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सिंथेटिक मानव जीनोम परियोजना

Lokesh Pal July 01, 2025 02:42 13 0

संदर्भ

कृत्रिम मानव DNA के निर्माण के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ यू.के. में सिंथेटिक मानव जीनोम परियोजना (Synthetic Human Genome Project- SynHG) शुरू की गई है।

  • यह परियोजना मानव आनुवंशिक सामग्री को डिकोड करने से लेकर डिजाइन करने तक की एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है।

सिंथेटिक मानव जीनोम परियोजना (SynHG) के बारे में

  • उद्देश्य: रासायनिक रूप से संश्लेषित DNA से संपूर्ण मानव जीनोम को डिजाइन और निर्माण करना।
    • यह परियोजना उन्हें प्रारंभ में प्रथम पूर्णतः कृत्रिम मानव गुणसूत्र बनाने का प्रयास करके जीवन को नए तरीके से संदर्भित करने की अनुमति देगी।
  • प्रतिभागी: इस परियोजना का नेतृत्व एलिसन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज, केंट, मैनचेस्टर और इंपीरियल कॉलेज लंदन जैसे संस्थानों द्वारा किया जा रहा है।
  • समर्थन: इस परियोजना को वेलकम ट्रस्ट द्वारा समर्थित एवं वित्तपोषित किया जा रहा है, जिसके द्वारा परियोजना को प्रारंभ करने के लिए शुरुआती £10 मिलियन की राशि दी गई है।

पहला कृत्रिम जीनोम

  • पहला कृत्रिम रूप से निर्मित जीनोम फी एक्स 174 (Phi X 174) वायरस के लिए था, जिसे क्रेग वेंटर के नेतृत्व वाली टीम ने पॉलीमरेज चेन असेंबली (Polymerase Chain Assembly-PCA) नामक विधि का उपयोग करके संश्लेषित किया था।
  • इस उपलब्धि ने वर्तमान के सिंथेटिक जीनोम अनुसंधान की नींव रखी।

  • सावधानीपूर्वक संश्लेषण: यह एक सामाजिक विज्ञान कार्यक्रम है, जो परियोजना के भीतर अंतर्निहित है, ताकि हितधारकों को विकास के नैतिक, कानूनी और सामाजिक निहितार्थों का पता लगाने का अवसर मिले।

वैज्ञानिक और सामाजिक महत्त्व

  • जीनोमिक विज्ञान में उन्नति: सिंथेटिक DNA से जीन की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने के नए तरीके उपलब्ध होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले DNA को संपादित करने की सीमाओं से परे है।
  • चिकित्सा क्षमता
    • रोग प्रतिरोधी कोशिकाओं का विकास।
    • क्षतिग्रस्त अंगों को पुनर्जीवित करने की संभावना।
    • अंग प्रत्यारोपण और प्रतिरक्षा प्रणाली की मरम्मत में नवाचार।
    • स्वस्थ उम्र बढ़ने और जीवन की बेहतर गुणवत्ता की संभावना।
  • अन्य क्षेत्रों में अनुप्रयोग
    • यह तकनीक जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीली फसलों को विकसित करने में भी मदद कर सकती है, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा में योगदान मिलेगा।

जोखिम और चिंताएँ

  • नैतिक और नैतिक प्रश्न: कृत्रिम मानव DNA बनाने से यह चिंता उत्पन्न होती है कि मनुष्य ‘प्लेइंग गॉड’ की भूमिका निभा रहा है और जीवन के मूलभूत पहलुओं को बदल रहा है।
  • व्यावसायीकरण एवं निरीक्षण चुनौतियाँ: ऐसी आशंकाएँ हैं कि निजी संस्थाओं द्वारा तेजी से व्यावसायीकरण, विनियमन से आगे निकल सकता है और एक बार तकनीक उपलब्ध हो जाने के बाद, इसका दुरुपयोग रोकना मुश्किल हो सकता है।
  • दोहरे उपयोग का जोखिम: हालाँकि यह तकनीक अच्छे उद्देश्यों के लिए बनाई गई है, लेकिन इसका उपयोग जैविक युद्ध सहित हानिकारक अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है।

सिंथेटिक जीनोम क्या है?

  • सिंथेटिक जीनोम आनुवंशिक निर्देशों (DNA) का एक कृत्रिम रूप से निर्मित समूह है, जो किसी जीव के प्राकृतिक जीनोम की प्रतिकृति तैयार करता है या उसे संशोधित करता है।
  • पारंपरिक जेनेटिक एडिटिंग (जहाँ मौजूदा DNA में छोटे-छोटे बदलाव किए जाते हैं) के विपरीत सिंथेटिक जीनोमिक्स में रासायनिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके DNA के संपूर्ण अनुक्रमों का निर्माण करना शामिल है।

सिंथेटिक जीनोम बनाने के तरीके

  1. रासायनिक DNA संश्लेषण
    • छोटे DNA टुकड़े, [जिन्हें ऑलिगोन्यूक्लियोटाइड्स (Oligonucleotides) कहा जाता है] प्रयोगशालाओं में रासायनिक रूप से संश्लेषित किए जाते हैं।
    • फिर इन्हें एंजाइमेटिक या भौतिक विधियों का उपयोग करके लंबे अनुक्रमों में संगृहीत किया जाता है।
  2. जीन असेंबली तकनीक
    • पॉलीमरेज साइकलिंग असेंबली (PCA) या गिब्सन असेंबली का उपयोग करके ओवरलैपिंग सिंथेटिक टुकड़ों को एक साथ जोड़ा जाता है।
    • ये विधियाँ शोधकर्ताओं को चरणबद्ध तरीके से संपूर्ण जीन या गुणसूत्रों का निर्माण करने की अनुमति देती हैं।
  3. इन विट्रो और इन विवो असेंबली
    • DNA खंडों को कोशिकाओं के बाहर (इन विट्रो) एकत्रित किया जा सकता है या प्राकृतिक असेंबली और प्रतिकृति के लिए यीस्ट (इन विवो) जैसे मेजबान जीवों में इंजेक्ट किया जा सकता है।
    • यीस्ट का उपयोग आमतौर पर इसकी बड़ी DNA संरचनाओं को स्थिर रूप से बनाए रखने और उनकी प्रतिकृति बनाने की क्षमता के कारण किया जाता है।
  4. त्रुटि सुधार और सत्यापन
    • चूँकि सिंथेटिक DNA में त्रुटियाँ होने की संभावना होती है, इसलिए सटीकता तथा कार्य सुनिश्चित करने के लिए अनुक्रमण एवं सुधार के कई चरण कार्यान्वित किए जाते हैं।
  5. कार्यात्मक परीक्षण
    • सिंथेटिक DNA को कोशिकीय प्रणालियों में यह जाँचने के लिए क्षेपित किया जाता है कि क्या यह प्राकृतिक DNA की तरह व्यवहार करता है, उदाहरण के लिए, क्या यह प्रोटीन का उत्पादन करता है या अन्य जीनों को सही ढंग से नियंत्रित करता है?

मानव जीनोम परियोजना (Human Genome Project- HGP)

  • अवधि: वर्ष 1990–2003।
  • लक्ष्य: सभी मानव जीनों का मानचित्रण एवं अनुक्रमण करना, मनुष्यों में DNA के पूरे सेट की पहचान करना।
  • परिणाम: इसने जीनोमिक्स क्षेत्र में क्रांति ला दी, जीनोमिक चिकित्सा का मार्ग प्रशस्त किया, और रोगजनक जीनों की तेजी से पहचान करने में सक्षम बनाया।

भारत जीनोम परियोजना

  • लॉन्च किया गया: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology- DBT), भारत सरकार द्वारा।
  • उद्देश्य: जनसंख्या की आनुवंशिक विविधता को समझने के लिए हजारों भारतीयों के जीनोम का अनुक्रमण करना।
  • अनुप्रयोग
    • भारतीय संदर्भ में सटीक चिकित्सा को सक्षम बनाता है।
    • भारतीय उप-आबादी के बीच रोग संवेदनशीलता और दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया की पहचान करने में मदद करता है।
    • स्वदेशी जीनोमिक अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देता है।

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