: पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 4 के अंतर्गत 1962 में स्थापित एक वैधानिक निकाय।
  • संस्थापक: प्रख्यात मानवतावादी और पशु अधिकार अधिवक्ता श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल के नेतृत्व में स्थापित।
  • अधिकार
    • देश भर में पशु कल्याण को बढ़ावा देना।
    • पशुओं को अनावश्यक पीड़ा और कष्ट से बचाना।
    • पशु कल्याण से संबंधित नियमों और नीतियों पर सरकार को सलाह देना।
    • पशु कल्याण कानूनों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।

भारतीय हाथी (एलिफस मैक्सिमस [Elephas maximus]

  • उप-प्रजाति: एशियाई हाथी की एक उप-प्रजाति, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है।
  • आवास: शुष्क-कंटीले वन, नम और शुष्क पर्णपाती वन, और उष्णकटिबंधीय सदाबहार एवं अर्द्ध-सदाबहार वन।
  • जनसंख्या: वर्ष 2017 की हाथी गणना के अनुसार, कर्नाटक में सबसे अधिक हाथी हैं, उसके बाद असम का स्थान है।
  • हाथी परियोजना: वर्ष 1992 में शुरू की गई।
  • विशेषताएँ
    • झुंड का नेतृत्व मादा (मातृसत्ता) करती है।
    • स्तनधारियों में सबसे लंबी गर्भावस्था अवधि – लगभग 22 महीने
  • संरक्षण की स्थिति:
    • IUCN स्थिति: संकटग्रस्त
    • CITES स्थिति: परिशिष्ट I
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I

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