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सतत् हरित पहल

Lokesh Pal February 23, 2024 06:22 126 0

संदर्भ

हाल ही में कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक उपक्रमों ने अपने उपयुक्त कमांड क्षेत्रों में सतत् हरित पहल के अंतर्गत मियावाकी वृक्षारोपण पद्धति को अपनाया है।

संबंधित तथ्य

  • पिछले पाँच वर्षों का प्रदर्शन: पिछले पाँच वर्षों में (वित्त वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक), कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक उपक्रमों ने 10,784 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 235 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं, जिससे कार्बन सिंक में काफी वृद्धि हुई है।
  • कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के अंतर्गत कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक उपक्रमों ने देश की बढ़ती ऊर्जा माँग को पूरा करने के लिए न केवल अपने उत्पादन स्तर में वृद्धि की है, बल्कि कई प्रकार के सतत् उपायों को लागू करके स्थानीय पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित की है।

सतत् हरित पहल

  • सतत् हरित पहल के भाग के रूप में कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों द्वारा विभिन्न स्थलों पर देशी प्रजातियों के वृक्ष लगाए जाते हैं, वृक्षारोपण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।
  • इनमें ओवरबर्डन (OB) डंप, ढुलाई सड़कें, खदान परिधि, आवासीय कॉलोनियाँ और पट्टा क्षेत्र के बाहर उपलब्ध भूमि शामिल हैं।
  • वैज्ञानिक संस्थानों के साथ सहयोग यह सुनिश्चित करता है कि वृक्षारोपण प्रयासों को विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में चलाया जाए।
    • जिससे पर्यावरण-पुनर्स्थापना स्थलों के विकास और बहु-स्तरीय वृक्षारोपण योजनाओं को लागू करने में  आसानी होती है।
  • वृक्षारोपण कार्यक्रम में शामिल पौधे
    • वृक्षारोपण कार्यक्रम बहुविद दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमें छायादार पेड़, वानिकी उद्देश्यों के लिए प्रजातियाँ, औषधीय पौधे, फलदार पेड़, मूल्यवान पेड़ और सजावटी/एवेन्यू पौधे शामिल हैं।
    • औषधीय पौधों के साथ-साथ फलदार प्रजातियाँ न केवल जैव विविधता के संरक्षण में योगदान देती हैं बल्कि स्थानीय समुदायों को अतिरिक्त सामाजिक-आर्थिक लाभ भी प्रदान करती हैं।
    • फल देने वाली प्रजातियाँ जैसे- जामुन, इमली, गंगा इमली, बेल, आम, सीताफल आदि, औषधीय/हर्बल पौधे जैसे नीम, करंज, आँवला, अर्जुन, आदि।
    • इसके अतिरिक्त राज्य के वन विभागों और निगमों के साथ सहयोग यह सुनिश्चित करता है कि वृक्षारोपण के लिए सबसे उपयुक्त प्रजातियों का चयन किया जाता है, जिससे भूमि सुधार प्रयासों की सफलता और स्थिरता सुनिश्चित होती है।

 मियावाकी वृक्षारोपण पद्धति

  • कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक उपक्रमों ने अपने उपयुक्त कमांड क्षेत्रों में मियावाकी वृक्षारोपण पद्धति को अपनाया है।
  • परिचय 
    • मियावाकी पद्धति वनीकरण और पारिस्थितिकी बहाली के लिए एक विशिष्ट दृष्टिकोण है, जिसकी शुरुआत जापानी वनस्पतिशास्त्री डॉ. अकीरा मियावाकी ने की थी।
    • इसका प्राथमिक लक्ष्य एक सीमित क्षेत्र में हरित आवरण में वृद्धि करना है। इस नवोन्मेषी पद्धति का लक्ष्य केवल 10 वर्षों में सघन वन स्थापित करना है।
    • इस प्रक्रिया में आमतौर पर एक शताब्दी की आवश्यकता होती है।
    • इसमें बहुस्तरीय कृषि शामिल है, जो तेजी से विकास करते हैं और स्वदेशी वनों में पाई जाने वाली प्राकृतिक जैव-विविधता को प्राप्त करते हैं।
  •  कार्यान्वयन
    • मियावाकी पद्धति के कार्यान्वयन में प्रति वर्ग मीटर दो से चार प्रकार के देशी वृक्ष लगाना शामिल है।
    • चयनित पौधों की प्रजातियाँ काफी हद तक आत्मनिर्भर होती हैं, जिससे निषेचन और जल जैसे नियमित रखरखाव की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
    • इस पद्धति के अंतर्गत पेड़ तीन वर्ष की उल्लेखनीय समय सीमा के भीतर अपनी ऊँचाई तक पहुँच जाते हैं।
    • पौधों के बीच परस्पर निर्भरता एक-दूसरे के विकास का समर्थन करती है तथा समग्र स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ावा देती है।
    • परिणामस्वरूप, पेड़ पारंपरिक तरीकों की तुलना में बहुत तेजी से विकास दर प्रदर्शित करते हैं और बढ़े हुए कार्बन सिंक के निर्माण में योगदान करते हैं।

वृक्षारोपण का महत्त्व

  • वृक्षारोपण पहल खनन गतिविधियों के पारिस्थितिकी प्रभाव को कम करती हैं।
  • वृक्षारोपण पहल जैव विविधता की बहाली, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने, कार्बन सिंक बनाने, स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसर प्रदान करने और सतत् विकास को बढ़ावा देने में भी योगदान देती है।
  • वैज्ञानिक विशेषज्ञता, सामुदायिक जुड़ाव और मियावाकी वृक्षारोपण जैसी नवीन पद्धतियों का लाभ उठाकर, कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक उपक्रम भविष्य की पीढ़ियों के लिए हरित, लचीले परिदृश्य से संबंधित विरासत का निर्माण कर रहे हैं।

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