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हाथ से मैला ढोने की प्रथा बंद होनी चाहिए: उच्चतम न्यायालय

Lokesh Pal December 13, 2024 02:28 31 0

संदर्भ 

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया है कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा तथा सीवरों और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई को समाप्त किया दिया जाना चाहिए क्योंकि यह मुद्दा मानवीय गरिमा से संबंधित है।

  • उच्चतम न्यायालय अपने 20 अक्टूबर, 2023 के निर्णय का उदाहरण दिया, जिसमें न्यायालय द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को मैनुअल स्कैवेंजिंग और खतरनाक प्रथाओं को खत्म करने के लिए कदम उठाने संबंधी दिशा निर्देश जारी किए गए थे।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय (20 अक्टूबर, 2023)

  • मुआवजा: न्यायालय ने सरकारों को सीवर में हुई मौतों के लिए 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था।
  • जवाबदेही: न्यायालय ने केंद्र से अनुबंधित और सीवर-सफाई कार्य के दौरान सीवर में होने वाली मौतों के मामलों में जवाबदेही लागू करने के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित करने को कहा, जिसमें व्यक्तियों को सीवर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • मानकीकृत अनुबंध: सरकार को अपनी एजेंसियों और निगमों द्वारा दिए जाने वाले अनुबंधों के लिए उपयोग किए जाने वाले मानकीकृत अनुबंध बनाने चाहिए।
  • राष्ट्रीय सर्वेक्षण के लिए योजना: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC), राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव को तीन महीने के भीतर राष्ट्रीय सर्वेक्षण कराने की योजना बनानी चाहिए।
  • शिक्षा एवं प्रशिक्षण: संबंधित समितियों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए उपयुक्त तरीके बनाए जाने चाहिए।
    • संघ, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को छात्रवृत्तियाँ स्थापित करने का अधिकार है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीवर पीड़ितों के आश्रितों को सार्थक शिक्षा मिले।
  • NALSA की भूमिका: सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority-NALSA) को सर्वेक्षण योजना और क्रियान्वयन के लिए राज्य एवं जिला विधिक सेवा समितियों के साथ समन्वय करने तथा कुशल मुआवजा वितरण के लिए मॉडल बनाने में भूमिका निभाने का निर्देश दिया।
  • विशिष्ट पोर्टल: उच्चतम न्यायालय ने सीवर में हुई मौतों और पीड़ितों, मुआवजे की स्थिति, पुनर्वास उपायों एवं मौजूदा नीतियों के आँकड़ों सहित एक पोर्टल एवं डैशबोर्ड बनाने का आह्वान किया।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश: वर्ष 2014 में में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने सरकार के लिए यह अनिवार्य कर दिया कि वह वर्ष 1993 से सीवेज कार्य में मरने वाले सभी लोगों की पहचान करे और उनके परिवारों को मुआवजे के रूप में 10-10 लाख रुपये प्रदान करे।

मैनुअल स्केवेंजिंग के बारे में

  • परिभाषा: मैनुअल स्कैवेंजर्स का रोजगार और सूखे शौचालय निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993 ‘मैनुअल स्केवेंजर’ को ‘मानव मल को हाथ से ढोने के कार्य में लगा हुआ या नियोजित व्यक्ति’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
    • यह अधिनियम मैनुअल स्केवेंजिंग को एक ‘अमानवीय प्रथा’ के रूप में मान्यता देता है, तथा मैनुअल स्केवेंजरों द्वारा सहन किये गए ऐतिहासिक अन्याय और अपमान को ठीक करने की आवश्यकता का हवाला देता है।
  • संवैधानिक सुरक्षा उपाय 
    • अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता एवं कानूनों का समान संरक्षण।
    • अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का अंत एवं किसी भी रूप में इसके अभ्यास का निषेध।
    • अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा।
    • अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और जबरन श्रम का निषेध।
  • कानूनी प्रावधान: मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013, मुख्य कानून जिसका उद्देश्य भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग को प्रतिबंधित करना तथा समाप्त करना है।

PEMSR अधिनियम 2013 की मुख्य विशेषताएँ

  • मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है और मैनुअल स्कैवेंजर की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। इसमें मानव मल को हाथ से हटाने के सभी तरीके शामिल किए गए हैं, जैसे कि खुली नाली, गड्ढे वाला शौचालय, सेप्टिक टैंक, मैनहोल और रेलवे ट्रैक पर मल को हटाना।
  • नियोक्ताओं के लिए श्रमिकों को सुरक्षात्मक उपकरण प्रदान करना अनिवार्य है।
  • मैनुअल स्कैवेंजरों को स्थायी आधार पर वैकल्पिक व्यवसाय अपनाने के लिए तैयार घर, वित्तीय सहायता और ऋण प्रदान करके उनके पुनर्वास पर मुख्य ध्यान दिया गया है।
  • संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध।
  • मैनुअल स्कैवेंजर के सर्वेक्षण की माँग की गई है।

हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए सरकार की पहल

  • मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना (SRMS): इसे वर्ष 2013 में संशोधित किया गया था:
    • परिवार में एक चिन्हित मैला ढोने वाले को 40,000/- रुपये की एकमुश्त नकद सहायता का प्रावधान।
    • चिन्हित मैला ढोने वालों और उनके आश्रितों को 10.00 लाख रुपये तक की स्वरोजगार परियोजनाओं के लिए 3.25 लाख रुपये तक की पूँजी सब्सिडी।
    • प्रशिक्षण अवधि के दौरान 3,000/- रुपये प्रति माह वजीफा के साथ मैला ढोने वालों और उनके आश्रितों की पहचान करने के लिए दो वर्ष तक का कौशल विकास प्रशिक्षण।
  • नमस्ते (NAMASTE) योजना: वर्ष 2025-26 तक सीवर कार्य के 100% मशीनीकरण के लिए वर्ष 2022-23 में मशीनीकृत स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAMASTE ) योजना शुरू की गई थी। 
    • SRMS को अब नमस्ते योजना में विलय कर दिया गया है।
  • वर्ष 2016 में स्वच्छता मोबाइल ऐप का लॉन्च: हाथ से मैला ढोने की प्रथा के संभावित संकेतों की शिकायत करने के लिए लॉन्च किया गया था।
  • अन्य संबंधित पहल: सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती एवं राष्ट्रीय गरिमा अभियान 

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (National Commission for Safai Karamcharis- NCSK)

  • NCSK का गठन राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम, 1993 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया गया था।
  • वर्तमान में, यह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में कार्य कर रहा है।
  • NCSK सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों के संबंध में सरकार को सिफारिशें देने, सफाई कर्मचारियों के लिए मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों का अध्ययन और मूल्यांकन करने, विशिष्ट शिकायतों के मामलों की जाँच करने आदि के लिए जिम्मेदार है।

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