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सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौता

Lokesh Pal June 11, 2025 03:54 57 0

संदर्भ

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MAH) सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (Suspension Of Operations- SoO) समझौते के आधारभूत नियमों की समीक्षा करने के लिए कुकी-जो विद्रोही समूहों के साथ चर्चा कर रहा  है।

  • हिंसा के ताजा प्रकरण के कारण समीक्षा बैठक हुई।

बैठक में चर्चा किए गए विषय

  • राष्ट्रीय राजमार्ग खोलना: राष्ट्रीय राजमार्ग-2 एवं 37 (भूमि से घिरे इम्फाल घाटी को क्रमशः नागालैंड तथा असम से जोड़ने वाले) को खोलना, जो कुकी-जो आबादी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं।
  • केंद्रशासित प्रदेश की माँग: विद्रोही समूहों ने कुकी-जो लोगों के लिए विधानसभा युक्त केंद्र शासित प्रदेश की अपनी माँग दोहराई।
  • आधारभूत नियमों का उल्लंघन: कुकी-जो विद्रोही समूह को आधारभूत नियमों के उल्लंघन के बारे में बताया गया एवं उन्हें मैतेई आबादी वाले क्षेत्रों के पास स्थित शिविरों को बंद करने या स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया गया।

सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौते के बारे में

  • हस्ताक्षरकर्ता: ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन’ पर सबसे पहले 22 अगस्त, 2008 को भारत सरकार, मणिपुर सरकार एवं कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (Kuki National Organisation (KNO) के बीच संघर्ष समाप्त करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे।
    • यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) एवं कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) से मिलकर बने 30 विद्रोही समूहों में से 25 SoO का हिस्सा हैं जो मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 14 नामित शिविरों में रह रहे हैं।

  • पृष्ठभूमि: वर्ष 1990 के दशक में कुकी-नागा संघर्ष के मद्देनजर SoO समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें कुकी-जो समुदायों  के लिए एक स्वतंत्र भूमि की माँग की गई थी।
    • शांति वार्ता में निरंतर अनुपालन एवं प्रगति के आधार पर प्रत्येक वर्ष समझौते की समीक्षा की जाती है तथा इसे नवीनीकृत किया जाता है।
  • वर्तमान स्थिति: मणिपुर सरकार जमीनी नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 29 फरवरी, 2024 को एकतरफा समझौते से अलग हो गई। तब से यह समझौता निलंबित है।
  • संयुक्त निगरानी समूह (JMG): सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन समझौते के अधिदेश को क्रियान्वित करने के लिए एक JMG की स्थापना की गई थी एवं इसे प्रत्येक महीने बैठक कर यह जाँचने का कार्य सौंपा गया था कि क्या आतंकवादी समूह समझौते की शर्तों का पालन कर रहे हैं। 
    • JMG में प्रमुख सचिव (गृह), महानिरीक्षक एवं अतिरिक्त महानिदेशक (खुफिया), सेना, अर्द्धसैनिक बलों तथा गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे। 
  • समझौते की शर्तें
    • संघर्ष विराम समझौता: विद्रोही समूहों को सभी सशस्त्र गतिविधियों को बंद करना होगा, सरकार उनके खिलाफ सभी सैन्य अभियानों को रोक देगी।
    • नामित शिविर: आतंकवादी समूहों के कैडरों को नामित शिविरों में रहना होगा एवं पुनर्वास पैकेज के रूप में उन्हें ₹6,000 का मासिक वजीफा दिया जाएगा।
      • ऐसे शिविर आबादी वाले क्षेत्रों एवं राष्ट्रीय राजमार्गों के करीब नहीं होंगे। साथ ही, ऐसे शिविर अंतरराष्ट्रीय सीमा से दूर स्थित होंगे। 
    • निरस्त्रीकरण: सभी हथियार शिविर के शस्त्रागार में डबल लॉकिंग सिस्टम में रखे जाएंगे, जिसमें एक चाबी समूह के पास एवं दूसरी संबंधित सुरक्षा बल के पास होगी। 
      • कैडरों को अतिरिक्त हथियार, गोला-बारूद या सैन्य उपकरण हासिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    • अपवर्जन: विद्रोही समूहों को कैडरों की नई भर्ती करने या अतिरिक्त सैन्य/नागरिक संगठन/फ्रंट संगठन बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
      • वे स्मारक नहीं बनाएंगे, झंडे नहीं फहराएंगे या सशस्त्र कैडरों की परेड नहीं निकालेंगे।
    • राजनीतिक संवाद: यह समझौता शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से राजनीतिक शिकायतों को दूर करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।

मणिपुर में जातीय हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?

  • मैतेई समुदाय द्वारा ST दर्जे की माँग: मणिपुर की अनुसूचित जनजाति माँग समिति (STDCM) ने वर्ष 2012 से मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की माँग की है।
  • मणिपुर उच्च न्यायालय का आदेश: मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को “मैतेई  समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल किए जाने के अनुरोध पर विचार करने” का निर्देश दिया, जिससे कुकी समुदाय में आक्रोश उत्पन्न हो गया।
    • जनजातीय समूहों ने राज्य सरकार की कार्रवाई के विरोध में 28 अप्रैल 2023 को पूर्ण बंद का आह्वान किया।
  • कुकी समुदाय की चिंता: मैतेई को ST का दर्जा दिए जाने से शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षित कोटा प्रभावित हो सकता है, साथ ही संरक्षित पहाड़ी क्षेत्रों में मैतेई भूमि के स्वामित्व की संभावना भी प्रभावित हो सकती है।
  • मणिपुर राज्य बेदखली अभियान: मणिपुर सरकार ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ कुकी आदिवासियों की आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्रों में बेदखली अभियान चलाया, जिससे आदिवासियों में गुस्सा भड़क गया कि उन्हें अपने घरों से जबरन निकाला जा रहा है।
  • SoO समझौते से वापसी: मणिपुर सरकार ने समझौते के आधारभूत नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन  समझौते से एकतरफा वापसी कर ली।

कुकी विद्रोह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • नागा आंदोलन के साथ-साथ उभरना: कुकी विद्रोह, नागा आंदोलन के समानांतर विकसित हुआ, दोनों स्वायत्तता एवं अपनी विशिष्ट जातीय पहचान की मान्यता के लिए प्रयास कर रहे थे।
    • कुकी सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1987 में कुकी राजनीतिक समाधान खोजने के लिए की गई थी।
  • वर्ष 1990 के दशक के दौरान वृद्धि: वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में मणिपुर में कुकी एवं नागाओं के बीच जातीय संघर्ष ने कुकी विद्रोह को अत्यधिक सीमा तक तीव्र कर दिया, जो कुकी द्वारा नागा आक्रामकता के रूप में माना जाने वाले प्रतिक्रिया के रूप में उभरा।
  • कुकी मातृभूमि बनाम नागा मातृभूमि: कुकी दावा करते हैं कि मणिपुर की पहाड़ियाँ उनकी “मातृभूमि” हैं, यह दावा ग्रेटर नागालैंड या नागालिम के लिए नागा आकांक्षा के साथ संघर्ष करता है, जिसमें वही क्षेत्र शामिल है।
  • टेंग्नौपाल नरसंहार: वर्ष 1993 में, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-इसाक-मुइवा (NSCN-IM) ने टेंग्नौपाल में कथित तौर पर लगभग 115 कुकी लोगों की हत्या कर दी थी। इस दुखद घटना को कुकी समुदाय द्वारा ‘काला दिन’ के रूप में याद किया जाता है।

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