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Lokesh Pal
September 17, 2025 02:20
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से प्रश्न किया कि सामान्य श्रेणी की कट-ऑफ पार करने वाले मेधावी दिव्यांगजनों (Persons with Disabilities- PwD) को अनारक्षित सूची में क्यों नहीं स्थानांतरित कर दिया जाता, जिससे अन्य लोगों के लिए आरक्षित सीटें बच जाती हैं।
PWOnlyIAS विशेषभारत की दिव्यांगता संबंधी पहलों का कालानुक्रमिक विकास
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सर्वोच्च न्यायालय ने फिर से कहा कि आरक्षण एक सीढ़ी है, पिंजरा नहीं। दिव्यांगजन कार्यबल का केवल 1% हिस्सा हैं, जबकि अनिवार्य स्तर 4% है, इसलिए औपचारिक समानता को वास्तविक सशक्तीकरण में बदलने के लिए दिव्यांगों का समर्थन सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
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