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चुनाव उम्मीदवारों द्वारा ‘चल संपत्ति घोषणा’ पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी

Lokesh Pal April 12, 2024 06:39 151 0

संदर्भ

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के एक विधायक द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उम्मीदवारों को गोपनीयता के अधिकार का हवाला देते हुए, ‘उच्च मूल्य’ संपत्ति को छोड़कर चल संपत्ति की प्रत्येक वस्तु का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है।

संबंधित तथ्य

  • पृष्ठभूमि: अरुणाचल प्रदेश के विधायक ‘करिखो क्री’ द्वारा एक याचिका दायर की गई थी जिसमें 44-तेजू विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में उनके चुनाव को रद्द करने के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।
  • HC के फैसले के खिलाफ चुनौती: इससे पहले हाईकोर्ट ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के फॉर्म नंबर 26 के तहत दायर हलफनामे में उनकी संपत्ति के रूप में पंजीकृत वाहनों का खुलासा न करने के आधार पर करिखो क्री की जीत को शून्य या अमान्य घोषित कर दिया था, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के तहत ‘अनुचित प्रभाव’ के भ्रष्ट आचरण को दर्शाता है।

चल एवं अचल संपत्ति (Movable & Immovable Assets)

  • चल संपत्तियाँ (Movable Assets): वे संपत्तियाँ जिन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। उदाहरण के लिए कार, आभूषण एवं लैपटॉप, जिन्हें अस्थायी संपत्ति भी कहा जाता है।
    • पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 2(9) के अनुसार, चल संपत्तियों में लकड़ी, फसलें एवं घास, फल तथा पेड़ों में फलों का रस भी शामिल है।
      • इन्हें आसानी से किसी को भी बाँटा जा सकता है।
  • अचल संपत्ति (Immovable Assets): वह संपत्ति जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता, उसे अचल संपत्ति भी कहा जाता है, उदाहरण के लिए, एक घर, दुकान, कारखाना आदि।
    • वर्ष 1897 के जनरल क्लॉजेज एक्ट की धारा 3(26) के अनुसार, अचल संपत्तियों में जमीन एवं जमीन से जुड़ी या स्थायी रूप से जड़ें जमा चुकी अन्य चीजें शामिल हैं।
    • भूमि पर लगे पौधे या पेड़ भी अचल संपत्ति के अंतर्गत आते हैं।
    • इन्हें बिना वसीयत किए या उपहार दिए अथवा बँटवारे के किसी को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।

चुनाव याचिका दायर करने या चुनाव को शून्य या अमान्य घोषित करने का आधार

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 100 के अंतर्गत किसी विशेष उम्मीदवार के चुनाव को शून्य घोषित किया जा सकता है, यदि उच्च न्यायालय की राय है कि –
    • एक उम्मीदवार अपनी चुनाव की तिथि पर अपात्र या अयोग्य है।
    • किसी निर्वाचित उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी निर्वाचित उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट की सहमति से कोई भ्रष्ट आचरण किया गया हो।
    • किसी भी नामांकन की अनुचित स्वीकृति एक भ्रष्ट आचरण है।
    • भ्रष्ट आचरण में किसी भी वोट को अनुचित तरीके से स्वीकार करना, अस्वीकार करना या अतिरिक्त वोट स्वीकार करना शामिल है।
    • संविधान के प्रावधानों, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) या इस अधिनियम के तहत बनाए गए किसी भी नियम या आदेश का अनुपालन न करना एक भ्रष्ट आचरण है।

उम्मीदवार द्वारा चल संपत्ति की घोषणा (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951) 

  • शपथ-पत्र दाखिल करने की आवश्यकताएँ: चुनाव लड़ने वाले व्यक्तियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड, संपत्ति एवं देनदारियों और शैक्षिक योग्यताओं का खुलासा करते हुए एक हलफनामा जमा करना आवश्यक है।
  • चुनाव के बाद की घोषणाएँ: निर्वाचित होने पर, संसद सदस्यों को अपनी संपत्ति तथा देनदारियों की घोषणा लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सभापति को प्रस्तुत करनी होगी और ऐसा ही राज्यों में विधायकों को भी करना होगा। 

उच्चतम न्यायालय का फैसला

  • चल संपत्ति के प्रकटीकरण पर उम्मीदवार का दायित्व: उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अप्रासंगिक व्यक्तिगत मामलों के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने का उम्मीदवार का निर्णय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ नहीं है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123

भ्रष्ट आचरण

  • धारा 123, एक उम्मीदवार द्वारा अपनी चुनावी संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए किए गए कार्यों के रूप में भ्रष्ट आचरण को रेखांकित करती है। इनमें रिश्वतखोरी, अनुचित प्रभाव, गलत सूचना का प्रसार एवं धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर शत्रुता भड़काना शामिल है।
  • भ्रष्ट आचरण का विस्तार
    • धारा 123(4) चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने के उद्देश्य से झूठे बयानों के जानबूझकर प्रसार को शामिल करने के लिए भ्रष्ट आचरण के दायरे को विस्तृत करती है।

अवांछित प्रभाव (Undue Influence)

  • अधिनियम की धारा 123(2) अनुचित प्रभाव को संबोधित करती है, जिसमें उम्मीदवार, एजेंट या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप शामिल है, जो चुनावी अधिकारों के स्वतंत्र अभ्यास में बाधा डालता है।
    • इसमें नुकसान की धमकी, सामाजिक बहिष्कार, किसी जाति या समुदाय से निष्कासन या काल्पनिक परिणामों के आधार पर दबाव शामिल हो सकता है।


    • उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस तरह का गैर-प्रकटीकरण RPA 1951 की धारा 36(4) के तहत ‘महत्त्वपूर्ण प्रकृति का दोष’ नहीं है।
  • संपत्ति के प्रकटीकरण के लिए मानदंड: न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उम्मीदवारों को प्रत्येक चल संपत्ति की घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि यह उनकी संपत्ति के मूल्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव न डाले या उनकी जीवनशैली को प्रतिबिंबित न करे।
    • उदाहरण के लिए: किसी महंगी घड़ी के संग्रह के बारे में जानकारी छिपाना एक बड़ा दोष माना जा सकता है, साधारण, सस्ती घड़ियों के मूल्य को छिपाना बिल्कुल भी दोष नहीं माना जा सकता है।
  • मतदाता की भागीदारी बढ़ाने के लिए संपत्ति की घोषणा: इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि संपत्ति की घोषणा लोकतांत्रिक भागीदारी एवं मतदाताओं के सूचना के अधिकार को बढ़ाने का काम करती है, जिससे उन्हें सूचित मतदान निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
  • संतुलित दृष्टिकोण: न्यायालय का उद्देश्य प्रासंगिक संपत्ति की जानकारी तक पहुँचने के मतदाताओं के अधिकार एवं उम्मीदवार की निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना है, यह स्वीकार करते हुए कि प्रत्येक छोटी जानकारी के लिए सार्वजनिक जाँच की आवश्यकता नहीं होती है।
    • अंततः परिसंपत्ति गैर-प्रकटीकरण की पर्याप्तता निर्धारित करने के लिए प्रत्येक मामले का उसके विशिष्ट तथ्यों के आधार पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय के फैसले का निहितार्थ

  • प्रकटीकरण दायित्वों पर स्पष्टता: उच्चतम न्यायालय का निर्णय चुनावी उम्मीदवारों द्वारा चल संपत्तियों की प्रकटीकरण आवश्यकताओं के संबंध में स्पष्टता प्रदान करता है। यह उम्मीदवारों पर अनावश्यक बोझ से बचते हुए पारदर्शिता की आवश्यकता को स्पष्ट करता है।
  • पारदर्शिता और गोपनीयता को संतुलित करना: इस फैसले का उद्देश्य मतदाताओं के सूचना के अधिकार एवं उम्मीदवारों के गोपनीयता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना है। यह निष्पक्ष तथा सुविज्ञ चुनावी प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करता है।
  • चुनावी सिद्धांतों की पुनः पुष्टि: उच्च न्यायालय के फैसले को पलटकर एवं करिखो क्री की चुनावी जीत को मान्य करके, उच्चतम न्यायालय ने पुनः पुष्टि की कि चुनावी चुनौतियों को उम्मीदवार की योग्यता तथा चुनावी कानूनों के पालन से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित होना चाहिए।

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