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डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टास्क फोर्स

Lokesh Pal August 22, 2024 03:02 60 0

संदर्भ

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों और कल्याण से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (National Task Force- NTF) का गठन किया है। 

संबंधित तथ्य

सर्वोच्च न्यायालय कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार एवं हत्या से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहा था। न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। 

  • स्वप्रेरणा संज्ञान (Suo Moto Cognisance) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘स्वप्रेरणा से’, यह भारतीय न्यायपालिका में निहित एक अद्वितीय शक्ति है जो उसे औपचारिक याचिका या शिकायत प्राप्त किए बिना किसी मामले का संज्ञान लेने की अनुमति देती है। 

राष्ट्रीय कार्य बल (National Task Force- NTF) के बारे में

सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों और कल्याण तथा अन्य संबंधित मामलों से संबंधित चिंता के मुद्दों के समाधान के लिए प्रभावी सिफारिशें तैयार करने हेतु 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य बल (NTF) का गठन किया। 

  • टास्क फोर्स में विविध पृष्ठभूमियों के वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं। 
    • इसमें चार पदेन सदस्य भी शामिल होंगे: कैबिनेट सचिव, स्वास्थ्य सचिव, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परीक्षक बोर्ड के अध्यक्ष। 
  • समय-सीमा: टास्क फोर्स को आदेश के तीन सप्ताह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट तथा दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। 
    • NTF से सभी हितधारकों से परामर्श करने का अनुरोध किया गया है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समर्थित, NTF के सदस्यों के लिए यात्रा, ठहरने और सचिव स्तरीय सहायता की व्यवस्था सहित सभी प्रकार की सहायता प्रदान की जाएगी तथा उनका खर्च भी वहन किया जाएगा। 
    • डेटा संग्रहण: केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में अपने सचिवों के माध्यम से अपने द्वारा संचालित सभी अस्पतालों से यह जानकारी एकत्रित करनी होगी कि प्रत्येक अस्पताल और प्रत्येक विभाग में कितने सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं। 
  • आवंटित कार्य
    • उपायों पर सिफारिश: पीठ ने टास्क फोर्स को चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा और कल्याण के लिए उपायों की जांच करने और सिफारिश करने का निर्देश दिया। 
      • जहाँ उपयुक्त हो, वे अतिरिक्त सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं। 
    • प्रस्तावित तौर-तरीके: इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुरक्षा की स्थिति बनी रहे और डॉक्टर, चाहे वे युवा हों या मध्यम आयु वर्ग के, अपने कार्य वातावरण में सुरक्षित रहें। 
    • एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करना: स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए उनके कार्यस्थलों पर सुरक्षा और सुविधाएँ सुनिश्चित करना। इससे संभावित रूप से देश भर में चिकित्साकर्मियों और पैरामेडिक्स के लिए कार्य करने की स्थितियों में बड़े सुधार हो सकते हैं। 
    • राष्ट्रीय कार्य योजना की तैयारी: दो उप-शीर्षकों के अंतर्गत एक कार्य योजना तैयार करना, चिकित्सा पेशेवरों के विरुद्ध लिंग आधारित हिंसा सहित हिंसा को रोकना तथा प्रशिक्षुओं, रेजीडेंटों, वरिष्ठ रेजीडेंटों, डॉक्टरों, नर्सों और सभी चिकित्सा पेशेवरों के लिए सम्मानजनक एवं सुरक्षित कार्य स्थितियों के लिए एक लागू करने योग्य राष्ट्रीय प्रोटोकॉल प्रदान करना। 
      • कार्य योजना में निम्नलिखित क्षेत्रों पर विचार किया जाएगा:
        • क्या आपातकालीन कक्षों को अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता है?
        • गैर-रोगियों तक पहुंच प्रतिबंधित करना। 
        • अस्पतालों में हथियारों के प्रवेश को रोकने के लिए सामान की जांच करना। 
        • चिकित्सा पेशेवरों के लिए रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक परिवहन की व्यवस्था करना। 
        • नशे में धुत्त व्यक्तियों को चिकित्सा प्रतिष्ठान के परिसर में प्रवेश करने से रोकना, जब तक कि वे रोगी न हों। 
        • बुनियादी ढांचे का विकास जैसे कि प्रत्येक विभाग में पुरुष और महिला डॉक्टरों, पुरुष और महिला नर्सों के लिए अलग-अलग आराम कक्ष और ड्यूटी रूम का प्रावधान।
        • लैंगिक तटस्थ सामान्य विश्राम स्थान सुनिश्चित करना।
          • न्यायालय ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए कार्यशालाओं और चिकित्सा कर्मियों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइनों के महत्व का भी उल्लेख किया गया है।
    • प्रत्येक चिकित्सा प्रतिष्ठान में डॉक्टरों, प्रशिक्षुओं, रेजीडेंटों और नर्सों को शामिल करते हुए ‘कर्मचारी सुरक्षा समितियों’ के गठन पर विचार करना, ताकि संस्थागत सुरक्षा उपायों पर त्रैमासिक ऑडिट किया जा सके और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

ऐतिहासिक संदर्भ

  • भारत में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा कोई नई बात नहीं है। वर्ष 1973 में, अरुणा रामचंद्र शानबाग नामक एक जूनियर नर्स पर अस्पताल के एक सफाई कर्मचारी ने यौन शोषण किया था।

भारत में स्वास्थ्य कर्मियों के समक्ष चुनौतियाँ

  • कार्य करने की लंबी अवधि: रात भर की शिफ्ट, 12 घंटे का कार्यदिवस आदि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के सामने आने वाली शेड्यूलिंग बाधाओं में से कुछ हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अध्ययन के अनुसार, सप्ताह में 55 घंटे से अधिक कार्य करना सीधे तौर पर हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ है।  
  • कर्मचारी के लिए बर्नआउट और तनाव की स्थिति: वर्ष 2023 में प्रकाशित शोध के अनुसार, 49.9% स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों ने बर्नआउट का अनुभव किया। बर्नआउट के कारण निम्न हो सकते हैं: 
    • नौकरी को लेकर संतुष्टि में कमी
    • मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
    • अनुपस्थिति में वृद्धि
    • उत्पादकता में कमी
    • रोगी देखभाल की निम्न गुणवत्ता
    • चिकित्सा त्रुटियाँ
    • रोगी की संतुष्टि में कमी
  • संगठनात्मक समस्याएं: खराब संगठनात्मक संरचनाओं के कारण अस्पतालों, क्लीनिकों और स्वास्थ्य सेवा से संबंधित अन्य संस्थानों में कर्मचारियों में हताशा उत्पन्न होती है। 
    • इसका कारण बढ़ी हुई लागत, सुरक्षा, विघटनकारी प्रौद्योगिकी और समग्र अकुशलताएं हो सकती हैं। 
  • प्रौद्योगिकी बाधाएं: स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र तेजी से बदलती, जीवन को बदल देने वाली प्रौद्योगिकी के अनुकूल ढलने में धीमा हो सकता है, जो अक्सर विनियामक और अनुपालन बाधाओं के कारण होता है। 

राज्य सूची का विषय

  • संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था राज्य के विषय हैं।
    • राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह घटनाओं और संभावित परिस्थितियों पर ध्यान दे तथा हिंसा को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए।

स्वास्थ्यकर्मियों के विरुद्ध हिंसा रोकने की पहल

  • केंद्र सरकार द्वारा
    • स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक, 2022 
    • महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम, 2020: यह महामारी की स्थिति के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा के कृत्यों से निपटता है जिन्हें संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जाता है। 
    • निर्भया फंड: यह फंड भारत सरकार द्वारा देश में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से पहल करने के लिए स्थापित किया गया था। 
  • राज्य के कानून: कुछ राज्यों ने अपने कानून लागू किए हैं जैसे- केरल स्वास्थ्य सेवा व्यक्ति और स्वास्थ्य सेवा संस्थान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2023 
  • वैश्विक प्रयास: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO) सहित अन्य ने संयुक्त रूप से ‘स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यस्थल पर हिंसा से निपटने के लिए रूपरेखा दिशानिर्देश’ विकसित किए हैं। 

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