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TCS में छँटनी: AI के युग में भारत के IT क्षेत्र की चिंताजनक स्थिति

Lokesh Pal July 30, 2025 03:17 20 0

संदर्भ

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा अपने वैश्विक कार्यबल के 2 प्रतिशत, अर्थात् 12,000 कर्मचारियों की छँटनी की घोषणा ने इस आशंका को बल दिया है कि भारत के IT और सेवा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का बढ़ता प्रभाव पारंपरिक नौकरियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

  • हालाँकि, TCS के CEO ने कहा है कि छंटनी कौशल असमानता के कारण हुई है, और कहा कि कर्मचारियों में उद्योग के लिए आवश्यक कौशल का अभाव था।

भारत के IT क्षेत्र की भूमिका

IT उद्योग भारत के लिए अत्यधिक महत्त्व रखता है:

  • वर्ष 2024 में, IT उद्योग 50 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करेगा।
  • यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7% का योगदान देता है।
  • भारत के सेवा निर्यात में IT क्षेत्र का योगदान 50% है।
  • यह मध्यम वर्ग के युवाओं, विशेषतः टियर-2 और टियर-3 शहरों के स्नातकों, जो TCS और इन्फोसिस जैसी कंपनियों में कार्य करने की इच्छा रखते हैं, के लिए उन्नति का एक महत्त्वपूर्ण मार्ग है।
    • उन्नति का अर्थ है परिवार को गरीबी से बाहर निकालना, जीवन स्तर में सुधार लाना और कॅरियर में उन्नति के माध्यम से सम्मान प्राप्त करना।

छँटनी में प्रमुख चुनौतियाँ और योगदान देने वाले कारक

  • कोविड-19 महामारी के बाद, IT कंपनियों ने बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग स्नातकों की नियुक्ति तेजी से की।
    • अमेरिका में उच्च मुद्रास्फीति और मंदी की आशंकाओं के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था अब महत्त्वपूर्ण अस्थिरता का सामना कर रही है।
    • वर्तमान आर्थिक अनिश्चितता कंपनियों को नई परियोजनाओं की शुरुआत से रोकने की ओर प्रेरित कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप TCS और इन्फोसिस जैसी प्रमुख IT कंपनियों के लिए वैश्विक स्तर पर नए ग्राहक उपलब्ध करना और व्यावसायिक विस्तार करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
    • परिणामस्वरूप, कंपनियाँ नियुक्तियों में कटौती करती हैं या अपने मौजूदा कर्मचारियों की संख्या को कम करती हैं।
  • AI और स्वचालन का प्रवेश-स्तर की नौकरियों पर प्रभाव: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तीव्र गति से प्रवेश-स्तर के कार्यों, जैसे सॉफ्टवेयर परीक्षण और बग की पहचान में अपनी भूमिका बढ़ा रही है, जिससे इन क्षेत्रों में मानव संसाधनों की पारंपरिक आवश्यकता कम होती जा रही है।
    • स्वचालन इन प्रारंभिक-स्तर के कार्यों को तेजी से, अधिक कुशलता से और कम लागत पर पूरा करने में सक्षम बनाता है।
    • AI अब उन भूमिकाओं में अधिक प्रभावी है, जो पारंपरिक रूप से नए, अनुभवहीन स्नातकों द्वारा निभाई जाती थीं, जिससे कार्यबल में नए कौशल की आवश्यकता होती है।
  • वैश्विक क्षमता केंद्रों (Global Capability Centers) का उदय: बहुराष्ट्रीय निगम (MNC) तीव्रता से स्वयं को परिवर्तित करते जा रहे हैं।
    • TCS जैसी भारतीय IT कंपनियों से प्रोजेक्ट आउटसोर्स करने के बजाय, वे भारत में अपने वैश्विक क्षमता केंद्र स्थापित कर रहे हैं।
    • इससे उन्हें भारतीय IT सेवा प्रदाताओं को एकतरफ करते हुए भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम का सीधा लाभ उठाने में मदद मिलती है।
  • प्रवेश-स्तर वेतन में स्थिरता: पिछले 10-14 वर्षों से, IT उद्योग में प्रवेश करने वाले नए इंजीनियरिंग स्नातकों का वेतन लगभग अपरिवर्तित रहा है।
    • इस बीच, बंगलूरू और गुरुग्राम जैसे प्रमुख IT केंद्रों में जीवन यापन की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • इस स्थिति के परिणामस्वरूप मध्यम वर्ग के अनेक लोग जीविकोपार्जन हेतु ऋण लेने और कर्ज के बोझ तले दबने को विवश हो रहे हैं, जिससे IT क्षेत्र द्वारा मध्यवर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की शुरुआती प्रतिबद्धता को गहरा आघात पहुँचा है।
  • बाजार परिदृश्य: वर्तमान परिदृश्य में IT उद्योग दो चरम परिणामों की ओर अग्रसर होता दिख रहा है, जहाँ अत्यंत कुशल और विशिष्ट प्रतिभा वाले पेशेवरों को ₹80–90 लाख से लेकर करोड़ों रुपये तक के आकर्षक पैकेज प्राप्त हो रहे हैं, वहीं सामान्य स्तर के कर्मचारियों को ₹5–10 लाख जैसे सीमित वेतन में जीवनयापन करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
    • कॅरियर और वित्तीय स्थिरता के संदर्भ में “मध्यम मार्ग” कम होता जा रहा है।

आगे की राह

  • पाठ्यक्रम में तत्काल सुधार: कौशल असंतुलन और उद्योग में छँटनी की समस्या को दूर करने के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
  • अल्पकालिक पाठ्यक्रम तैयार करना: सरकार को IT उद्योग के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे महत्त्वपूर्ण नए कौशलों में अल्पकालिक, सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए।
  • सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म का उन्नयन: इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले SWAYAM और NPTEL जैसे सरकारी प्लेटफॉर्म को लगातार उन्नत तथा वित्तपोषित किया जाना चाहिए।
  • क्षेत्रीय फोकस में विविधता: हालाँकि IT एक मजबूत पक्ष है, भारत को अपने आर्थिक विकास इंजनों में विविधता लाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे अन्य आशाजनक क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • उच्च शिक्षा प्रणाली में पूर्ण सुधार: उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार आवश्यक है।
  • उद्योग-अकादमिक अंतराल को पाटना: उद्योग और शैक्षणिक जगत के बीच लंबे समय से उपस्थित अंतराल को सक्रिय रूप से दूर किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष 

अगर भारत तेजी से अनुकूलन करने में विफल रहा, तो छँटनी और बेरोजगारी में वृद्धि जारी रहेगी। सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह निर्णायक कदम उठाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत का IT सपना जीवंत बना रहे और आर्थिक समृद्धि एवं ऊर्ध्वगामी गतिशीलता को बढ़ावा मिलता रहे।

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