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प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य और क्षमता रोडमैप (2025)

Lokesh Pal September 09, 2025 02:31 83 0

संदर्भ

हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने अपनी परमाणु निवारण और ड्रोन युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक योजना जारी की है। प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य और क्षमता रोडमैप (TPCR-2025) नामक यह 15-वर्षीय रणनीति, एक विश्वसनीय परमाणु निवारण क्षमता बनाए रखने के लिए पहलों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।

रणनीतिक विषय

  • एकीकृत निवारण: TPCR-2025 परमाणु क्षमता, मानवरहित स्ट्राइक प्लेटफॉर्म, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और AI-सक्षम प्रणालियों को मिलाकर एक एकीकृत दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।
  • नीतिगत संरेखण: आत्मनिर्भर भारत के साथ संरेखित, यह स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देता है और आयात पर निर्भरता कम करता है।
  • बहु-क्षेत्रीय तत्परता: यह भारत को स्थल, समुद्र, वायु, साइबर और अंतरिक्ष में संचालन के लिए सुसज्जित करता है, जिससे देश एक तकनीकी रूप से उन्नत, आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित होता है।
  • उद्योग जुड़ाव: यह रोडमैप रक्षा क्षेत्र, MSME और स्टार्ट-अप के लिए अनुसंधान एवं विकास, विनिर्माण और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने हेतु स्पष्ट प्राथमिकताएँ निर्धारित करता है।
  • भविष्य के लिए तैयार बल: यह सुनिश्चित करता है कि सशस्त्र बल तकनीकी रूप से प्रतिस्पर्द्धी, लचीले और उभरते खतरों से निपटने में सक्षम बने रहें।

TPCR-2025 की मुख्य विशेषताएँ

  • परमाणु निरोधक उपाय: यह रोडमैप परमाणु कमान और नियंत्रण प्रणालियों को मजबूत करता है, उत्तरजीविता संबंधी अवसंरचना में सुधार करता है, विकिरण संसूचन उपकरण, मोबाइल परिशोधन इकाइयाँ और मानवरहित CBRN टोही वाहनों की तैनाती करता है ताकि विश्वसनीय निरोधक और द्वितीय-आक्रमण क्षमता सुनिश्चित की जा सके।
  • ड्रोन और मानवरहित प्रणालियाँ
    • भारत 1,500 किलोमीटर की रेंज और 60,000 फीट की ऊँचाई वाले स्टील्थ ड्रोन, सटीक हमलों के लिए AI-सक्षम ‘लोइटरिंग’ हथियार और शत्रु द्वारा प्रयुक्त UAVs समूहों का मुकाबला करने के लिए ड्रोन-रोधी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली को शामिल करेगा।
    • हाई-ऑल्टीट्यूड स्यूडो-सैटेलाइट्स (HAPS) और समताप मंडलीय हवाई जहाज ISR और संचार का समर्थन करेंगे।
  • इलेक्ट्रॉनिक और साइबर युद्ध: उन्नत जैमर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध पेलोड, सूचना प्रभुत्व प्रणालियाँ और AI-सक्षम उपकरण युद्धाभ्यास बलों, परिचालन निर्णय लेने और कमांड नेटवर्क की सुरक्षा करेंगे। तैयारियों में साइबर रक्षा और अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों को मजबूत करना शामिल है।
  • सेवा आधुनिकीकरण
    • सेना: भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप लड़ाकू वाहनों, उच्च-ऊँचाई वाले अभियानों के लिए हल्के टैंकों, UAV-लॉन्च किए गए सटीक निर्देशित हथियारों और साइबर-सशक्त संचार उपकरणों की शुरुआत।
    • नौसेना: अगली पीढ़ी के विध्वंसक, कॉर्वेट, माइन वेसल, विमानवाहक पोतों के लिए 10 परमाणु प्रणोदन प्रणालियाँ और स्वदेशी विद्युत-चुंबकीय विमान प्रक्षेपण प्रणाली (Electromagnetic Aircraft Launch System- EMALS) वाला एक तीसरा विमानवाहक पोत शामिल किया जाएगा।
    • वायु सेना: समताप मंडलीय हवाई पोतों, लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों, सामरिक उच्च-ऊर्जा लेजर प्रणालियों और सटीक-निर्देशित हथियारों की तैनाती।
  • सूचना एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: AI-सक्षम एमिटर डिटेक्शन, जैमर और डीपफेक डिटेक्शन उपकरण परिचालन निर्णय लेने की सुरक्षा करेंगे और युद्धक्षेत्र में स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ाएँगे।

भू-राजनीतिक और सामरिक निहितार्थ

  • बहु-क्षेत्रीय तत्परता: यह भारत को उच्च-तीव्रता वाले संघर्ष परिदृश्यों में बहु-क्षेत्रीय युद्ध के लिए तैयार करता है।
  • क्षेत्रीय प्रतिरोध: चीन और पाकिस्तान के विरुद्ध प्रतिरोध को बढ़ाता है।
  • नौसैनिक शक्ति: यह भारत की समुद्री नौसेना की स्थिति और हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी को मजबूत करता है।
  • तकनीकी बढ़त: यह भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-सक्षम और स्वायत्त क्षमताओं के साथ उन्नत सैन्य शक्तियों के मध्य स्थान देता है।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

  • उन्नत प्रौद्योगिकी विकास: हाइपरसोनिक मिसाइलों, स्क्रैमजेट, AI प्लेटफॉर्म, निर्देशित-ऊर्जा हथियारों और क्वांटम संचार प्रणालियों के विकास के लिए व्यापक अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता होती है।
  • परिचालन लागत और एकीकरण: उच्च खरीद और रखरखाव लागत, अंतर-सेवा एकीकरण और प्रशिक्षण महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं।
  • साइबर और अंतरिक्ष भेद्यताएँ: नेटवर्क प्लेटफॉर्म, उपग्रह और AI प्रणालियाँ साइबर हमलों और अंतरिक्ष-आधारित खतरों के प्रति संवेदनशील हैं।
  • सामरिक स्थिरता: आधुनिक आक्रमण क्षमताओं का विकास भारत के ‘नो फर्स्ट यूज’ परमाणु सिद्धांत से समझौता किए बिना किया जाना चाहिए और इसे क्षेत्रीय सुरक्षा को अस्थिर नहीं करना चाहिए।
  • नैतिक और कानूनी अनुपालन: स्वायत्त और AI-सक्षम हथियारों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना चाहिए और दुरुपयोग या अनपेक्षित वृद्धि को रोकना चाहिए।

आगे की राह

  • स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता: घरेलू रक्षा प्रौद्योगिकी को मजबूत करने के लिए घरेलू अनुसंधान एवं विकास, MSME और स्टार्ट-अप को प्राथमिकता देना जारी रखना।
  • बहु-क्षेत्रीय तत्परता: थल सेना, नौसेना और वायु सेना में संयुक्त अभ्यासों और अंतर-संचालनीय प्रणालियों के माध्यम से एकीकृत परिचालन क्षमता सुनिश्चित करना।
  • उभरती प्रौद्योगिकी निवेश: रणनीतिक बढ़त बनाए रखने के लिए AI, ड्रोन, हाइपरसोनिक्स, निर्देशित-ऊर्जा हथियारों, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष परिसंपत्तियों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • साइबर और अंतरिक्ष रक्षा: नेटवर्क प्लेटफॉर्म, उपग्रहों और कमांड-एंड-कंट्रोल प्रणालियों की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना।
  • सामरिक स्थिरता: आधुनिक आक्रमण क्षमताओं को भारत के ‘नो फर्स्ट यूज’ परमाणु सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ संतुलित करना।

निष्कर्ष

TPCR-2025 भारत के रक्षा आधुनिकीकरण के लिए एक दीर्घकालिक, एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। स्वदेशीकरण, तकनीकी उन्नति और संयुक्त परिचालन क्षमता पर ध्यान केंद्रित करके, इस रोडमैप का उद्देश्य भारत को एक आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से उन्नत और विश्वसनीय सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करना है, जो अगले दशक और उसके बाद भी उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो।

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