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सतत् परिवहन मिशन

Lokesh Pal June 05, 2025 03:29 89 0

संदर्भ

जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan for Climate Change- NAPCC) के साथ सतत् परिवहन मिशन भी संचालित किया जाएगा।

  • इस मिशन के प्रारंभ के बाद से इसे NAPCC में पहली बार शामिल किया जाएगा।

जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan on Climate Change- NAPCC) के बारे में 

  • NAPCC ने जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने और भारत के विकास पथ की पारिस्थितिकी स्थिरता को सक्षम करने के लिए 8 राष्ट्रीय मिशनों के साथ एक राष्ट्रीय शमन और अनुकूलन रणनीति की रूपरेखा तैयार की है।
  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) वर्ष 2008 में शुरू की गई थी।
  • मिशन
    • राष्ट्रीय सौर मिशन: देश में केंद्रीयकृत एवं विकेंद्रीकृत दोनों स्तरों पर सौर प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए अनुकूल वातावरण स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना।
      • लक्ष्य: वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना।
    • उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन: इसका उद्देश्य अनुकूल विनियामक और नीति व्यवस्था का निर्माण कर ऊर्जा दक्षता हेतु बाजार को मजबूत करना है।
      • संबंधित पहल
        • प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (Perform, Achieve and Trade- PAT)
        • ऊर्जा दक्षता के लिए बाजार परिवर्तन (Market Transformation for Energy Efficiency- MTEE)
        • ऊर्जा दक्षता वित्तपोषण मंच (Energy Efficiency Financing Platform- EEFP)
        • ऊर्जा कुशल आर्थिक विकास के लिए रूपरेखा (Framework for Energy Efficient Economic Development- FEEED)।
    • राष्ट्रीय सतत् आवास मिशन: सतत् आवास मानकों का विकास, जो जलवायु परिवर्तन से संबंधित चिंताओं को संबोधित करते हुए मजबूत विकास रणनीतियों की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।
    • राष्ट्रीय जल मिशन: जल संरक्षण, जल अपव्यय को कम करने और राज्यों में अधिक न्यायसंगत जल वितरण सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करना।
    • हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन: यह हिमालयी ग्लेशियरों को पिघलने से रोकने और हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता की रक्षा करने का लक्ष्य निर्धारित करता है।
    • राष्ट्रीय हरित भारत मिशन: इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाकर अनुकूलन और शमन उपायों के संयोजन द्वारा जलवायु परिवर्तन का जवाब देना है।
    • राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन: इसका उद्देश्य कृषि को अधिक उत्पादक, सतत्, लाभकारी और जलवायु अनुकूल निर्माण करना है।
    • जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन: इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी रूप से सतत् विकास के उद्देश्य को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई को सूचित करने और समर्थन देने वाली एक जीवंत और गतिशील ज्ञान प्रणाली का निर्माण करना है।

सतत् परिवहन मिशन के बारे में

  • उद्देश्य: नए मिशन का उद्देश्य वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना और शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समग्र परिवहन क्षेत्र में हरित नीतियों को विकसित करना है।
  • क्षेत्रीय केंद्रीकरण: मिशन सड़क परिवहन, रेलवे, बंदरगाह, शिपिंग और नागरिक उड्डयन जैसे उप-क्षेत्रों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट पहलों और नीतियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • नोडल मंत्रालय: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways – MORTH) नोडल मंत्रालय है, जो भारतीय रेलवे, MoCA (नागरिक उड्डयन) और शिपिंग मंत्रालय के साथ सहयोग करेगा।
  • कारक: मिशन रसद में परिवर्तन, सड़कों और वाहनों के डिजाइन, कानून, उपभोक्ता व्यवहार, शहरी नियोजन, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, वैकल्पिक ईंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ उत्सर्जन मानकों को निर्धारित करने जैसे कारकों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • क्षेत्रीय उपाय
    • सड़क परिवहन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना: यह मिशन विशेष रूप से सड़क परिवहन उत्सर्जन मानकों और कटौती पर ध्यान केंद्रित करेगा तथा इसमें BS-VII जैसे नए मानक शामिल होंगे, इसके अलावा वैकल्पिक ईंधन एवं इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
      • सरकार ने वर्ष 2030 तक नए निजी वाहनों के पंजीकरण में 30% हिस्सा EV का रखने का लक्ष्य रखा है।
    • रेलवे: मुख्य रूप से परिचालन के विद्युतीकरण और अपने मुख्य ऊर्जा स्रोत में नवीकरणीय ऊर्जा को जोड़कर, वर्ष 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जक के रेल मंत्रालय के लक्ष्य को प्राप्त करना।
    • नागरिक उड्डयन: विमानन क्षेत्र के लिए योजना मोटे तौर पर अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organization- ICAO) द्वारा निर्दिष्ट वर्ष 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन में संक्रमण के मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगी।
      • ICAO का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग के माध्यम से वर्ष 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 5 प्रतिशत तक कम करना है।
      • ICAO अंतरराष्ट्रीय विमानन के लिए कार्बन संतुलन और शमन योजना शुरू करने की भी योजना बना रहा है।
        • कार्बन संतुलन और शमन योजना: यह एक बाजार आधारित उपाय है, जो आधारभूत स्तर से आगे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में किसी भी वृद्धि को संतुलित करता है।
    • शिपिंग: अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन ने वर्ष 2050 तक नेट जीरो फ्रेमवर्क पर पहले ही सहमति दे दी है और इस क्षेत्र में बंदरगाह मंत्रालय के प्रयासों का मार्गदर्शन करेगा।
      • शिपिंग उद्योग जहाजों पर पहला वैश्विक कार्बन शुल्क आरोपित करने की योजना बना रहा है।

सतत् परिवहन के बारे में

  • सतत् परिवहन से तात्पर्य, परिवहन के सुरक्षित साधनों से है, जो जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके पर्यावरण पर कम प्रभाव डालते हैं। 
  • उदाहरण
    • वैकल्पिक ईंधन: जैव ईंधन, हाइड्रोजन ईंधन सेल और प्राकृतिक गैस वाहनों के लिए जीवाश्म ईंधन के विकल्प प्रदान कर सकते हैं।
    • इलेक्ट्रिक वाहन: चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर घनत्व में वृद्धि के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना।
    • सार्वजनिक परिवहन: BRTS, मेट्रो, जीरो एमिशन बसें, ट्राम, ई-रिक्शा आदि जैसी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का बढ़ता उपयोग।
  • उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र का योगदान
    • वायु प्रदूषण: परिवहन, ऊर्जा-संबंधी कार्बन उत्सर्जन का सबसे तेजी से बढ़ता स्रोत है, जो विश्व बैंक के अनुसार, शहरी वायु प्रदूषण में 12 से 70% तक का योगदान देता है।
    • भारत: भारत का परिवहन क्षेत्र लगभग 375 मिलियन टन प्रत्यक्ष कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में योगदान देता है, जो भारत के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 10% है।
      • सड़क परिवहन: यह परिवहन संबंधी उत्सर्जन का लगभग 90% है और भारत में प्रदूषण में इसका सबसे बड़ा योगदान है, जो देश के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 12% है।

सतत् परिवहन की आवश्यकता

  • ऊर्जा पर निर्भरता में कमी: सतत् परिवहन में प्रायः ऊर्जा-कुशल विकल्प शामिल होते हैं, जैसे इलेक्ट्रिक वाहन या सार्वजनिक परिवहन में बेहतर ईंधन दक्षता, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है और प्रदूषण को रोका जा सकता है।
    • MoSPI के भारत में ऊर्जा सांख्यिकी 2025 के आँकड़ों के अनुसार, भारत के कुल ऊर्जा उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी वर्ष 2023- 2024 में 79% बढ़कर 16,906 पेटाजूल (PJ) हो जाएगी, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दो प्रतिशत अधिक है।

  • पहुँच और गतिशीलता में वृद्धि: सतत् परिवहन प्रणालियाँ स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार जैसी आवश्यक सेवाओं तक भीड़भाड़ को कम करके लोगों की पहुँच में सुधार करती हैं, जिससे अधिक उत्पादक और आर्थिक रूप से सक्रिय आबादी का निर्माण होता है।
    • उदाहरण: भारत की योजना वर्ष 2030 तक 50,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की है, जिनमें से 10,000 इलेक्ट्रिक बसें 100 से अधिक शहरों में चलाई जाएँगी।
  • उत्सर्जन में कमी: इन परिवहन प्रणालियों में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की ओर अंतरण, वैकल्पिक हरित ईंधन का उपयोग, सड़कों पर सफेद कोटिंग, कम उत्सर्जन वाले सार्वजनिक परिवहन का उपयोग आदि शामिल हैं, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने हेतु ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं।
    • उदाहरण: WRI के एक अध्ययन से पता चला है कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग निजी वाहनों की तुलना में प्रति किलोमीटर प्रति यात्री ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को दो-तिहाई तक कम कर सकता है।
  • बेहतर वायु गुणवत्ता: नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के उपयोग से वायु प्रदूषण में कमी आएगी और श्वसन संबंधी बीमारियों तथा संबंधित स्वास्थ्य देखभाल लागतों में कमी आने से तत्काल स्वास्थ्य लाभ होगा।
  • भीड़भाड़ कम करना: सार्वजनिक परिवहन प्रणालियाँ, जैसे कि बसें, ट्राम, सबवे और ट्रेनें, कम जगह में अधिक लोगों को ले जाने संबंधी अधिक यात्री क्षमता रखती हैं, जिससे यातायात की भीड़भाड़ कम होती है।
    • उदाहरण: दिल्ली मेट्रो के शुभारंभ से यातायात की भीड़ में काफी कमी आई है और वायु प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार हुआ है।

सतत् परिवहन कार्यान्वयन की चुनौतियाँ

  • सड़क चुनौती: सड़क परिवहन क्षेत्र के लिए अभी भी कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत नेट-जीरो योजना नहीं है, जो शिपिंग और विमानन क्षेत्र के विपरीत एक प्रमुख उत्सर्जन स्रोत है।
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और विमानन क्षेत्र का लक्ष्य वर्ष 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन में बदलाव करना है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV) संबंधी चुनौती: प्रौद्योगिकी, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, निवेश, वित्त और विपणन से संबंधित मौजूदा समस्याओं ने इलेक्ट्रिक वाहन में बदलाव को काफी मुश्किल और विलंबित बना दिया है।
    • उदाहरण: इलेक्ट्रिक वाहन प्रति वर्ष 200 आधार अंकों की वृद्धि दर से बाजार में प्रवेश कर रहे हैं और वर्ष 2030 के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आवश्यक दर लगभग दोगुनी है।
  • बुनियादी ढाँचे की उच्च लागत: पैदल यात्रियों के अनुकूल सड़कें, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, रेल नेटवर्क का विस्तार, वैकल्पिक ईंधन आदि जैसे नए बुनियादी ढाँचे के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी, जो विकासशील देशों के लिए मौजूदा चुनौतियों को बनाए रखने में एक चुनौती है।
    • नाइट फ्रैंक इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 2.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।
  • इलेक्ट्रॉनिक कचरे में वृद्धि: EV और हाइब्रिड वाहनों जैसी प्रौद्योगिकी आधारित स्मार्ट और संधारणीय परिवहन प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उत्पादन और ऊर्जा उपयोग सहित संसाधनों की खपत में वृद्धि करेगी।
    • उदाहरण: भारत ने वर्ष 2022 से अब तक 49.88 लाख मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न किया है और केवल 2,570.26 मीट्रिक टन लीथियम-आयन अपशिष्ट बैटरियों का पुनर्चक्रण किया है।
  • उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव: अविकसित, अविश्वसनीय या दुर्गम सार्वजनिक परिवहन प्रणाली लोगों को निजी वाहनों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर करती है, जिससे भीड़भाड़ और प्रदूषण बढ़ता है।
    • उदाहरण: नम्मा मेट्रो (बंगलूरू) में सार्वजनिक परिवहन के उपयोग में वृद्धि के कारण यातायात की भीड़ में उल्लेखनीय कमी देखी गई है, खासकर उच्च यातायात वाले क्षेत्रों में।
  • अतिक्रमण: तेजी से शहरीकरण के कारण सड़कें भीड़भाड़ और अतिक्रमण युक्त हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप यातायात जाम और आवागमन समय अधिक होता है।
  • माल ढुलाई के अनुकूल: रेल, ट्रक और जहाज जैसे परिवहन के विभिन्न साधनों को एक एकल, समन्वित आपूर्ति शृंखला में एकीकृत करने के लिए बहुत अधिक परिचालन और रसद दक्षता की आवश्यकता होती है।

केस स्टडी: सतत् परिवहन प्रथाएँ

  • नीदरलैंड: नीदरलैंड एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमें विद्युतीकरण, साइकिलिंग अवसंरचना और नवीन सार्वजनिक परिवहन समाधान शामिल हैं।
    • इलेक्ट्रिक ट्रेनें: नीदरलैंड में सभी इलेक्ट्रिक यात्री ट्रेनें वर्ष 2017 से हरित ऊर्जा से संचालित हो रही हैं।
    • शून्य उत्सर्जन वाली बसें: वर्ष 2025 से सभी नई बसें 100% नवीकरणीय ऊर्जा या ईंधन का उपयोग करेंगी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक सभी बसों को पूरी तरह से उत्सर्जन-मुक्त बनाना है।
    • साइकिलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: नीदरलैंड अपने व्यापक और सुव्यवस्थित साइकिलिंग पथों के लिए प्रसिद्ध है, जो साइकिलिंग को परिवहन के प्राथमिक साधन के रूप में बढ़ावा देता है।
  • स्वीडन: स्वीडन का लक्ष्य वर्ष 2045 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है, जिसके लिए सार्वजनिक परिवहन द्वारा कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए संचालित परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है।
    • अक्षय ऊर्जा: वर्ष 2017 से स्टॉकहोम में सभी ट्रेनें और बसें 100% अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर रही हैं।
    • इलेक्ट्रिसिटी परियोजना: गोथेनबर्ग में, इलेक्ट्रिसिटी परियोजना इलेक्ट्रिक बसों सहित सतत् सार्वजनिक परिवहन के लिए नए समाधानों का परीक्षण करती है।
  • लक्जमबर्ग: वर्ष 2020 से, लक्जमबर्ग ने निजी कारों की तुलना में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सभी ट्रेनों, बसों और ट्रामों पर मुफ्त सार्वजनिक परिवहन की पेशकश की है।
  • फ्राँस: इसने एक हाई-स्पीड रेल नेटवर्क विकसित किया है और परिवहन में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने के लिए नीतियों को लागू किया है।
    • हाई-स्पीड रेल: फ्राँस का TGV नेटवर्क शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को कुशलतापूर्वक जोड़ता है, जिससे कार से यात्रा करने की आवश्यकता कम हो जाती है।
    • ईंधन कर और EV प्रोत्साहन: सरकार ने जीवाश्म ईंधन के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए ईंधन कर लागू किया है और यह इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है।

आगे की राह 

  • कुशल लॉजिस्टिक मॉडल: इसमें मुख्य रूप से सड़क परिवहन से लंबी दूरी के शिपमेंट के लिए रेल और जल परिवहन के संयोजन में परिवर्तन करना शामिल है, जिससे यह लागत प्रभावी, ऊर्जा कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बन जाता है।
    • उदाहरण: नीदरलैंड, जर्मनी और डेनमार्क जैसे कई यूरोपीय देश, लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन के मामले में लगातार उच्च स्थान पर हैं, विशेष रूप से इंटरमॉडल माल परिवहन में।
  • स्मार्ट मोबिलिटी समाधान: इसमें रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बस रैपिड ट्रांजिट (BRT) या मेट्रो रेल) ​​और संपर्क रहित भुगतान प्रणाली, वास्तविक समय यात्री सूचना तथा बाइक-शेयरिंग सिस्टम जैसे परिवहन के अन्य साधनों के साथ एकीकरण जैसी नवीन तकनीकों को शामिल किया गया है।
    • उदाहरण: लंदन ने ऑयस्टर कार्ड प्रणाली शुरू की है, जिसका उपयोग सार्वजनिक परिवहन में “पे ऐज यू गो” यात्रा सिद्धांत के आधार पर किया जाता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन अवसंरचना: कर छूट और अन्य प्रोत्साहन देकर इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को बढ़ावा देना तथा इस बदलाव को आवश्यक बनाने वाले EV अवसंरचना का निर्माण करना सतत् परिवहन की राह में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • उदाहरण: नॉर्वे इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को अपनाने में वैश्विक रूप से अग्रणी है और हरित परिवहन को बढ़ावा देने के लिए EV चार्जिंग पॉइंट और टोल तक मुफ्त पहुँच जैसे प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  • सड़क इंजीनियरिंग और शहरी नियोजन: संधारणीय परिवहन सिद्धांतों पर केंद्रित शहरी नियोजन के परिणामस्वरूप एक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का निर्माण होगा, जो पारगमन-उन्मुख और गैर-मोटर चालित परिवहन पर केंद्रित होगी।
    • उदाहरण: सिंगापुर की एकीकृत परिवहन प्रणाली ने बसों, ट्रेनों और ट्रामों सहित सार्वजनिक परिवहन के विभिन्न साधनों को एक निर्बाध नेटवर्क में एकीकृत किया है, जिसके परिणामस्वरूप भीड़भाड़ और प्रदूषण में कमी आई है।
  • कार्गो परिवहन के लिए संधारणीय/वैकल्पिक ईंधन: पारंपरिक जीवाश्म ईंधन आधारित ईंधन से जैव ईंधन, मेथेनॉल, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquefied Natural Gas- LNG), CNG, हाइड्रोजन जैसे हरित विकल्प को सभी परिवहन क्षेत्रों में तीव्र गति से अपनाना।
    • उदाहरण: भारत वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 30% एथेनॉल मिश्रण का नया लक्ष्य निर्धारित करने के लिए कमर कस रहा है, जिसने वर्ष 2025 में 20% मिश्रण पहले ही हासिल कर लिया है।
  • विनियमन: सरकारी विनियमों को उत्सर्जन मानकों की स्थापना, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और वैकल्पिक ईंधन को प्रोत्साहित करने, इलेक्ट्रिक वाहनों को वित्तपोषित करने आदि जैसी सतत् परिवहन गतिविधियों को अपनाने को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। 
    • उदाहरण: भारत ने यूरोपीय संघ के मानकों के आधार पर भारत मानक को अपनाया।

सतत् परिवहन के लिए भारत सरकार की पहल

  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV) प्रोत्साहन
    • फेम इंडिया योजना: यह योजना बसों, तिपहिया वाहनों और इलेक्ट्रिक टैक्सियों सहित इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है।
    • राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम (National Electric Bus Program-NEBP): इस कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारतीय शहरों में 50,000 इलेक्ट्रिक बसें संचालित करना है।
    • कर छूट: लीथियम को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है, जिससे EV की सामर्थ्य और पहुँच में वृद्धि होगी।
  • पारगमन उन्मुख विकास: उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के निकट पैदल चलने योग्य मार्गों का निर्माण करना ताकि पहुँच को अधिकतम किया जा सके और निजी वाहनों पर निर्भरता को कम किया जा सके तथा सतत् शहरी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
  • मेट्रो रेल विस्तार: प्रमुख शहरों में मेट्रो प्रणालियों का विस्तार हो रहा है, जो कार आधारित आवागमन के लिए स्वच्छ और कुशल विकल्प प्रदान कर रही हैं।
  • पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP): यह ग्रीन लॉजिस्टिक्स और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए राजमार्गों, रेलवे, बंदरगाहों, हवाई अड्डों तथा लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • राष्ट्रीय रेल योजना: इस योजना का उद्देश्य रेलवे के पर्यावरणीय लाभों को पहचानते हुए वर्ष 2030 तक भारतीय रेलवे की माल ढुलाई हिस्सेदारी को 45% तक बढ़ाना है। रेलवे ने वर्ष 2030 तक नेट जीरो लक्ष्य निर्धारित किया है।

निष्कर्ष 

NAPCCC में सतत् परिवहन पर मिशन को शामिल करना सही दिशा में उठाया गया एक कदम है, जो परिवहन क्षेत्र के उत्सर्जन को कम करने पर आवश्यक ध्यान केंद्रित करेगा और साथ ही सुरक्षित, सतत्, कुशल और जलवायु अनुकूल सुलभ गतिशीलता विकल्प प्रदान करेगा।

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